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कहानी: परफैक्शन

जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए बाहरी रूप से नहीं अंदर से परफैक्ट इंसान चाहिए था, मगर अमित ने मुनमुन से इसलिए सगाई तोङ ली क्योंकि उस के कुछ बाल सफेद हो गए थे। बाहरी सौंदर्य को तवज्जो देने वाले अमित को एक समय ऐसा लगा कि उस ने मुनमुन से रिश्ता तोङ कर बङी गलती.
अमित अभी सो ही रहा था कि पल्लवी ने एकदम से उस की चादर खींच ली. अमित आंख मलते हुए बोला,”क्या बदतमीजी है यह…” पल्लवी कटाक्ष करते हुए बोली,”तुम्हारे बराबर ही कमाती हूं, तो तुम्हें भी घर के कामों में बराबरी का योगदान देना होगा।”

अमित बोला,” कल कह तो दिया था कि एक मेड लगा लो। मेरा फील्ड का काम रहता है, मैं बहुत थक जाता हूं।”

पल्लवी तमतमाते हुए बोली,”मेरे पास फालतू पैसे नही हैं। तुम कर पाओगे इतना अफोर्ड?”

अमित इस से पहले कुछ बोल पाता पल्लवी ने अमित की मम्मी को लानतसलामत भेजनी शुरू कर दी थी,”अगर तुम्हारी मम्मी ने तुम्हें अच्छे से पाला होता तो मुझे ये दिन न देखने पड़ते।”

उधर नींद में अधखुली आंखें लिए स्नेहा डरीडरी खड़ी थी. अपनी मम्मी पल्लवी के इस चंडी रूप से वह भलीभांति परिचित थी मगर फिर भी उस 7 साल की छोटी सी जान को ऐसी सुबह से रोज डर लगता था. पल्लवी का बड़बड़ाना और अमित के हाथ एकसाथ बड़ी रफ्तार से चल रहे थे. अमित ने फटाफट औमलेट के लिए अंडे फेंटे और जल्दीजल्दी अपना नाश्ता बनाया. उधर पल्लवी अपने लिए अलग से नाश्ता बना रही थी.

जब अमित स्नेहा को तैयार कर रहा था कि अचानक से बाल बनाते हुए उसे सफेद बाल दिखाई दिए। एकाएक उस का हाथ ठिठक गया था. क्या स्नेहा के साथ भी वही कहानी दोहराई जाएगी? अचानक से अमित के अतीत के पन्नों से हंसतीमुसकराती मुनमुन सामने आ कर खड़ी हुई थी…

मुनमुन का औफिस में पहला दिन था। अमित ने उस की जौइनिंग के समय थोड़ीबहुत मदद करी थी. मुनमुन की गुलाब की पंखुड़ियों की तरह खुलती हुई बड़ीबड़ी आंखें, चिड़िया की तरह छोटेछोटे अधखुले गुलाबी होंठ, कंधे तक कटे हुए बाल जिन्हें वह हमेशा बांध कर रखती थी मगर सब से प्यारी थी मुनमुन की बच्चों जैसी भोली हंसी जो किसी को भी 2 मिनट में अपना बना सकती थी.

अमित न चाहते हुए भी मुनमुन की तरफ खींचा जा रहा था मगर मुनमुन अमित से खींचीखींची ही रहती थी. अमित को समझ नहीं आ रहा था की आखिर मुनमुन उस के साथ ऐसा क्यों कर रही है?

अमित बेहद आकर्षक, खातेपीते परिवार का इकलौता बेटा था. आज तक लड़कियां ही उस के पीछे भागती थी मगर मुनमुन न जाने क्यों उसे भाव नहीं दे रही थी. अमित की बहुत कोशिशों के बाद मुनमुन आखिरकार एक दिन डिनर के लिए मान गई थी. अमित इस से पहले बहुत सारी लड़कियों के साथ डिनर कर चुका था मगर आज न जाने क्यों वह बेहद नर्वस हो रहा था. तभी काले सूट में मुनमुन आई। आज उस ने अपने बाल खोल रखे थे जो मुनमुन के चांद जैसे चेहरे को और आकर्षक बना रहे थे.

मुनमुन ने एक झटके से अपने बालों को हाथों से पीछे किया और अमित का दिल अपनी मुट्ठी में कैद कर लिया. अमित को हर चीज में परफैक्शन पसंद था. अपनी बीबी के लिए तो वैसे ही उस ने बड़ेबड़े सपने देख रखे थे. मुनमुन अमित के हर सपने पर खरी उतरती थी.

