चीर-चीर हो गया गाजीपुर का ये प्रमुख हाईवे! जाने से पहले ध्यान दें, नहीं तो...
ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. वाराणसी से गोरखपुर जाने वाले फोरलेन को अभी बने अभी साढ़े तीन साल का वक्त हुआ, लेकिन फोरलेन का बायां तरफ चीर-चीर हो गया है। कंपनी मरम्मत के नाम पर तिमाही करीब 3 से 4 करोड़ रुपये ले रही है, जबकि हकीकत में दरारों में केमिकल भरकर खानापूर्ति कर टाइम पास कर रही है। अब तक पीएनसी कंपनी करीब 40-50 करोड़ रुपये ले चुकी है, लेकिन हाईवे की दुर्दशा ठीक नहीं हो रही है।
वाराणसी से गाजीपुर तक पीएनसी ने 88 किमी का फोरलेन बनाया है। वैसे तो यह फोरलेन वर्ष 2021 में बनकर तैयार हुआ था। तीन मार्च 21 को कैथी का टोल स्थापित हुआ था, जबकि चार सितंबर 2021 से यह टोल चालू है। सितंबर माह से पीएनसी को चार साल तक मरम्मत की जिम्मेदारी है। सड़क चालू होने के बाद ही वाराणसी से आते समय बायीं तरफ दरारें आ गई।
तर्क दिया जा रहा है कि पत्थर व गिट्टी लदे ओवरलोड वाहनों के चलते सड़क धंसी है और दरारें आयी हैं। हालात यह है कि सड़क समतल न होने के कारण वाहन उछलते बहुत हैं। वाराणसी से बिरनो तक तो बहुत खराब स्थिति है। अक्टूबर में कंपनी का मरम्मत का समय पूरा होने वाला है, इसलिए कंपनी किसी तरह से समय पूरा करना चाहती है।
मरम्मत के नाम पर हर तिमाही मोटी रकम एनएचएआइ दे रहा है। बावजूद इसकी दरारें नहीं भरी जा रही हैं। दरारों में केमिकल चिप्पी भरकर काम चलाया जा रहा है। यह कैसा केमिकल है, मिस्त्रियों को भी पता नहीं है। इसे भरने के बाद भी सड़क की दरार साफ दिखाई देती है। सड़क उबड़-खाबड़ हो जाने के कारण आए दिन हादसे भी होते हैं।
वाराणसी जोन के एनएचएआइ के आरओ प्रवीण कटियार ने बताया कि फोरलेन पर केवल एक साइड वाराणसी से गाजीपुर आते समय बाएं तरफ की सड़क ओवरलोड वाहनों की वजह से फटी है। कंपनी को चार साल तक मरम्मत करनी है। एनएचएआइ के इंजीनियर निरीक्षण करते हैं। अधिक खराब होने पर जेसीबी से पैनल को काटकर दोबारा से ढलाई कराई जाती है।