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काशी में मुस्लिम महिलाओं ने जमकर खेली होली, बोलीं- नहीं खेलेंगे तो जन्नत में जाकर क्या जवाब देंगे

ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. वाराणसी में बुधवार को मुस्लिम महिलाओं ने जमकर होली खेली। एक-दूसरे पर रंग-गुलाल उड़ाए। वहीं, हिंदू महिलाओं ने फागुन के गीत गाए। मुस्लिम महिला फाउंडेशन और विशाल भारत संस्थान की ओर से आयोजित होली उत्सव में कौमी एकता का रंग दिखा।
मुस्लिम महिला फाउंडेशन की नेशनल सदर नाजनीन अंसारी ने कहा- होली हमारे पूर्वजों और महान भारतीय संस्कृति का त्योहार है। नहीं खेलेंगे, तो हम जन्नत में जाकर अपने पूर्वजों को क्या जवाब देंगे।

लमही स्थित सुभाष भवन में कौमी-एकता होली का आयोजन किया। पहले तो ढोल की थाप पर गीत गूंजे- होली खेले रघुराई अवध में, कृष्ण कन्हाई गोकुल में हो। यहां भारत की सांस्कृतिक एकता को मजबूत करने के लिए हिंदू-मुस्लिम महिलाओं ने गुलालों और पंखुड़ियों की होली खेलकर एकता, प्रेम, सद्भावना और संस्कार का संदेश दिया।

मुस्लिम महिला फाउंडेशन नाजनीन अंसारी ने कहा- इस होली का मकसद है कि नफरत खत्म हो और प्रेम का संबंध बने। एक-दूसरे के चेहरे को रंग-बिरंगा बनाने और अपने हाथ से दूसरे को मिठाई खिलाने का आनंद ही खुशी देने वाला रहता है।

नाजनीन अंसारी ने कहा- यही छोटी-छोटी खुशियां जीवन में रंग भरती हैं और देश को ताकतवर बनाती हैं। होली हमारे पूर्वजों और महान भारतीय संस्कृति का त्योहार है। नहीं खेलेंगे तो हम जन्नत में जाकर अपने पूर्वजों को क्या जवाब देंगे। हम न अरबी हैं, न ईरानी और न तुर्की। इसलिए हम उनकी संस्कृति किसी कीमत पर नहीं मानेंगे।

विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजीव ने कहा- जिन लोगों को होली के रंग से परहेज है, वो रंगरेज को कैसे मना करेंगे, कपड़ों की रंगाई से। बीमार पड़ने पर खून तो वो किसी का भी चढ़वा लेते हैं। जब जान बचानी हो तो कोई हद नहीं। जब देश बचाना हो तो नफरत की आग लगाएंगे। खुशियां और प्रेम बांटने के लिये कोई मजहब दीवार नहीं बन सकती। मजहब की आड़ में नफरत फैलाने वाले लोग अधर्मी और पापी हैं।
 
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