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कहानी: कुछकुछ होता रहेगा

कालेज में सोनिका ने रोहन को देखा तो देखती रह गई. वह काफी हैंडसम था. मगर रोहन उस से दूरदूर ही रहता. उस की बेरूखी से सोनिका परेशान रहने लगी. मगर उसे क्या पता था कि जिस रोहन के लिए उस के दिल में प्यार पनप चुका था, वह कुछ और निकला...
‘‘हाय,   यह कितना हैंडसम है, यार. इस की किलर स्माइल. कोई लड़का इतना अच्छा कैसे हो सकता है. कहीं किसी दिन इसे देख कर ही मेरा हार्ट फेल न हो जाए. अगर कहीं मैं कालेज में ही इसे घूरते हुए अपनी जान दे दूं, तो मेरे घर वालों को बता देना कि आप की लड़की एक बेमुरव्व्त के इश्क में शहीद हो गई.’’

मैं ने शायद आज थोड़ा ज्यादा ही नौटंकी कर दी थी. मेरी बैस्टी पूजा ने मुझे पीठ में जोर से एक धौल जमाते हुए कहा, ‘‘कितनी बकवास करती है तू. अच्छाभला शरीफ सा लड़का है रोहन. कितना सोबर है, देख, तू सुधर जा.’’

मुझे कोई फर्क नहीं पड़ा. मैं ने उसी रौ में कहा, ‘‘कुछकुछ होता है पूजा, तुम नहीं समझोगी.’’

‘‘मूवीज कम देखा कर, सारे डायलौग हमें सुनने पड़ते हैं.’’

‘‘क्या करूं यार,’’ कहते हुए मैं ने गुनगुनाया, ‘‘उसे न देखूं तो चैन मुझे आता नहीं है, एक उस के सिवा दिल को कोई भाता नहीं है, कहीं मुझे प्यार हुआ तो नहीं है…’’

अब तक हमारे साथ चुप बैठी अनीता ने अपने कानों पर हाथ रखते हुए कहा, ‘‘यार, इस का नशा कैसे उतारें. रोहन को तो पता ही नहीं होगा कि उस के प्यार में हम कैसेकैसे नाटक देख रहे. सुन सोनिका, तू जा रोहन के पास, उसे अपने दिल का हाल बता दे, फिर तू जाने या वह जाने,’’ कह, ‘‘हम बोर हो चुके सनम…’’ उस ने भी गुनगुनाया. हम तीनों अकसर गानों में जवाब देते हैं एकदूसरे को.

रोहन इस समय अपने दोस्त शिविन के साथ कैंटीन में बैठा चाय पी रहा था और मैं अपनी सहेलियों पूजा और अनीता के साथ एक कोने में बैठी समोसे खा रही थी. हम इस कालेज में बीए के फ्रैशर्स थे और रोहन हम से 1 साल सीनियर. वैसे तो हम लोगों की बीचबीच में थोड़ी रैगिंग होती रहती थी, सीनियर्स कभी भी अचानक आ जाते. ज्यादा नहीं, इंट्रोडक्शन लेने के लिए आए हैं, कहते तो यही पर हम से बहुत कुछ करवाया जाता. 2-3 दिन में ही जब सीनियर्स हम से मिलने आए, तो रोहन भी उन में था. बस, मैं ने उसे क्या देखा, मर मिटी उस पर. तब से सहेलियों की गालियां खा रही हूं, पर कोई फर्क नहीं पड़ता.

नयानया जोश है, गर्ल्स कालेज से सीधे कोऐजुकेशन में आए हैं. लड़के

दिखते हैं कालेज में, जरा अच्छा लगता है. अभी तो 12वीं तक स्कूल यूनिफौर्म में घूम रहे थे, अब जरा लाइफ लाइफ जैसी लगती है. वरना तो कभी स्कूल के लिए तैयार होते समय में ऐक्ससाइटमैंट नहीं हुआ. पता होता कि जो यूनिफौर्म रात में प्रैस की है, वही पहननी है. अब तो रोज कभी कुछ पहना जाता है, कभी कुछ. मजा तो अब आ रहा है. रोहन को क्या देखा, सारे हीरो दिनभर याद आते.

कभी उस का साइड फेस ऋ तिक की तरह लगता, कभी नाक वरुण धवन जैसी लगती, कभी बाल जौन अब्राहम जैसे लगते.

