पूर्व डिप्टी जेलर मीना कन्नौजिया पर कार्रवाई की संस्तुति, रेप के आरोपी को बिना बिमारी के अस्पताल में रखने का आरोप
ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. पूर्व जेल अधीक्षक जिला कारागार वाराणसी उमेश सिंह के खिलाफ मोर्चा खोलने वाली पूर्व डिप्टी जेलर मीना कन्नौजिया की मुश्किलें बढ़ गयी हैं। जिलाधिकारी राजलिंगम ने मीना कन्नौजिया और जिला चिकित्सालय के डॉक्टर शिवेश जायसवाल के विरुद्ध कार्रवाई के लिए शासन को चिट्ठी लिखी है। यह कर्रवाई डीएम ने जेल अधीक्षक राजेश कुमार की रिपोर्ट के आधार पर किया है।
डिप्टी जेलर मीना कन्नौजिया पर चंदौली की एक दुष्कर्म पीड़िता ने आरोप लगाए थे। महिला ने डीएम को दी प्रार्थना पत्र में कहा था कि जेल में बंद दुष्कर्म का आरोपी बिना किसी बिमारी के जिला जेल के वार्ड नंबर 7 में 32 दिन तक एडमिट रहा। इस दौरान उसकी पत्नी रोजाना रात भर वहां रहती। साथ ही उसके मिलने वाले दिन भर वहां रहते। इसपर डीएम ने जांच करवाई थी। जिसमें डिप्टी जेलर मीना कन्नौजिया और डॉ शिवेश जायसवाल दोषी पाए गए हैं।
दुष्कर्म के आरोपी चंदौली से किया गया था गिरफ्तार
चंदौली की एक महिला ने मुरली उर्फ प्रभु जी पर सितंबर 2024 में दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया था। इसपर चंदौली पुलिस ने उसे दुसरे दिन ही गिरफ्तार कर जिला कारागार चौकाघाट, वाराणसी भेज दिया था। चंदौली में जेल न होने की वजह से वाराणसी कारागार में ही चंदौली के भी बंदी रखे जाते हैं। उस दिन उसका जो मेडिकल हुआ था। उसमें वह पूर्ण रूप से स्वस्थ था।
कुछ ही दिन बाद पहुंच गया अस्पताल, सीपी से हुई शिकायत
महिला के पति ने पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल से मिलते हुए शिकायत दर्ज कराई थी कि - मेरी पत्नी से दुष्कर्म का आरोपी बिना किसी बिमारी के जिला अस्पताल के प्राइवेट वार्ड संख्या 7 में 32 तक रहा। जहां रात में उसकी पत्नी उसके साथ रहती थी। वहीँ दिन भर में 12 से 15 लोग उससे मिलने आते रहे और नियम विरूद्ध उसकी अभिरक्षा में चंदौली पुलिस के दो जवान तैनात रहे।
मेडिकल बोर्ड बनवाकर जांच की डीएम को लिखा लेटर
सीपी मोहित अग्रवाल ने इस शिकायत पर डीएम को मेडिकल बोर्ड बनवाकर इस शिकायत की जांच के लिए लिखा था। इसपर डीएम एस राजलिंगम ने एडीएम भू राजस्व विपिन कुमार और डिप्टी सीएमओ डॉ पीयूष राय की जांच समिति बनाई थी। जिन्होंने 28 दिसंबर 2024 को जेल पहुंचकर इस मामले में जांच किया था।
30 नवंबर 2024 से 31 नवंबर 2024 तक भर्ती रहा आरोपी
इस रिपोर्ट ने जांच अधिकारियों ने बताया है - प्रथम दृष्टया मरीज अस्वस्थ प्रतीत नहीं हुआ। चंद्रभूषण के बेड हेड टिकट के अनुसार उसे इतने लंबे समय तक इलाज की जरूरत नहीं थी। इसके अलावा अभिरक्षा में तैनात हेडकांस्टेबल सुशील यादव के पास कोई ऐसा रजिस्टर नहीं मिला है। जिसपर चंद्रभूषण से मिलने आने वालों की इंट्री हो। वहीं अभिरक्षा में तैनात चंदौली पुलिस के सशस्त्र जवान मोहन कुमार और मेराज खान और डॉ शिवेश जायसवाल की संलिप्तत्ता मिली है।
डीएम ने भेजा शासन को पत्र
इस समबन्ध में जब डीएम ने जिला जेल से रिपोर्ट मांगी तो मौजूदा जेल अधीक्षक राजेश कुमार ने जांच रिपोर्ट में बताया कि यदि जेल से कोई कैदी अस्वस्थ होकर जेल में बंद होगा तो वाराणसी के जवान तैनात होंगे। मीना कन्नौजिया ने नियम विरुद्ध जाकर चंदौली के जवानों को तैनात किया जो कि नियमविरुद्ध है। फिलहाल डीएम ने डॉ शिवेश राय के लिए चिकित्सा स्वास्थ्य, परिवार कल्याण एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव और कारागार प्रशासन एवं सुधार सेवा के पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखा है।