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वंदे भारत समेत 50 ट्रेनें आज से कैंसिल, यूपी में बढ़ेगी ट्रेनों की रफ्तार, 49 ट्रैक डबल-ट्रिपल होंगे

ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, गोरखपुर. आने वाले वर्षों में यूपी का रेल नक्शा पूरी तरह बदलने जा रहा है। एक ओर जहां 67 बड़े प्रोजेक्ट्स पर काम हो रहा है। वहीं, हाई-स्पीड कॉरिडोर से लेकर तीसरी लाइन तक के निर्माण कार्यों की रफ्तार भी तेज हो चुकी है।
यूपी में देश का सबसे बड़ा 16,986 किमी का रेलवे नेटवर्क है। 2029 तक 4,876 किमी की नई रेल परियोजनाएं भी तैयार होकर इस नेटवर्क में जुड़ जाएंगी। इसमें से कई परियोजनाएं दूसरी और तीसरी लाइन वाली हैं।

12 अप्रैल से गोरखपुर-डोमिनगढ़ के बीच तीसरी लाइन बिछाए जाने के चलते वंदे भारत सहित 50 से अधिक ट्रेनें निरस्त कर कर दी गईं हैं। 3 मई को क्लीयरेंस मिलने के बाद ही ट्रैक पर ट्रेन चलेंगी। इसी तरह के काम प्रदेश के दूसरे हिस्सों में भी चल रहा है।

आपके जेहन में सवाल उठ रहे होंगे कि ट्रेनों की दूसरी और तीसरी लाइन बिछाने से आम लोगों को क्या फायदा होगा? प्रदेश में अभी कहां-कहां दूसरी और तीसरी लाइन बिछाई जा रही है? कब तक ये काम पूरे हो जाएंगे? पढ़िए ये रिपोर्ट…
डोमिनगढ़-गोरखपुर के बीच तीसरी लाइन बिछाने के चलते 50 ट्रेनें 12 अप्रैल से निरस्त रहेंगी।
प्रदेश में रेलवे 15 नई लाइनें, तीन गेज परिवर्तन और 49 दूसरी-तीसरी लाइनें बिछा रहा है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पिछले दिनों लोकसभा में एक लिखित उत्तर में इसकी जानकारी दी। बताया, इन परियोजनाओं से 5,874 किमी ट्रैक को कवर किया जाएगा। करीब 92 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। इन परियोजनाओं पर 2023 से काम चल रहा है, जो 2029 तक पूरा होगी।

रेल मंत्री वैष्णव के मुताबिक, मार्च 2024 तक 5874 किमी नेटवर्क में से 1,313 किमी को चालू कर दिया गया है। इस पर अब तक 28,366 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं।

प्रदेश में 15 नई लाइनों की कुल लंबाई 1,740 किमी है और इसकी लागत 29,156 करोड़ रुपए है। अभी तक 297 किमी का काम ही पूरा हो पाया है। इस पर 8,672 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं।

वहीं, 261 किमी की तीन गेज परिवर्तन पर भी काम चल रहा है। इसकी कुल लागत 2,453 करोड़ रुपए है। इस पर अभी तक 26 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। जबकि 60,392 करोड़ की लागत वाली 49 दूसरी-तीसरी लाइन परियोजनाओं की कुल लंबाई 3,873 किमी है। अभी तक 1,016 किमी का काम पूरा हो चुका है। इस पर 19,668 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। अन्य पर काम चल रहा है।

तीसरी लाइन का निर्माण उन व्यस्त मार्गों पर हो रहा है, जहां डबल लाइन की क्षमता भी कम पड़ रही है। यह ट्रेनों की संख्या बढ़ाने और टाइमिंग कम करने के लिए किया जा रहा है।

डोमिनगढ़-गोरखपुर: पूर्वोत्तर रेलवे के इस खंड में तीसरी लाइन का निर्माण 12 अप्रैल 2025 से शुरू होगा। इसके चलते वंदे भारत सहित 50 से अधिक ट्रेनें प्रभावित होंगी। यह कार्य ट्रैफिक बढ़ाने और कनेक्टिविटी सुधारने के लिए है। यह परियोजना डोमिनगढ़, गोरखपुर जंक्शन, गोरखपुर कैंट और कुसम्ही स्टेशनों को जोड़ते हुए लगभग 21.15 किमी लंबी है। इसकी अनुमानित लागत 186.85 करोड़ रुपए है।

गोरखपुर कैंट से कुसम्ही खंड का कार्य पूरा हो चुका है। गोरखपुर जंक्शन से डोमिनगढ़ खंड (लगभग 3 किमी) पर अब काम होने जा रहा है। इसके अलावा गोरखपुर जंक्शन से कैंट स्टेशन के बीच रामगढ़ ताल के निकट 36 मीटर लंबा एक नया पुल बनाया जा रहा है, जो तीसरी लाइन को प्लेटफार्म 1 और 2 से सीधे जोड़ेगा। इससे ट्रेनों को आउटर पर रुकने की आवश्यकता नहीं होगी, और मालगाड़ियां भी बिना रुके चल सकेंगी।

