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रिश्वत मांगने पर IAS अभिषेक प्रकाश सस्पेंड, बाबू गिरफ्तार; जानें भ्रष्टाचार और घोटालों की कुंडली

ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. यूपी सरकार ने इन्वेस्ट यूपी के सीईओ और पूर्व डीएम लखनऊ अभिषेक प्रकाश को सस्पेंड कर दिया है। उन पर उद्यमी से कमीशन मांगने, डिफेंस कॉरिडोर जमीन घोटाले, एलडीए में धांधली, और बिचौलियों के जरिए भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं। एसटीएफ ने पूरे मामले की जांच के बाद रिपोर्ट सरकार को सौंपी, जिसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कड़ी कार्रवाई के आदेश दिए।
1. उद्यमी से 5% कमीशन मांगने का आरोप

इन्वेस्ट यूपी के सीईओ रहते हुए अभिषेक प्रकाश पर सोलर एनर्जी से जुड़े प्रोजेक्ट के लिए एक उद्यमी से 5% कमीशन मांगने का आरोप है। उद्यमी विश्वजीत दत्त ने आरोप लगाया कि एक बिचौलिए निकांत जैन के जरिए उनसे यह मांग की गई। उद्यमी ने सीएम तक शिकायत पहुंचाई, जिसके बाद एसटीएफ ने जांच शुरू की। निकांत जैन को गिरफ्तार किया गया और अभिषेक प्रकाश को सस्पेंड कर दिया गया।
ये निकांत जैन है, जिसे पुलिस ने गिरफ्तार किया है।
2. डिफेंस कॉरिडोर जमीन घोटाला: नियमों को ताक पर रखकर खेल

लखनऊ के भटगांव में डिफेंस कॉरिडोर के लिए अधिग्रहीत जमीन के मामले में भी तत्कालीन डीएम अभिषेक प्रकाश की भूमिका संदिग्ध पाई गई। भू-अधिग्रहण समिति के अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने तहसील प्रशासन के साथ मिलकर जमीनों की दरें मनमाने तरीके से तय की। 1984 में एससी वर्ग के लिए आवंटित जमीन को गलत तरीके से विक्रय योग्य बनाया गया। भूमि खरीद-फरोख्त में दलालों और अधिकारियों की मिलीभगत से 20 करोड़ का मुआवजा उठाया गया।शासन को दी गई जांच रिपोर्ट में तत्कालीन डीएम को जिम्मेदार ठहराया गया है।

3-एलडीए में वीसी रहते हुए धांधली

लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) के उपाध्यक्ष रहते हुए अभिषेक प्रकाश पर कई बिल्डरों को फायदा पहुंचाने और मनमाने तरीके से सीलिंग व लाइसेंस जारी करने के आरोप लगे हैं। सूत्रों के मुताबिक, एलडीए वीसी रहते उन्होंने कई अवैध निर्माण गिरवाए, लेकिन अपने करीबी बिल्डरों को लाभ पहुंचाया। अंसल, आशियाना समेत कई इलाकों में मनपसंद बिल्डर्स को लाइसेंस जारी किए गए। एलडीए अधिकारियों से मिलीभगत कर बिल्डरों की फाइलें लटकाने और काम में देरी करवाने के भी आरोप हैं।
4.भ्रष्टाचार की कड़ी: अलीगढ़, लखीमपुर, हमीरपुर में भी चर्चाएं

लखनऊ के अलावा अभिषेक प्रकाश जब डीएम अलीगढ़, लखीमपुर खीरी और हमीरपुर रहे, तब भी उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे।अलीगढ़ में जमीन खरीद-बिक्री में धांधली की शिकायतें थीं। लखीमपुर में सरकारी टेंडरों में हेरफेर की चर्चाएं थीं। हमीरपुर में भी खनन माफियाओं से सांठगांठ के आरोप लगे थे।

5. STF जांच के बाद एक्शन, बचाने की भी हुई थी कोशिश

सूत्रों के मुताबिक, एसटीएफ की रिपोर्ट कई दिनों तक शासन में घूमती रही। कुछ अधिकारियों ने अभिषेक प्रकाश को बचाने की कोशिश भी की, लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसी तरह की रियायत देने से इनकार कर दिया। इसके बाद तत्काल सस्पेंशन का आदेश जारी कर दिया गया।

6. IAS टॉपर से घोटालों तक का सफर

यूपीएससी 2005 बैच के IAS अफसर अभिषेक प्रकाश की ऑल इंडिया 8वीं रैंक थी। पहले नागालैंड कैडर मिला था, बाद में यूपी में कैडर ट्रांसफर करवाया। आईआईटी रुड़की से इंजीनियरिंग, फिर पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में एमए किया। लखनऊ, अलीगढ़, लखीमपुर, हमीरपुर के जिलाधिकारी रहे।

7. आलीशान संपत्तियां और लाइजनिंग सिंडिकेट का नेटवर्क

सूत्रों के मुताबिक, अभिषेक प्रकाश ने लखनऊ में डीएम रहते हुए कई बेशकीमती संपत्तियां जुटाईं। अंसल में एक घर, आशियाना में कोठी और एक सोसाइटी में विला होने की बात सामने आई है। बिचौलिए निकांत जैन और लकी जाफरी से करीबी संबंध थे, जो IAS अधिकारियों के लिए लाइजनिंग करते थे। निकांत और जाफरी ने कई बार महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स की फाइलों को क्लियर कराने के लिए कमीशन डील कराई। निकान्त जैन की गिरफ्तारी उद्यमी से 5% कमीशन मांगने के मामले में यूपी एसटीएफ ने गिरफ्तारी की है।

यूपी इन्वेस्टमेंट के CEO रहते क्या-क्या किया
इन्वेस्ट यूपी में भ्रष्टाचार: निवेशकों की फाइलें रोकीं, पैसे के बिना मंजूरी नहीं दी गई।
अयोध्या-वाराणसी प्रोजेक्ट रोके: इन शहरों में विकास परियोजनाओं से जुड़ी फाइलें लटकाईं।
डिफेंस कॉरिडोर घोटाला: लखनऊ के भटगांव में जमीन अधिग्रहण घोटाले में नाम आया।
अब की जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि अभिषेक प्रकाश ने अयोध्या और वाराणसी में महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स को फंसा रखा था।
सरकार की प्राथमिकता वाले इन शहरों में निवेश रोकने को लेकर कई शिकायतें मिली थीं।

कौन-कौन जांच के दायरे में
निकांत जैन - IAS अधिकारियों के लिए लाइजनिंग करता था, निवेशकों से डील करता था।
लकी जाफरी - सिंडिकेट का हिस्सा, घोटालों में शामिल।
फार्मा कॉलेज संचालक - ED की जांच में 100 करोड़ के छात्रवृत्ति घोटाले में नाम।
STF की जांच अभी जारी है, कई और खुलासे हो सकते हैं।

अब आगे क्या होगा
अभिषेक प्रकाश को राजस्व परिषद से संबद्ध कर दिया गया है और अब बिना अनुमति मुख्यालय नहीं छोड़ सकेंगे। सरकार आगे की जांच में और कड़ी कार्रवाई कर सकती है। उनके अलीगढ़, लखीमपुर और अन्य जिलों में किए गए कार्यकालों की भी जांच शुरू हो सकती है।
 
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