मुनमुन ने अपने सौंदर्य और अपने व्यवहार से उस रात अमित को चारों खाने चित्त कर दिया था. डिनर समाप्ति के बाद अमित ने मुनमुन का हाथ अपने हाथों में लेते हुए कहा,”अब अगली बार कब मुझ से मिलोगी?”

मुनमुन ने धीरे से हाथ छुड़ाते हुए कहा,”अमित, अगर विवाह के लिए इच्छुक हो तो मेरे मम्मीपापा से आ कर बात कर लेना. वे लोग अगले हफ्ते कोलकाता से आ रहे हैं।”

अमित खिलंदङ किस्म का युवक था, इसलिए हंसते हुए बोला,”अरे बंगाली लड़कियां तो इतनी जल्दी शादी के बंधन में नही बंधती हैं।”

मुनमुन उठते हुए बोली,”मगर मैं अपना समय डेटिंग में वेस्ट नहीं करना चाहती हूं।”

अमित ने फिर आगे कुछ नहीं कहा. पूरे हफ्ते मुनमुन अमित को अवाइड करती रही थी. अमित ने अब ठान लिया था कि जैसे भी हो इस बंगालन को अपनी दुलहन हर हाल में बना कर ही रहूंगा.

रविवार की अलसाई सी दोपहर थी, अमित यों ही टीवी के साथ खिलवाड़ कर रहा था. तभी मुनमुन का फोन आया,”मम्मीपापा तुम से मिलना चाहते हैं।”

अमित फटाफट तैयार हो कर पहुंच गया था. मुनमुन के मम्मीपापा ने अमित से थोड़ीबहुत बातचीत करी और अपनी स्वीकृति की मुहर लगा दी थी.

मुनमुन के पापा ने फिर कहा,”अमित, अपने मम्मीपापा को कोलकाता भेज देना और फिर हम उन से मिलने दिल्ली चले जाएंगे। इस बीच तुम दोनों घूमोफिरो, एकदूसरे को अच्छे से समझ लो।”

फिर तो अमित का दिन सोना और रात चांदी हो गई थी. अमित को मुनमुन के बालों से बड़ा प्यार था. अमित के खुद के बाल थोड़े हलके थे, इसलिए उस ने पहले ही सोच रखा था कि उस की पत्नी के घने व काले बाल होंगे ताकि उस के बच्चे एकदम परफैक्ट हों.

उस दिन रविवार था। रातभर अमित और मुनमुन फोन पर बात करते रहे थे. अचानक से अमित का मन किया कि क्यों नहीं वह मुनमुन के साथ ही नाश्ता करे. वह मुनमुन को सरप्राइज करना चाहता था. जैसे ही अमित ने दरवाजे की घंटी बजाई, मुनमुन ने दरवाजा खोला तो अमित उसे देख कर हक्कबक्का रह गया था. मुनमुन हेयर कलर लगाई हुई थी।

अमित बोला,”यह क्यों लगा रखा है? जल्दी से बाल वाश करो। मुझे तुम्हारे बाल नैचुरल ही पसंद हैं।”

मुनमुन बोली,”अमित मैं तो हमेशा से ही हेयर कलर करती हूं।”

अमित बोला,”मुझे कुछ नहीं सुनना। मैं तुम्हें जैसी हो वैसे ही देखना चाहता हूं. 1-2 सफेद बालों से मुझे कोई फर्क नही पड़ता है.”

मुनमुन जब नहा कर बाहर आई तो उस ने टावेल से अपने बालों को लपेट रखा था। वह इतनी खूबसूरत लग रही थी कि अमित खुद को रोक नहीं पाया. अमित सोफे पर ही मुनमुन को प्यार करने लगा था कि अचानक से मुनमुन के बालों से टावेल निकल गया, अमित ने देखा मुनमुन के 25% बाल सफेद दिखाई पड़ रहे थे। अमित एकाएक उठ गया और मुनमुन को देलते हुए बोला कि तुम ने कभी बताया नहीं कि तुम्हारे इतने सारे बाल सफेद हैं?

मुनमुन हंसते हुए बोली,”अरे तो मैं इसलिए ही तो हर महीने हेयर कलर करती हूं और इस में बताने वाली कौन सी बात है?”