पूजा और अनीता को कभीकभी मुझ पर तरस भी आता, कहतीं, ‘‘हाय, अच्छीभली थी बेचारी गर्ल्स कालेज में, जब से यहां आई है सटक गई है.’’

कभी कहतीं, ‘‘सोनिका, कहीं तू रोहन की मुहब्बत में बदनाम न हो जाना, तेरी आंखें चुगली करने लगी हैं.’’

वे मुझ से कम फिल्में थोड़े ही देखती थीं. भरपूर फिल्मी स्टाइल में ज्ञान देतीं. फिल्मों के मारे तो हम तीनों ही थे. हम बचपन की एक गली में रहने वाली सहेलियां थीं. मैं सीने पर हाथ रख कर ठंडी सांस लेती कहती, ‘‘बदनाम होंगे तो क्या नाम न होगा.’’

दोनों सिर पकड़ लेतीं, फिर कहतीं, ‘‘तुम वैसे हो ही गर्ल्स कालेज में पढ़ने लायक. यहां आते ही लड़केबाजी शुरू कर दी. बेचारा शरीफ लड़का है, तुम्हें नजर उठा कर भी नहीं देखता और तुम जैसे उसे आंखों में ही गटक जाओगी किसी दिन, ऐसे देखती हो.’’

‘‘हाय, वह शराफत छोड़ दे थोड़ी तो मजा आ जाए.’’

इतने में हम ने देखा कि रोहन और शिविन कैंटीन से जाने के लिए उठ गए. फिर मेरा मन कैंटीन से उचट गया. मैं ने कहा, ‘‘उठो, हो गए समोसे.’’

दोनों मुझे घूरती हुई खड़ी हो गईं. हम जैसे ही अपनी क्लास में गए, पता चला प्रोफैसर नहीं आए हैं. यह हमारा हिंदी का पीरियड था. देखा तो सीनियर्स चले आ रहे थे. पूजा की हालत उन्हें देख कर खराब होती थी.

मुझे रोहन भी पीछे आता दिखा तो मैं ने पूजा से धीरे से कहा,’’ अरे देखो, पलाश भी है, बस उस पर ध्यान दो डर नहीं लगेगा.’’

पूजा ने चिढ़ कर मुझे इतनी जोर से चिकोटी काटी कि मेरी सीईई की आवाज जोर से निकली. सीनियर्स का ध्यान इस सी पर जाना ही था. उन में एक लड़की भी थी. बोली, ‘‘क्यों भई, किसे देख कर सीसी कर रही हो?’’

मन हुआ कह दूं, यह जो तुम्हारे पीछे खड़ा है, बस इसे देख कर सीसी करती हूं आजकल. पर मैं इतना ही बोली, ‘‘चोट लग गई थी मुझे.’’

रोहन ने पूछ लिया, ‘‘कैसे? कहां? आप ठीक तो हैं?’’

हाय, रोहन ने पूछा मुझ से सब के सामने. मैं ने अचानक विजयीभाव से पूजा और अनीता को देखा. उन्हें तो जैसे करंट लगा था. मुझ लगा, बस सब गायब हो जाएं और मैं और रोहन किसी फिल्मी सीन की तरह एकदूसरे की आंखों में आंखें डालते हुए गाते रहें, ‘‘आंखों की गुस्ताखियां माफ हो…’’

वह सीनियर लड़की फिर बोली, ‘‘अरे, क्या हुआ तुझे?’’

मैं ने कहा, ‘‘अब ठीक हूं,’’ कहतेकहते मैं ने रोहन को देखा, वह शिविन के कान में कुछ कह रहा था, मुझे लगा काश, वह उसे यह बता रहा हो कि यह सोनिका मुझे बहुत अच्छी लगती है. काश, काश, यही कह रहा हो.

सीनियर्स हम से गाना सुनते रहे. एक लड़की अंजू को डांस करने के लिए कह दिया. सीनियर्स को क्या पता था कि अंजू तो सड़क पर बरात में भी शुरू से आखिर तक नाचती चलती है. वह तो शादियों में जाती ही डांस करने के लिए है. वह तो खुद गाने भी लगी, ‘‘मैं तेरी दुश्मन, दुश्मन तू मेरा…’ और नागिन बन कर एक कोने में ऐसी लहराई कि सीनियर्स घबरा गए, ‘‘बोले, रुक जा बहन,’’ और क्लास से चले गए. हम सब हंसहंस कर पागल ही हो गए.

‘‘अंजू, आज तेरे नागिन डांस ने बाकियों को बचा लिया. अंजू, तू ऐसे ही नागिन बन कर लहराती रह.’’

