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गाजीपुर के जेलर राकेश वर्मा और डिप्टी जेलर सुखवती देवी सस्पेंड, जानिए मामला

ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. गाजीपुर जिला जेल में बंद आरोपियों को अवैध रूप से फोन पर बात कराई जा रही थी। डीजी जेल में इस मामले में जेलर राकेश वर्मा, डिप्टी जेलर सुखवती देवी को निलंबित कर दिया गया है। जेल अधीक्षक अरुण प्रताप सिंह पर कार्रवाई के लिए शासन को पत्र लिखा गया है।
पीड़ितों ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि जेल से कॉल आती है। बंदी उन्हें धमकी देते हुए केस में बयान बदलने की बात कहते हैं। डीजी जेल ने मामले की जांच करवाई गई। जिसमें जेलर, महिला डिप्टी जेलर और जेल अधीक्षक लिप्त पाए गए।

अब पूरा मामला विस्तार से पढ़िए... 28 फरवरी को कुछ युवक-युवतियों ने जेल में बंद फर्जीवाड़े के आरोपी कोचिंग संचालक विनोद गुप्ता द्वारा धमकी दिए जाने की शिकायत की थी। कहा था कि बख्शुबाबा एकेडमी के संचालक विनोद गुप्ता ने सहयोगियों के साथ मिलकर कई युवाओं को बिहार सचिवालय में नौकरी दिलाने का झांसा दिया।

आरोपी ने हर युवक से 10 से 15 लाख रुपए तक वसूले। उन्हें फर्जी नियुक्ति पत्र दिए। कुछ की फर्जी ज्वाइनिंग भी करा दी। फर्जीवाड़े का खुलासा होने पर पीड़ितों की शिकायत पर पुलिस ने कार्रवाई की। विनोद गुप्ता और उसके सहयोगियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। आरोपियों पर अब तक 11 मुकदमे दर्ज हैं।

जेल से फोन कर देता था धमकी मोतिहारी के श्याम यादव (पीड़ित) ने बताया कि आरोपी ने दो बार मुझे फोन किया। 2 लाख रुपए देकर बयान बदलने का दबाव डाला। बिहार की जूली और झारखंड की मीना कुमारी समेत कई पीड़ितों ने भी जेल से धमकी भरे फोन आने की शिकायत एएसपी से की थी।

जांच के बाद डीजी ने की कार्रवाई पीड़ितों ने बताया कि जेल में बंद विनोद गुप्ता उन्हें फोन कर मुकदमा वापस लेने की धमकी देता है। इस शिकायत के बाद पुलिस और जेल प्रशासन ने जांच की। जांच रिपोर्ट के आधार पर डीजी जेल ने जेलर, डिप्टी जेलर को सस्पेंड कर दिया। साथ ही जेल अधीक्षक पर कार्रवाई के लिए शासन को पत्र लिखा है।

डीजी जेल के पीआरओ अंकित ने बताया कि बीते दिनों जेल से फोन कर धमकी दिए जाने की शिकायत मिली थी। डीआईजी जेल को जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। जांच रिपोर्ट के बाद निलंबन की कार्रवाई की गई है।
 
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