अमित बोला,”यह धोखा है मुनमुन, तुम्हें यह मुझे पहले ही बताना चाहिए था कि तुम्हारे बाल सफेद हैं। मुझे अपने बच्चो में किसी भी तरह का नुक्स नहीं चाहिए और इतनी कम उम्र में सफेद बाल तो जैनेटिक होते हैं।”

मुनमुन को विश्वास नहीं हो रहा था कि यह वही अमित है जो उस से रातदिन प्यार के वादे करता था. मुनमुन बोली,”अमित, तुम यह क्या कह रहे हो, दरअसल, मेरे बाल सफेद तो स्ट्रैस और जगहजगह का पानी बदलने के कारण हुए हैं। यह इतनी बड़ी बात भी नही है।”

अमित गुस्से में बोला,”मुझे किसी खाला से शादी नहीं करनी है। हेयर कलर करोगी तो 10 साल में ही तुम्हारे बाल आधे हो जाएंगे और 5 साल बाद तो शायद गंजी ही हो जाओ और बिना कलर के तो तुम मेरी मां लगोगी।”

अमित फिर वहां नहीं रुका। मुनमुन को लगा शायद अमित को थोड़ा समय चाहिए इसलिए उस ने अमित को फोन नही किया. मगर अमित पूरे हफ्ते औफिस में मुनमुन को इग्नोर करता रहा था. फिर शनिवार की शाम खुद ही पहल कर के मुनमुन ने अमित को कौल किया तो अमित बोला,”देखो मुनमुन, तुम हर तरह से परफैक्ट लड़की हो मगर मैं बालों के साथ समझौता नहीं कर सकता हूं।”

मुनमुन अमित के प्यार में पागल थी, इसलिए बोली,”एक बार आओ तो सही, मैं तुम्हें सब समझा दूंगी।”

अमित लंच पर आया और मुनमुन की सारी बात सुनी मगर समझी नहीं. जैसे ही अमित मुनमुन के करीब आने लगा तो मुनमुन धीरे से बोली,”तुम्हें अब कोई समस्या तो नही हैं न मेरे बालों से अमित, मैं तुम्हें कोई शिकायत का मौका नही दूंगी। कलर के बाद भी मेरे बाल हलके नहीं होंगे, मैं बहुत ध्यान रखूंगी और जरूरी तो नहीं हमारे बच्चों के बाल मुझ पर ही जाएं।”

अमित बोला,”मुनमुन मैं तुम से बहुत प्यार करता हूं मगर मैं यह शादी नहीं कर सकता हूं।”

मुनमुन लगभग गिड़गिड़ाते हुए बोली,”अमित मेरे मम्मीपापा बहुत निराश हो जाएंगे, क्या मेरी पहचान मेरे सौंदर्य तक ही सीमित है? क्या हमारे प्यार की नींव इतनी कमजोर थी अमित?” अमित की चुप्पी में मुनमुन को अमित का जवाब मिल गया था.

जब अमित अगले दिन औफिस पहुंचा तो मुनमुन 15 दिन की छुट्टी पर चली गई थी। लगभग 1 माह पश्चात मुनमुन ने दूसरी कंपनी जौइन कर ली थी और उस का ट्रांसफर मुंबई हो गया था.

अमित को मुनमुन की बहुत याद आती थी. उस की भोलीभोली आंखें, बातें और हंसी सबकुछ उसे तड़पा देता था मगर वह क्या करे, उसे परफैक्ट जीवनसाथी ही चाहिए था. मुनमुन की फेयरवेल पार्टी पर अमित बोला,”मुनमुन मुझे आशा है कि तुम मुझ से नाराज नहीं होगी।”

मुनमुन मुसकराते हुए बोली,”अमित, मुझे तो खुशी है कि शादी से पहले ही तुम्हारी सचाई सामने आ गई है। मैं तो तुम्हारी शुक्रगुजार हूं, शादी के कारण ही मैं मुंबई की कंपनी का औफर ठुकरा रही थी। मम्मीपापा के दबाव में आ कर तुम से प्यार की भीख मांग रही थी मगर बस अब और नहीं। थैंक यू अमित, अगर तुम न होते तो मैं कभी यह जान नहीं पाती कि मैं कितनी स्ट्रौंग हूं।” उस दिन के बाद मुनमुन हमेशा के लिए अमित की जिंदगी से चली गई थी. उस ने कभी भी पीछे मुड़ कर नही देखा था. अमित को इधरउधर से ही खबर मिलती रही थी कि मुनमुन अपने कैरियर में लगातार आगे बढ़ रही है और जल्द ही मुनमुन विवाह के बंधन में भी बंध गई थी. अमित को अंदर से जलन हुई, उसे लग रहा था कि उस ने एक हीरा छोटी सी बात पर खो दिया था. मगर अमित अपनी आदत से मजबूर था. अमित ने मुनमुन को सोशल मीडिया साइट्स पर फौलो करने की कोशिश करी मगर मुनमुन ने न अमित को ब्लौक किया और न ही उस की रिक्वैस्ट स्वीकार करी. अमित को समझ आ गया था कि वह अब मुनमुन की जिंदगी में कोई माने नहीं रखता है.