इस पूरे ऐपिसोड में जैसे मेरी एक आंख रोहन पर रही, दूसरी अपनी नागिन पर. रोहन को अंजू का नागिन डांस देख कर घबराहट हुई थी. उस ने फिर शिविन के कान में कुछ कहा था. मुझे लगा, काश यही कहा हो यह सोनिका कितनी सोबर है, मुझे तो ऐसे डांस करने वाली लड़कियां अच्छी नहीं लगतीं. काश, यही कहा हो रोहन ने. मेरी एक बार इस बीच नजर भी मिली थी रोहन से. मैं ने मुसकराने में एक पल की देरी भी नहीं की और जब वह भी मुसकरा दिया तो मुझे एक आशा दिखी कि हां, फ्यूचर में हमारा बहुत कुछ हो सकता है.

सीनियर्स के जाने के बाद मैं ने कहा, ‘‘अनीता, तुम्हें पता है रोहन मुझे देख कर अभी मुसकराया था और तुम ने सुना न कि उस ने यह भी पूछ लिया कि मुझे चोट लगी है क्या. मुझे लग रहा है कि मुझे देख कर उसे भी कुछकुछ होने लगा है.’’

अनीता गुर्राई, ‘‘सपने देखना बंद कर दे, लड़की. ऐसी कोई बड़ी बात नहीं पूछ ली उस ने.’’

‘‘जलकुकड़ी है तू,’’ कह कर मैं ने गुनगुनाया, ‘‘कुछ कुछ होता है…’’

पूजा और अनीता ने अपने कानों पर हाथ रख लिए.  धीरेधीरे पढ़ाई शुरू हो चुकी थी. सीनियर्स अब किसी न किसी प्रोग्राम में नजर आते रहते. मुझे पता चला कि रोहन कालेज की कल्चरल कमेटी का हिस्सा है. मैं ने भी झट अपना नाम लिखवा दिया.

मैं ने उस के ग्रुप में शामिल होने के लिए अपनी जीजान लगा दी. अब तो कालेज के किसी भी प्रोग्राम की तैयारी में मैं उस के आगेपीछे ही डोलती दिखती तो पूजा और अनीता मुझे बारबार डांटते, ‘‘पढ़ाई भी कर लिया कर कुछ, रोहन की रैंक हमेशा फर्स्ट आती है कालेज में हर चीज में. फेल मत हो जाना.’’

मेरा दिमाग तेज था. मैं जितनी भी देर पढ़ने बैठती, झट निबटा लेती अपना काम ताकि पढ़ाई से जल्दी फ्री हो कर रोहन के बारे में सोच सकूं.

मैं ने एक दिन पूजा से कहा, ‘‘देख पूजा, शरीफ लड़के भी तो शरमाते हैं प्रेम का इजहार करने से. मैं ही रोहन को एक दिन आई लव यू  बोल दूं?’’

इस बार शायद अनीता और पूजा को मेरी शकल देख कर तरस आ गया, बोलीं, ‘‘ठीक है, वैलेंटाइनडे आ रहा है, बोल देना.’’

चालाक हैं दोनों. वैलेंटाइनडे आने में 2 महीने थे, मुझे हंसी आ गई, ‘‘कुछ ज्यादा टाइम नहीं सोचा तुम ने. जितना लेट हो सके, उतना लेट करवा रही हैं न.’’

हम तीनों खूब हंसे. मैं ने कहा, ‘‘यार, मेरा मन करता है, मैं इस का दोस्त शिविन होती, काश मैं लड़का होती. जिस तरह यह अपने दोस्तों के कंधे पर हाथ रख कर बात करता है, उनके गले में हाथ डालता है, मेरा मन करता है, मैं भी एक लड़का हो जाऊं और इस के आसपास ही रहूं.’’

दोनों ने अपनाअपना सिर पीट लिया. इस बार की ठंड मुझे कुछ अलग ही लग रही थी, मीठीमीठी, प्यारीप्यारी सी. कुहरे के दिन थे, हम तीनों कालेज पैदल आतेजाते. कुहरे में रोहन का चेहरा जैसे मेरे साथसाथ चलता. एक मीठामीठा सा खयाल दिनभर घेरे रहता. वैलेंटाइनडे से पहले की शाम तो जैसे मुझे एक बेचैनी से भर गई.

