मायावती ने भतीजे आकाश से दूसरी बार उत्तराधिकार छीना; कहा- जीते जी अपना उत्तराधिकारी नहीं बनाउंगी
ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. बसपा प्रमुख मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद से सभी जिम्मेदारियां छीन ली हैं। एक साल में दूसरी बार आकाश आनंद को उत्तराधिकारी और नेशनल कोऑर्डिनेटर पद से हटा दिया है। उन्होंने कहा- जीते जी किसी को भी अपना उत्तराधिकारी घोषित नहीं करूंगी।
मायावती ने यह ऐलान लखनऊ में बसपा कार्यकर्ताओं के साथ बैठक में किया। मायावती ने दो नए नेशनल को-ऑर्डिनेटर नियुक्त किए हैं। आकाश के पिता आनंद कुमार और राज्यसभा सांसद रामजी गौतम को जिम्मेदारी सौंपी है।
बैठक में बसपा के कई राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष भी शामिल हुए। आकाश आनंद मीटिंग में नहीं पहुंचे थे। पहले मंच पर दो कुर्सियां लगाई गई थीं, लेकिन बाद में एक कुर्सी हटा ली गई। मंच पर अकेले मायावती ही बैठी रहीं।
मायावती ने आकाश को कब-कब जिम्मेदारियां सौंपी और हटाया, जानिए
बसपा ने 10 दिसंबर 2023 को यूपी-उत्तराखंड के नेताओं की बैठक बुलाई थी। इसमें मायावती ने अपने सबसे छोटे भाई आनंद कुमार के बेटे आकाश आनंद को उत्तराधिकारी घोषित किया था। पार्टी की विरासत और राजनीति को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने अपने भतीजे पर विश्वास जताया था।
हालांकि, 7 मई 2024 को आकाश की गलतबयानी की वजह से मायावती ने उनसे सभी जिम्मेदारियां छीन ली थीं। आकाश को अपने उत्तराधिकारी पद के साथ ही नेशनल कोऑर्डिनेटर पद से भी हटा दिया था। मायावती ने कहा था कि आकाश अभी अपरिपक्व (इम्मैच्योर) हैं।
हालांकि, 47 दिन बाद मायावती ने अपना फैसला पलट दिया था। 23 जून 2024 को उन्होंने भतीजे आकाश को फिर से अपना उत्तराधिकारी बनाया और नेशनल कोऑर्डिनेटर की जिम्मेदारी भी सौंप दी थी। अब फिर मायावती ने आकाश आनंद से सारी जिम्मेदारियां छीन ली हैं।
मायावती की 3 बड़ी बातें पढ़िए
मेरे लिए पार्टी सबसे पहले, परिवार बाद में मैं यह बताना चाहती हूं कि बदले हुए हालात को देखते हुए अब हमने अपने बच्चों के रिश्ते गैर-राजनीतिक परिवारों में ही करने का फैसला किया। इसका मकसद यह है कि भविष्य में हमारी पार्टी को किसी भी तरह का नुकसान न हो, जैसा कि अशोक सिद्धार्थ के मामले में हुआ। इतना ही नहीं, बल्कि मैंने खुद भी यह निर्णय लिया है कि मेरे जीते जी और आखिरी सांस तक पार्टी में मेरा कोई उत्तराधिकारी नहीं होगा। मेरे लिए पार्टी और आंदोलन सबसे पहले हैं, जबकि परिवार और रिश्ते बाद में आते हैं। जब तक मैं जीवित रहूंगी, तब तक पूरी ईमानदारी से पार्टी को आगे बढ़ाती रहूंगी।
आकाश को हटाने के पीछे उनके ससुर जिम्मेदार कांशीराम के पदचिह्नों पर चलते हुए अशोक सिद्धार्थ, जो आकाश आनंद के ससुर भी हैं। उन्हें पार्टी और मूवमेंट के हित में बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। उन्होंने उत्तर प्रदेश समेत पूरे देश में पार्टी को गुटों में बांटकर कमजोर करने का काम किया था। जहां तक आकाश आनंद का सवाल है, तो यह सभी को पता है कि उनकी शादी अशोक सिद्धार्थ की बेटी से हुई है। अब जब अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से निकाल दिया गया है, तो यह देखना जरूरी होगा कि उनकी बेटी पर उनके विचारों का कितना असर पड़ता है। वह आकाश आनंद को कितना प्रभावित कर सकती हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए पार्टी के हित में आकाश आनंद को सभी जिम्मेदारियों से अलग कर दिया गया है। इसके लिए पार्टी नहीं, बल्कि पूरी तरह उनके ससुर अशोक सिद्धार्थ ही जिम्मेदार हैं, जिन्होंने आकाश आनंद के राजनीतिक करियर को भी नुकसान पहुंचाया है। अब उनकी जगह, पहले की तरह ही आनंद कुमार पार्टी के सभी कार्यों को संभालते रहेंगे।
सपा और भाजपा एक ही सिक्के के दो पहलू मिल्कीपुर में बसपा ने उपचुनाव नहीं लड़ा था। इसके बाद भी समाजवादी पार्टी की करारी हार हुई। अब सपा किसे जिम्मेदार ठहराएगी? क्योंकि पहले सपा ने अपनी हार के लिए बीएसपी को दोषी ठहराने का झूठा प्रचार किया था।सपा और भाजपा एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। सिर्फ अंबेडकरवादी नीति और सिद्धांतों पर चलने वाली बीएसपी ही भाजपा और अन्य जातिवादी पार्टियों को हरा सकती है। यह बात पूरे देश के सभी समाज के लोगों को समझनी चाहिए।
15 दिन पहले आकाश को दिया था अल्टीमेटम
बसपा सुप्रीमो ने 15 दिन पहले भतीजे आकाश आनंद को अल्टीमेटम दिया था। कहा था- बसपा का वास्तविक उत्तराधिकारी वही होगा, जो कांशीराम की तरह हर दुख-तकलीफ उठाकर पार्टी के लिए आखिरी सांस तक जी-जान लगाकर लड़े और पार्टी मूवमेंट को आगे बढ़ाता रहे।
आकाश के ससुर को भी पार्टी से बाहर निकाला
18 दिन पहले मायावती ने भतीजे आकाश आनंद के ससुर अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से निकाल दिया था। उनके करीबी नितिन सिंह को भी पार्टी से बाहर कर दिया। यह एक्शन संगठन में गुटबाजी और अनुशासनहीनता पर लिया था।
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मायावती के साथ डॉ. अशोक सिद्धार्थ। अशोक सिद्धार्थ की बेटी की शादी 2023 में मायावती के भतीजे आकाश आनंद से हुई थी। |
कहा था- दक्षिणी राज्यों के प्रभारी रहे डॉ अशोक सिद्धार्थ और नितिन सिंह चेतावनी के बाद भी पार्टी में गुटबाजी कर रहे थे। इन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने के चलते तत्काल प्रभाव से पार्टी से निष्कासित किया जाता है।