इस परियोजना के लिए पहले 105 करोड़ रुपए दिए गए थे। बाद में 62 करोड़ रुपए अतिरिक्त स्वीकृत किए गए हैं। इस परियोजना के पूरा होने से गोरखपुर और आगे बिहार रूट तक ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने में मदद मिलेगी।

प्रयागराज-पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन (मुगलसराय): 150 किमी लंबे इस रेल खंड पर 2,649.44 करोड़ की लागत से तीसरी लाइन का निर्माण 2019 में मंजूरी मिलने के बाद शुरू हुआ। यह दिल्ली-हावड़ा मुख्य मार्ग का हिस्सा है और बहुत व्यस्त है। इस परियोजना को 2023-24 तक पूरा होने करने लक्ष्य था, लेकिन अभी ये पूरा नहीं हो पाया। पिछले वर्ष रेलवे ने 350 करोड़ और इस बार 800 करोड़ रुपए आवंटित किया है।

रेलवे ने चौथी लाइन के लिए भी अक्टूबर 2024 में वाराणसी से पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन के बीच मल्टी-ट्रैकिंग परियोजना को मंजूरी दी है। इसमें गंगा नदी पर एक नया रेल-कम-रोड पुल और तीसरी व चौथी लाइनों का निर्माण शामिल है। इस परियोजना की अनुमानित लागत ₹2,642 करोड़ है। इसे चार वर्षों में पूरा करने का लक्ष्य है। वर्तमान में, तीसरी और चौथी लाइनों के बिछाने का कार्य चल रहा है।

मथुरा-आगरा-झांसी: इस मार्ग पर तीसरी लाइन का काम चल रहा है, जो दिल्ली-मुंबई रूट का हिस्सा है। कीथम से भांडई तक 26 किमी के हिस्से में काम आखिरी चरण में है। मथुरा-आगरा-झांसी रेलवे मार्ग पर तीसरी लाइन बिछाने की परियोजना 2020 से शुरू हुई थी। 274 किमी और 4,377.13 करोड़​ की लागत वाली इस परियोजना को वर्ष 2015–16 में स्वीकृति मिली थी। 248 किमी के हिस्से में तीसरी लाइन का कार्य पूरा हो चुका है।

कानपुर-झांसी: 218 किमी वाले इस रूट पर रेलवे ने तीसरी लाइन की योजना तो तैयार की है, पर अभी इस पर डबल लाइन ही संचालित है। इस रेलखंड के झांसी–बीना के बीच तीसरी लाइन का काम पूरा हो चुका है। अगले वित्तीय वर्ष में कानपुर–झांसी रेलखंड पर भी तीसरी लाइन बिछाने की तैयारी है।

मानिकपुर–इरादतगंज : इटारसी–प्रयागराज रेलवे रूट पर स्थित है। चित्रकूट के मानिकपुर से प्रयागराज के इरादतगंज के बीच 83 किमी तीसरी लाइन बिछाने की मंजूरी नवंबर, 2024 में मिली है। 1507 करोड़ की लागत वाली ये परियोजना 2028 में पूरी होगी। इसके पूरा होने से आउटर पर यात्री और मालगाड़ियों को नहीं रुकना पड़ेगा। अभी मालगाड़ियों को ढाई घंटे तक रुकना पड़ता है। वहीं, यात्री ट्रेनों को भी 30 मिनट से एक घंटे तक रुकना पड़ता है।

कानपुर–उन्नाव : 20 किमी वाले इस हिस्से में तीसरी लाइन बिछाने को मंजूरी मिल चुकी है। इसमें गंगा पर एक पुल भी प्रस्तावित है। इससे कानपुर से लखनऊ की ट्रेनों की रफ्तार बढ़ जाएगी।

बाराबंकी–मल्हौर : 32 किमी वाले इस रेलवे रूट पर तीसरी व चौथी लाइन बिछाने का काम चल रहा है। 450 कराेड़ की लागत वाले इस लाइन के पूरा होने पर गोरखपुर और अयोध्या रूट पर चलने वाली 150 ट्रेनों की रफ्तार बढ़ जाएगी। इस रूट की ट्रेनें मल्हौर होकर ही चारबाग और गोमती नगर के रास्ते ऐशबाग की जाती हैं।