मेरी तैयारियां देख कर मम्मीपापा और भैया ने मुझे घूर कर देखा, मम्मी ने जब कहा कि कल अगर पढ़ाई न होने वाली हो तो छुट्टी कर लो तो मैं मन ही मन जल गई जैसे कहा कि न मम्मी, पढ़ाई क्यों नहीं होगी. बाकी चीजें एक तरफ, ये सब एक तरफ चलता रहता है. ऐग्जाम्स आने वाले हैं, मैं एक भी पीरियड मिस नहीं कर सकती और मैं उसी समय अपने इअर रिंग्स जिन्हें कल पहनने वाली थी. छिपाते हुए पढ़ने बैठ गई.

मैं अलग ही तरह से तैयार हो कर जब पूजा और अनीता के साथ कालेज के लिए निकली तो वे दोनों बस मुझे देखदेख कर हंसती ही रहीं. चौराहे पर रोहन के ग्रुप की सीनियर लड़की रेखा भी हमारे साथ हो ली. वह खूब बातूनी थी. मुझे लगा इस से रोहन के बारे में यों ही चलतेचलते जानकारी निकलवाई जा सकती है. दरअसल, मेरा मन करता रहता कि बस कोई मुझ से रोहन की बात करता रहे. मैं ने ही बात छेड़ी, ‘‘रेखा, मुझ आप का ग्रुप बहुत अच्छा लगता है, आप लोग पढ़ाई के साथ बाकी चीजों में भी कितने ऐक्टिव रहते हैं.’’

‘‘अरे, सब रोहन और शिविन की मेहनत होती है.’’

मेरा दिल इस नाम पर धड़कधड़क गया. कहा, ‘‘हां, अच्छे दोस्त हैं दोनों.’’

रेखा ने कहा, ‘‘हां भई, दोस्त क्या, बहुत कुछ हैं दोनों. खूब प्यारे हैं. 7वीं क्लास से दोनों साथ हैं.’’

अनीता ने पूछा, ‘‘अच्छा. इतने पुराने दोस्त हैं?’’

‘‘हां, तुम लोगों को पता नहीं क्या कि दोनों पार्टनर्स हैं, गे हैं, अब तो इन के घर वालों ने, कालेज के साथियों ने यह बात स्वीकार कर ही ली है कि दोनों का साथ छूट नहीं सकता. शुरूशुरू में काफी बवाल हुआ, अब सब थक गए, हम तो दोनों को खूब प्यार करते हैं. तुम तीनों को कैसे किसी की खबर होगी, तुम लोग तो अपने में ही मस्त रहते हो.’’

मेरा दिल जैसे रुकने को हुआ. यह शिविन तो मेरी ही सौत निकला. हाय, सच में काश मैं लड़का ही होती. यह क्या हो गया. पूजा और अनीता ने मुझे देखा. मैं ने नजरें चुरा लीं पर मैं ने कनखियों से देख लिया. दोनों अपनी हंसी रोकने की कोशिश कर रही थीं. उस दिन कालेज का रास्ता बहुत लंबा लगा.

कालेज पहुंच कर रेखा अपने दोस्तों के पास चली गई, मैं सीधी कैंटीन जा कर एक कोने में बैठ गई. ये दोनों भी मेरे पीछेपीछे भागती सी चल रही थीं.

मैं ने इन दोनों के चेहरों पर एक खा जाने वाली नजर डालते हुए कहा, ‘‘तुम्हें बड़ी हंसी आ रही थी. मेरा दिल टूट गया और तुम हंस रही थीं.’’

दोनों बेशर्म सचमुच जोर से हंसी, ‘‘यार, तुम्हारी शकल देखने वाली थी.’’

अनीता ने कहा, ‘‘यार सोनू, तू दुखी मत हो.’’

मैं ने एक ठंडी सांस लेते हुए कहा, ‘‘दुखी होने की बात नहीं है क्या? इतनी छोटी लव स्टोरी किस की होती है?’’

इतने में रोहन अपने दोस्तों के साथ आया और कुछ दूर बैठ गया. उन सब ने हमें देख कर हाथ भी हिलाए. हम ने भी हाथ हिला दिए.

अनीता ने मुझे छेड़ा, ‘‘सोनू, क्या रोहन को देख कर अब भी कुछकुछ हो रहा है?’’

‘‘यह मुहब्बत है जानी. कुछकुछ होता रहेगा, ‘‘वो प्यार है किसी और का, उसे चाहता कोई और है…,’’ मैं ने गुनगुनाया तो दोनों ने फिर अपने कानों पर हाथ रख लिए.
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