कब है होली? 14 या 15 मार्च, काशी के पंडितों से जानें सही तिथि और होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. इस बार फिर काशी और देश के अन्य भाग अलग-अलग दिन होली मनाएंगे। काशीवासी जहां परंपरानुसार एक दिन पूर्व ही होली मना लेंंगे वहीं शेष देश अगले दिन 15 मार्च को रंगोत्सव व धुरड्डी के साथ होली मनाएगा। इस बार यह अंतर पूर्णिमा तिथि के मान के चलते हो रहा है।
काशी हिंदू विश्वविद्यालय में ज्योतिषि विभाग के पूर्व अध्यक्ष, ख्यात ज्योतिषाचार्य प्रो. चंद्रमौलि उपाध्याय, प्रो. विनय कुमार पांडेय व प्रो. गिरिजाशंकर त्रिपाठी ने बताया कि इस बार फाल्गुन पूर्णिमा 13 मार्च को सुबह 10:02 बजे लगेगी जो अगलेे दिन 14 मार्च को सुबह 11:11 बजे तक रहेगी।
रात्रिव्यापिनी पूर्णिमा में ही हाेलिका दहन का विधान होने के चलते हाेलिका दहन तो 13 की रात में ही हो जाएगा और इसी के साथ काशी में परंपरानुसार होलिकोत्सव आरंभ हो जाएगा लेकिन होली खेलने का विधान शास्त्रानुसार चैत्र कृष्ण प्रतिपदा में होने के चलते अगले दिन 15 मार्च को पूरे देश मे रंगोत्सव व धुरड्डी की धूम होगी। 15 मार्च को उदयातिथि में प्रतिपदा दोपहर 12:48 बजे तक है।
काशी में चौसट्ठी देवी के पूजन व परिक्रमा की है परंपरा
काशी में होलिका दहन के पश्चात सुबह हाेते ही 64 योगिनियों यानी 64 देवी का दर्शन व परिक्रमा करते हुए होली खेलने की मान्यता है। यह परिक्रमा व पूजन होलिका दहन की ठीक सुबह आरंभ हो जाता है, इसलिए काशीवासी पूर्णिमा हो या प्रतिपदा हाेलिका दहन होते ही होली मनाना आरंभ कर देते हैं, जबकि शेष देश में शास्त्राुनसार रंगोत्सव चैत्र कृष्ण प्रतिपदा को होता है, इसलिए अनेक बार ऐसा होता है कि काशीवासी एक दिन पूर्व होली मना लेते हैं जबकि शेष देश दूसरे दिन होली मनाता है।
इस बार भी ऐसा ही हो रहा है चूंकि होलिका दहन पूर्णिमा व्यापिनी रात्रि में हेाता है, इसलिए यह 13 की रात्रि में हो जाएगा और चैत्र कृष्ण प्रतिपदा उदयातिथि में 15 मार्च को मिलेगी, अतएव पूरे देश में रंगोत्सव 15 को होगा।
रात 10:37 बजे के बाद होगा होलिका दहन का मुहूर्त
काशी के विद्वान ज्योतिषाचार्यों ने बताया कि 13 मार्च को पूर्णिमा की तिथि प्रात: 10:02 बजे आरंभ हो जा रही है लेेकिन इसके साथ ही भद्रा लग जा रही है। भद्रा में होलिका दहन का निषेध है। भद्रा रात 10:37 बजे समाप्त होगी, इसके पश्चात होलिका दहन किया जा सकेगा।
प्रो. गिरिजाशंकर त्रिपाठी ने बताया कि चूंकि शास्त्राें के अनुसार होलिका दहन अर्धरात्रि के पूर्व कर लिया जाना उचित होता है। अत: इसे रात 10:37 बजे के पश्चात रात 12 बजे के पूर्व कर लिया जाना चाहिए।
काशी में होली एक दिन पूर्व 14 मार्च को, शेष देश में 15 को : होलिकादहन 13 की रात्रि में होने के पश्चात धुरड्डी व रंगोत्सव के लिए प्रतिपदा की तिथि 15 मार्च को मिलेगी, जबकि काशी में होलिका दहन के तत्काल बाद चौसट्ठी देवी की परिक्रमा, यानी 64 योगिनियों की परिक्रमा और पूजन के साथ होली खेलने की परंपरा है.