यूपी में 15 नए रेलवे रूट पर भी चल रहा काम

संतकबीर नगर–बहराइच (श्रावस्ती होते हुए) : 240 किमी लंबी लाइन पर लगभग 5 हजार करोड़ खर्च होंगे। जमीन अधिग्रहण के साथ ट्रैक बिछाने का काम चल रहा है। बहराइच, बलरामपुर, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर और संत कबीर नगर जुड़ जाएंगे।
देवरिया–हाटा–कुशीनगर : प्रस्तावित है।
बहराइच–अयोध्या : प्रस्तावित है।
मिर्जापुर–सोनभद्र : इस ट्रैक को रीवा से जोड़ा जाएगा। इसका सर्वे पूरा हो चुका है।
प्रयागराज–प्रतापगढ़ नई लाइन : प्रस्तावित है।
चित्रकूट–महोबा : फाइनल सर्वे हो चुका है।
फतेहपुर–रायबरेली : सर्वेक्षण होना है।
हरदोई–बहराइच : 60 किमी इस लाइन का सर्वे होना है।
ललितपुर–चंदेरी–विदिशा : 80 किमी इस ट्रैक का फाइनल सर्वे हो चुका है।
गोंडा–बहराइच (वाया जरवल) : 57 किमी वाले इस ट्रैक का सर्वे हो चुका है। यह बहराइच, संतकबीरनगर, लखनऊ व बिहार के बीच यात्रा को सुगम बनाएगी।
गोरखपुर–रुद्रपुर : प्रस्तावित
फैजाबाद–रुस्तमपुर : प्रस्तावित है।
चंदौली–चकिया : अभी ये प्रस्तावित है।
आनंदनगर–महाराजगंज–घुघली : 53 किमी वाली 958 करोड़ की लागत वाली इस ट्रैक पर 7 स्टेशन बनेंगे। जमीन का अधिग्रहण चल रहा है।
शाहगंज–ऊंचाहार (प्रस्तावित) : यह जौनपुर, सुल्तानपुर, अमेठी, प्रतापगढ़ और रायबरेली जिलों को जोड़ेगी। 174 किमी लंबी इस परियोजना की लागत 380 करोड़ है। सर्वेक्षण हो चुका है। निर्माण की स्वीकृति के लिए रेलवे बोर्ड को भेजा गया है।

हाल ही में डबल लाइन में परिवर्तित
प्रतापगढ़-पिरथीगंज-गौरा: मार्च 2025 में इस खंड में डबलिंग का काम पूरा होने की प्रक्रिया में है। 20-26 मार्च 2025 तक यहां डबलिंग कार्य के कारण ट्रेनों को प्रभावित किया गया।
चोपन-चुनार: धनबाद रेल मंडल के तहत इस सिंगल लाइन को डबल लाइन में बदला जा चुका है या बदलने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। 2023 में मंजूरी मिली थी।
रेलवे रूट के दोहरीकरण और तीसरी लाइन बिछाने का फायदा
प्रदेश में कई प्रमुख रेल मार्गों पर दोहरीकरण का काम चल रहा है। सभी रेल लाइनों का विद्युतीकरण हो चुका है। दोहरीकरण लाइन होने के बाद लखनऊ-कानपुर, प्रयागराज-वाराणसी, और दिल्ली-लखनऊ रूट पर अब 160 किमी प्रति घंटे की स्पीड तक ट्रेनों का संचालन किया जा सकता है। यूपी में संचालित वंदे भारत ट्रेनों के संचालन में मदद मिलेगी। वहीं, ट्रेनों की औसत रफ्तार 50 से बढ़कर 100–110 किमी प्रति घंटे हो जाएगी। ट्रेनों को आउटर पर नहीं रुकना पड़ेगा। मालगाड़ियों की भी रफ्तार बढ़ेगी। इससे माल परिवहन में फायदा मिलेगा।

हाई-स्पीड ट्रेनों को चलाने में मिलेगी मदद
दिल्ली-वाराणसी कॉरिडोर पर रेलवे अगले कुछ वर्षों में हाई-स्पीड ट्रेनों का संचालन करने जा रही है। इसी के चलते यहां तीसरी लाइन बिछाई जा रही है। ये रूट आगे कोलकाता के हावड़ा तक जाती है। इस रूट पर रेलवे अगले चरण में 180 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से वंदे भारत ट्रेनों का संचालन शुरू करने की तैयारी में है।

रेलवे की भविष्य की प्लानिंग (2027 और उसके बाद)
राष्ट्रीय रेल योजना 2030: इसमें यूपी को शामिल करने वाले कई हाई-स्पीड कॉरिडोर प्रस्तावित हैं। दिल्ली-वाराणसी और वाराणसी-हावड़ा के अलावा, लखनऊ को अन्य शहरों से जोड़ने की योजना पर काम होगा।
संभावित नए रूट: लखनऊ-प्रयागराज या लखनऊ-गोरखपुर जैसे छोटे हाई-स्पीड खंड भविष्य में प्रस्तावित हैं ।
समय सीमा: दिल्ली-वाराणसी कॉरिडोर के 2030 तक शुरू होने की संभावना हैं।
 
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