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खरमास हुआ खत्म...अब गूंजेगी शादी की शहनाई, 14 अप्रैल से 9 जून तक विवाह के मुहूर्त

ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. पूरे देश में खरमास समाप्त होते ही लगन की शहनाई बज उठी। शादी विवाह सहित सभी मांगलिक कार्य शुरू हो गये है। स्थानीय बाजार लगन की ओर टकटकी लगाए देख रहा है।इस वर्ष वैशाख व जेठ महीने में लग्न है, लेकिन आषाढ़ मास में एक भी शादी विवाह का मुहूर्त नहीं है। गर्मी में शादी विवाह के कुल 30 लग्न मुहूर्त हैं। 11 जून से गुरु पश्चिम दिशा में अस्त हो जाएंगे। उसके बाद मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाएगी।
14 अप्रैल से 9 जून तक विवाह के मुहूर्त
काशी के आचार्य विकास पांडेय ने बताया- सूर्य 14 अप्रैल को मेष राशि में प्रवेश कर चुके हैं, सूर्य जब एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं, तब वह दिन संक्रांति के नाम से जाना जाता है। सूर्य के मेष राशि में आने से शादी विवाह के साथ नामकण, गृह प्रवेश, यज्ञोपवित, मुंडन आदि शुभ कार्य शुरू हो जाएंगे। इस बार 14 अप्रैल से 9 जून तक विवाह के 30 शुभ मुहूर्त बन रहे हैं।
आचार्य विकास ने बताया क्यों जरूरी है लग्न का मिलान।

आचार्य विकास पाण्डेय ने कहा - सात मार्च से होलाष्टक लग गए थे और फिर 14 मार्च को सूर्यदेव गुरु ग्रह की राशि मीन में प्रवेश कर चुके थे, इसके साथ ही खरमास शुरू हो गया था। होलाष्टक और खरसमा के चलते शुभ व मांगलिक कार्यक्रम पर विराम लग गया था। अब 14 अप्रैल से 9 जून तक शादी, गृह प्रवेश, भूमि-भव, मूर्ति प्रतिष्ठा, मुंडन, यज्ञोपवीत संस्कार, मांगलिक कार्यों के अनेक शुभ मुहूर्त रहने वाले हैं।

अब जानिए कैसे तैयार होगा है लग्न की तिथि
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि वर-वधू कुंडली में ग्रह नक्षत्र देखकर ही लग्न तय की जाती है। जिस लग्न मे गुरु और शुक्र अस्त ना हो वो शुभ माना जाता है. इसके साथ ही सभी ग्रह शुभ स्थिति मे हो. जैसे लग्न मे सूर्य पहले और सातवें भाव मे ना हो, चन्द्रमा पहले छठें और आठवें भाव मे ना हो, गुरु सातवे और आठवें भाव मे ना हो,शुक्र तीसरे सातवें और आठवें भाव मे ना हो,इन चीजों को देख कर भी लग्न त्यार किये जाते है।

आचार्य विकास ने कहा - हिंदू धर्म में शादी विवाह या फिर कोई भी मांगलिक कार्य शुभ तिथि और मुहूर्त देखकर ही किया जाता है। माना जाता है कि तभी शुभफल की प्राप्ति होती है। इससे वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है। वहीं विवाह में लग्न का बेहद खास महत्व होता है। बिना लग्न के शादी दोष मानी जाती है। विवाह मे लग्न सावधानी पूर्वक निकाली जाती है। गलत लग्न मे शादी होने से शादी के बाद वैवाहिक जीवन मे नकरात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
 
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