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बनारस के दशाश्वमेध, अस्सी घाट का 41.23 करोड़ रुपए से होगा सौंदर्यीकरण, सुख-सुविधाओं का होगा विस्तार

ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग ने वाराणसी के विभिन्न घाटों के लिए लगभग 41.23 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी दी है। जिनमें 16 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं। यह जानकारी पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने दी। उन्होंने बताया कि इन विकास कार्यों का उद्देश्य देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों को एक विशिष्ट अनुभव प्रदान करना है। घाटों के पुनरोद्धार से उनकी धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक सुन्दरता बनी रहेगी, साथ ही आधुनिक सुविधाएं भी जुड़ेंगी।
जयवीर सिंह ने बताया कि दशाश्वमेध घाट-जीर्णाेद्धार और पर्यटन सुविधाओं के लिए लगभग 8.28 करोड़ रुपए की धनराशि स्वीकृति की गई है, जिसमें 3 करोड़ रुपये जारी किये गये हैं। वहीं गोला से नमो घाट-पर्यटन सुविधाओं के लिए लगभग 6.18 करोड़ रुपये, जिनमें 2.50 करोड़ रुपये जारी किये गये हैं। अस्सी से संत रविदास घाट-घाटों के जीर्णाेद्धार एवं विकास के लिए लगभग 8.25 करोड़ रुपये, जिनमें 3 करोड़ रुपए जारी किये गये हैं।

अस्सी घाट-पुनरोद्धार कार्यों के लिए लगभग 06.21 करोड़ रुपये, जिसमें 2.50 करोड़ रुपये जारी किये गये हैं। अस्सी घाट से दशाश्वमेध घाट-संपूर्ण मार्ग पर पर्यटन सुविधाओं के विस्तार के लिए लगभग 6.15 करोड़ रुपये, जिनमें से 2.50 करोड़ रुपये जारी, दशाश्वमेध घाट से काशी विश्वनाथ मंदिर घाट के मध्य घाटों का जीर्णाेद्धार तीर्थयात्रियों की सुविधा हेतु लगभग 6.16 करोड़ रुपये, जिनमें से 2.50 करोड़ रुपये जारी किये गये हैं।

जयवीर सिंह ने बताया कि इन परियोजनाओं के तहत घाटों पर आरती स्थल, पूजन स्थल, श्रद्धालुओं के लिए बैठने की सुविधाएं, संपर्क मार्गों का सुधार, पत्थर की कलाकृतियां, साइनेज आदि लगाए जाएंगे। अस्सी घाट पर एक भव्य वीआईपी मंडप भी बनाया जाएगा, जिससे विशिष्ट अतिथियों और श्रद्धालुओं को विशेष सुविधाएं मिलेंगी।

उन्होंने बताया कि वाराणसी आध्यात्मिक नगरी के साथ-साथ विश्व पर्यटन मानचित्र पर भी अपनी विशिष्ट पहचान रखती है। मंत्री ने बताया कि श्रद्धालुओं और पर्यटकों को यह एक अद्वितीय अनुभव देगा। पर्यटन विभाग की इस पहल से न केवल घाटों की भव्यता में वृद्धि होगी, बल्कि स्थानीय व्यापार, तीर्थ यात्रा और पर्यटन को भी प्रोत्साहन मिलेगा। इन ऐतिहासिक घाटों का कायाकल्प वाराणसी की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को और अधिक समृद्ध करेगा।
 
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