करीब 2 साल के बाद पल्लवी के लिए अमित ने हामी भर दी थी. पल्लवी के बेहद घने और लंबे बाल थे। गोरा रंग, गहरी काली आंखें और बेदाग त्वचा. अमित को इस जोड़गुना में अपना मुनाफा ही नजर आया था. शादी से पहले भी अमित पल्लवी से 4-5 बार मिला था और अमित को लगा था कि जिंदगी का सफर आराम से कट जाएगा. मगर पल्लवी से विवाह करने के बाद अमित को यह तो समझ आ गया था कि वह कितना नासमझ था। जिंदगी को परफैक्शन से चलाने के लिए बाहरी रूप से नहीं, अंदर से परफैक्ट इंसान चाहिए था. पल्लवी के बाल शादी के 10 साल बाद भी घने और काले थे मगर फिर भी पल्लवी का सौंदर्य अमित के दिल को बांध नहीं पाया था. पल्लवी हवा से भी लड़ने का बहाना ढूंढ़ती थी.

स्नेहा के स्कूल के सामने जब अमित ने कार रोकी तो स्नेहा बोली,”पापा, मैं लगातार आप से बातें कर रही थी और आप न जाने कहां खोए हुए थे?”

शाम को अमित और पल्लवी स्नेहा को डाक्टर के पास ले कर गए थे. डाक्टर ने चिंतित स्वर में कहा,”7-8 साल की उम्र में ऐसे बाल सफेद तो नहीं होने चाहिए। क्या आप के परिवार में यह जैनेटिक है?”

पल्लवी और अमित के मना करने पर डाक्टर बोली,”फिर यह स्ट्रैस के कारण हो सकते हैं। आपलोग बच्चे को एक हैल्दी और पौजिटिव एनवायरनमैंट दीजिए।”

घर आकर फिर से दोषारोपण शुरू हो गया था कि स्नेहा का अमित खयाल नहीं रख पाया था या पल्लवी के व्यवहार की वजह से स्नेहा का यह हाल हो गया है. स्नेहा फिर से एक कोने में घुसी हुई कांप रही थी. उसे लग रहा था कि अब उस के सफेद बालों के कारण मम्मीपापा की लड़ाई हो रही है.

अमित गुस्से में कार उठा कर बाहर निकल गया था. उसे मालूम था कि पल्लवी के साथ किसी भी तरह की बात करना बेवकूफी है। जब अमित वापस घर आया तो पल्लवी और स्नेहा सो चुकी थी. अमित जैसे ही बाथरूम में अपने चेहरा धोने लगा, उसे लगा पीछे चुपके से मुनमुन की परछाई खड़ी हो कर मुसकरा रही है। बारबार उस के कानो में कह रही है कि अब स्नेहा को कैसे घर से निकलोगे? तुम्हारे परफैक्शन के चक्कर में तुम ने तो अपनी पूरी जिंदगी ही इनपरफैक्ट कर ली है।

अमित ने जैसे ही पीछे मुड़ कर देखा तो स्नेहा सहमी हुई पीछे खड़ी हुई थी. अमित को देखते ही बोली,”पापा, क्लास में सब बच्चे मुझे चिढ़ाते हैं।इस में मेरी क्या गलती है?”

अमित को लगा यही समय है स्नेहा को इस सौंदर्य के भंवरजाल से बाहर निकालने का. अमित बोला,”बेटा, तुम्हारी पहचान इन बालों से नहीं, तुम्हारे व्यक्तित्व से है। खुद पर भरोसा करना सीखो, आज बाल हैं तो कल तुम्हारा वजन हो सकता है, कुछ सालों बाद त्वचा भी हो सकती है। हम इस समस्या पर काम कर रहे हैं और देखना बहुत जल्द तुम इस से बाहर निकल जाओगी।”

तभी पीछे से पल्लवी स्नेहा के कंधे पर हाथ रखते हुए बोली,”बेटा, पापा एकदम ठीक कह रहे हैं। हम लोग एकसाथ इस का सामना करेंगे।”

अमित ने देखा कि स्नेहा के चेहरे से तनाव के बादल छंट रहे थे.अमित को लगा जैसे आज उस ने सही माने में अपने अतीत की परछाई को सदैव के लिए धूमिल कर लिया है. उस की स्नेहा किसी अमित से प्यार की भीख नही मांगेगी, वह सदैव अपनी बेटी के साथ ढाल बन कर खडा रहेगा. - रितु
 
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