बाहुबली हरिशंकर तिवारी का बेटा विनय शंकर अरेस्ट, ED ने 754 करोड़ के फ्रॉड में जेल भेजा
ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ/गोरखपुर. समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उनके लखनऊ स्थित आवास से सोमवार की शाम गिरफ्तार कर लिया है। विनय पर बैंक ऑफ इंडिया के क्लस्टर से 754 करोड़ रुपए हड़पने का आरोप है।
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ED की कार्रवाई के दौरान अजीत पांडे के घर में काफी गहमा-गहमी रही। |
पूर्व विधायक की कंपनी गंगोत्री इंटरप्राइजेज के जनरल मैनेजर अजीत पांडे को भी ED ने महराजगंज से अरेस्ट किया है। अजीत विनय शंकर तिवारी के रिश्तेदार भी हैं। उन्हें फोर्स अपने साथ ले जाने लगी तो घर की महिलाएं विरोध करने लगीं। फोर्स के साथ धक्का-मुक्की भी हुई। अजीत के भाई जिला पंचायत सदस्य दीपक पांडे ने आरोप लगाया कि यह सारी कार्रवाई राजनीतिक द्वेष के तहत की जा रही है।
ED ने दोनों को सीबीआई स्पेशल कोर्ट में पेश करने बाद जेल भेज दिया। विनय शंकर तिवारी पूर्वांचल के कद्दावर नेता रहे हरिशंकर तिवारी के बेटे हैं। हरिशंकर तिवारी की मौत हो चुकी है।
ED ने सोमवार सुबह 6 बजे पूर्व विधायक की कम्पनी गंगोत्री इंटरप्राइजेज के लखनऊ, नोएडा, गोरखपुर, मुंबई और दिल्ली के 10 ठिकानों पर छापा मारा था। गोरखपुर में भी दोपहर 1 बजे तक सर्चिंग चली, फिर टीम लौटी। विनय शंकर के भाई कुशल शंकर तिवारी ने कहा- सरकार के इशारे पर सब हो रहा है।
अब विस्तार से पढ़िए...
18 मार्च को ED ने 12 प्रॉपर्टी अटैच की थी
18 मार्च, 2024 को ED ने गंगोत्री इंटरप्राइजेज की 30.86 करोड़ रुपए की 12 प्रॉपर्टी अटैच की थी। इसमें गोरखपुर, लखनऊ और नोएडा की संपत्तियों को जब्त किया गया था।
ED ने इस मामले की मुख्य आरोपी रीता तिवारी और अजीत पांडेय के साथ ही गंगोत्री इंटरप्राइजेज के प्रमोटर्स, डायरेक्टर्स, गारंटर्स और रॉयल एम्पायर मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड और कंदर्प कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के नाम दर्ज संपत्तियों को जब्त किया है। रीता तिवारी पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी की पत्नी हैं।
भाई बोले- सरकार का ये रवैया निंदनीय है
विनय शंकर के भाई कुशल शंकर तिवारी ने कहा- एक कागज का टुकड़ा भी नहीं मिला। अगर ये सरकारी मुलाजिम हैं तो सम्मान करते हैं, लेकिन इस तरह बेवजह दबाव बनाना लोकतंत्र के खिलाफ है। सरकार के इशारे पर ये सब हो रहा है। सरकार का ये रवैया निंदनीय है।
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विनय शंकर के भाई कुशल शंकर तिवारी ने सरकार पर प्रताड़ना का आरोप लगाया है। |
सुबह 6 गाड़ियों से टीम पहुंची थी। कुशल तिवारी और उनके परिवार से भी पूछताछ की गई। टीम ने यह भी कहा है कि जरूरत पड़ने पर नोटिस देकर बुलाया जाएगा।
ED के मुताबिक, गंगोत्री इंटरप्राइजेज के निदेशकों, प्रमोटर, गारंटर ने मिलीभगत कर बैंकों के दिए 754 करोड़ रुपए की कैश क्रेडिट लिमिट को धोखाधड़ी करके हड़प लिया था।
इनमें विनय शंकर तिवारी, पत्नी रीता तिवारी, अजीत कुमार पांडेय की मुख्य भूमिका सामने आई। इसके बाद उनकी 3 शहरों लखनऊ, गोरखपुर और नोएडा की वाणिज्यिक, आवासीय और कृषि भूमि को जब्त किया गया।
दरअसल, बैंकों की शिकायत पर CBI ने इस मामले में केस दर्ज किया था, जिसके आधार पर ED ने भी CBI की FIR में नामजद आरोपियों के खिलाफ मनी लान्ड्रिंग का केस दर्ज कर जांच शुरू की थी।
ED की जांच में सामने आया कि बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले 7 बैंकों के कंसोर्टियम से गंगोत्री इंटरप्राइजेज ने 1129.44 करोड़ रुपए की कैश क्रेडिट लिमिट ली थी। बाद में इसे गंगोत्री इंटरप्राइजेज की सहयोगी कंपनियों में डायवर्ट करके निजी संपत्तियों को खरीदा गया।
ED ने इस मामले में 23 फरवरी, 2024 को विनय शंकर तिवारी और उनके करीबियों के 10 ठिकानों पर छापा मारा था, जहां बैंकों की रकम से खरीदी गई तमाम संपत्तियों के दस्तावेज बरामद हुए थे। इस मामले में ED विनय शंकर तिवारी और उनके करीबियों की करीब 103 करोड़ रुपए की संपत्तियों को जब्त कर चुका है।
विनय शंकर तिवारी ने अपने राजनीतिक करियर कि शुरुआत 2007 में की, लेकिन सफलता नहीं मिली। वह गोरखपुर लोकसभा सीट से योगी आदित्यनाथ के खिलाफ भी चुनाव लड़ चुके हैं। बसपा के टिकट पर 2017 में विनय शंकर तिवारी पहली बार चिल्लूपार सीट से विधायक बने। उन्होंने भाजपा कैंडिडेट राजेश त्रिपाठी को हराया था।
इससे पहले इस सीट से विनय शंकर के पिता पंडित हरिशंकर तिवारी लंबे समय तक विधायक रहे। लेकिन, 2022 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले विनय शंकर तिवारी ने बसपा का दामन छोड़ कर सपा का हाथ थाम लिया। चिल्लूपार विधानसभा सीट से सपा ने विनय शंकर तिवारी को अपना उम्मीदवार घोषित किया था। हालांकि, विनय शंकर तिवारी चुनाव हार गए।