पूर्व जेल अधीक्षक उमेश सिंह निलंबित, डिप्टी जेलर मीना कन्नौजिया पर भी गिरी गाज
ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. वाराणसी जेल के पूर्व जेल अधीक्षक और इस समय सोनभद्र जिला जेल के अधीक्षक के पद पर तैनात उमेश सिंह को शासन ने निलंबित कर दिया है। उनपर एक विचाराधीन कैदी को कोर्ट के बिना रिहाई आदेश के फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल कर के रिहा करने का आरोप लगा था। इस पर सामने आये फर्जी रिहाई आदेश और कुछ दिन पहले रिहा कैदी के सामने आने के बाद मामले की संघन जांच के बाद कार्रवाई की गई है।
वहीं इसी मामले में तत्कालीन डिप्टी जेलर मीना कन्नौजिया भी निलंबित कर दिया गया है।
कुछ ही दिन पहले पूर्व डिप्टी जेलर रतन प्रिया द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच के बाद उमेश सिंह पर अनुशासनत्मक कार्रवाई की संस्तुति कारागार प्रशासन ने की थी।
जिला जेल से फर्जी रिहाई आदेश पर कैदी किया रिहा
उमेश सिंह के निलंबन का आदेश कारागार प्रशासन के संयुक्त सचिव ने जारी किया। उन्होंने इस कारण लिखते हुए कहा- उमेश सिंह ने जिला जेल वाराणसी में निरुद्ध विचाराधीन बंदी सुनील कुमार निवासी हाथरस को फर्जी रिहाई दी थी। इस आशय की सूचना समाचार पत्रों और टीवी चैनल के माध्यम से मिली थी। जिसकी जांच वाराणसी परिक्षेत्र के पुलिस उप महानिरीक्षक कारागार ने की थी।
जांच में दोषी पाए जाने पर हुए निलंबित
जिसमें प्रथम दृष्टया उमेश सिंह दोषी पाए गए हैं। उन्होंने अपनी जांच रिपोर्ट में उन्हें तत्कालीन प्रभाव से निलंबित करते हुए उनके विरुद्ध उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली-1999 के नियम-7 के अंतर्गत अनुशासनिक कार्रवाई की संस्तुति की गई है। इस दौरान उन्हें कारागार अधीक्षक, मुख्यालय कारागार प्रशसन एवं सुधार सेवाएं उत्तर प्रदेश से सम्बद्ध किया गया है।
इस निलंबन के पहले रविवार को डिप्टी जेलर मीना कन्नौजिया की बेटी नेहा शाह ने इच्छा मृत्यु की डिमांड किया था। नेहा ने कहा था - मेरी मां को लगातार उमेश सिंह वाराणसी जेल में प्रताड़ित कर रहे थे। हमने कारगर मुख्यालय में दिसंबर 2024 में शिकायत की थी पर कोई सुनवाई नहीं हुई। जिसके बाद मीडिया के पास गयी। उसके बाद थाने गई पर को सुनवाई नहीं हुई। ऐसे में मुझे इच्छा मृत्यु दी जाए। या उमेश सिंह का निलंबन किया जाए।