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बनारस में फर्जी पासपोर्ट बनवाकर छिपे बांग्लादेशी को ATS ने दबोचा

ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. असम और बिहार के रास्ते वाराणसी में फर्जी दस्तावेज के साथ रहने वाले घुसपैठिए को मंगलवार की देर रात एटीएस ने कार्रवाई में गिरफ्तार कर लिया। टीम ने उसे सारनाथ म्यूजियम के बाहर एक दुकान से दबोचा, जहां पर वह पिछले कुछ साल से काम कर रहा था।
दलाल का सहारा लेकर घुसपैठिए ने वाराणसी में अपना स्थायी पता भी बना लिया था। इसके लिए दलाल ने फर्जी भारतीय पासपोर्ट, आधार कार्ड और पैन कार्ड सहित अन्य कागजात की मदद से अपने को भारतीय बताना शुरू कर दिया था। हालांकि एटीएस की पूछताछ में उसने सारी बातें कबूल दी।

एटीएस की तहरीर पर सारनाथ थाने में घुसपैठिए के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। एटीएस के अलावा पुलिस भी उससे जुड़े इनपुट खंगाल रही है। एसीपी डा. अतुल अंजान त्रिपाठी ने बताया कि एटीएस ने बांग्लादेशी को गिरफ्तार कर सारनाथ थाने में मुकदमा दर्ज कराया है।

बांग्लादेश के बंदरवन जिले के नायककपारा रूमा निवासी होल मोंग सिंग मार्मा 15 साल पहले घुसपैठियों के साथ सीमा पाकर करके भारत में आया। असम और बिहार में दलाल के जरिए माल्दा टाउन से ट्रेन पकड़कर वाराणसी आ गया। सारनाथ चौक, बरईपुर में वह किराये के मकान में मोंग फ्रू मोग के नाम से कागजात बनवाकर रह रहा था।

घुसपैठियों की तलाश में जटी एटीएस को सारनाथ में होल मोंग सिंग मार्मा की मौजूदगी पता चली तो टीम ने तीन दिन तलाश की। मंगलवार की रात दुकानों के कर्मचारियों का इंटरर्नल वेरीफिकेशन के दौरान वह पकड़ गया। इस समय वह सारनाथ म्यूजियम के पास हैंडीक्रॉफ्ट की दुकान पर काम करता था।

यूपी एटीएस की वाराणसी इकाई ने सारनाथ थाने में आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा कर उसे पुलिस को सौंप दिया। उसके पास से भारतीय पासपोर्ट, आधार कार्ड, पैन कार्ड सहित अन्य महत्वपूर्ण कागजात बरामद किए गए हैं। उसके अन्य दस्तावेजों की जांच की जा रही है। पीएम के आगमन से पहले घुसपैठिए की मौजूदगी के बाद आला अधिकारियों में हड़कंप की स्थिति है।

मोंग फ्रू मोग बांग्लादेशी, बिहार से आया बनारस
यूपी एटीएस की वाराणसी इकाई को सूचना मिली थी कि वाराणसी समेत पूर्वांचल में कई घुसपैठिए पिछले कुछ साल से छिपकर रह रहे हैं। इनकी तलाश में जुटी टीम को सारनाथ में मोंग फ्रू मोग के होने की सूचना मिली, स्थानीय लोगों ने इनपुट दिया कि खंद को बंगाली बताने वाला शत प्रतिशत बांग्लादेशी है।

यह भी बताया कि वह फर्जी कागजात की मदद से सारनाथ में रह रहा है। जांच में मामला सही पाए जाने पर एटीएस की टीम मोंग फ्रू मोग को सारनाथ थाने लाई। एटीएस और पुलिस की पूछताछ में उसने बताया कि म्यांमार में सक्रिय भारत में अवैध तरीके से बसाने वाले गिरोह की मदद से उसने फर्जी भारतीय पासपोर्ट वगैरह बनवाया।

इसके बाद असम और बिहार होते हुए सितंबर 2010 में सारनाथ आया। सारनाथ में वह बुद्धिस्ट टेंपल में हेल्पर का काम करने लगा।सारनाथ के पते पर आधार कार्ड भी बनवा लिया। बुद्धिस्ट टेंपल में कम पैसा मिलने के कारण वह वहां काम करना छोड़ दिया। फिलहाल वह सारनाथ म्यूजियम के समीप हैंडीक्राफ्ट की एक दुकान में 15 हजार रुपये प्रतिमाह पर काम कर रहा था।

म्यांमार की युवती से रचाई शादी
मोंग फ्रू मोग के अनुसार वह बौद्ध धर्म का अनुयायी है। खुद को पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती इलाके का बताकर बरईपुर में उसी मकान में किराये पर 15 साल से किराए पर रह रहा था और इस दौरान उसने शादी भी कर ली। मोंग फ्रू मोग को वर्ष 2019 में म्यांमार के पर्यटकों के सारनाथ आए एक दल के लिए काम करने का मौका मिला।

इसी दौरान उस दल की एक युवती से उसकी दोस्ती हुई। उससे मिलने के लिए वह म्यांमार गया और वर्ष 2019 में ही उससे शादी कर ली। फिलहाल उसकी पत्नी म्यांमार में ही रहती है। वह कभी कभार वाराणसी आती रहती है लेकिन घुसपैठिए के संपर्क में लगातार रहती है। एटीएस और पुलिस की संयुक्त टीम की पूछताछ में उसने बताया कि वर्ष 2010 में अवैध तरीके से मिजोरम आया था।
 
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