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कहानी: मां बनने से पहले

नए मेहमान के आने की खबर सुन कर मेरे पति ने देश की खराब आर्थिक स्थिति पर मुझे एक लंबा भाषण सुना डाला, लेकिन कुछ समय बाद ही...
मेरे यह कहते ही कि घर में एक नया मेहमान आने वाला है, मेरे पति ने मुझे जिस गुस्से व आश्चर्य से देखा उसे मैं कभी नहीं भूल पाऊंगी.

‘‘हम उस का क्या करेंगे?’’ उन्होंने पूछा.

‘‘मुझे नहीं मालूम,’’ मैं ने कहा. मुझे इन से किसी ऐसे सवाल की उम्मीद नहीं थी, इसलिए मु?ो कुछ गुस्सा सा भी आ गया था और मैं ने उसी लहजे में उन से पूछ डाला, ‘‘और सब बच्चों का क्या करते हैं? उन्हें खिलापिला कर, पालपोस कर बड़ा ही करते हैं न.’’

मगर जैसे ही मैं ने अपनी बात खत्म की, मेरे पति ने देश की खराब आर्थिक स्थिति पर एक लंबा भाषण मुझे सुना डाला और यह समझाने की कोशिश की कि जब उज्ज्वल भविष्य के अवसर न हों तो बच्चे पैदा करना एक अपराध है. उन्होंने मुझे राहुल गांधी के 2-4 भाषण दिखा डाले, जिस में उन्होंने बेरोजगारी की बात की. उन खबरों को दिखा डाला जिन में सिपाई और पटवारी की सैकड़ों की नौकरियों के 20-30 लाख कैंडीडेट बैठे थे.

2 घंटे बाद जब मेरे पति ने दफ्तर से फोन किया तो मैं ने सोचा कि वे परिवारनियोजन के विशेषज्ञ से बातचीत कर के कुछ नई बात बताने वाले होंगे. लेकिन फोन पर उन्होंने जिस लहजे में बात की वह बिलकुल भिन्न था.

‘‘अपने दफ्तर में कोई भारी चीज उठाना या खिसकाना नहीं,’’ उन्होंने बड़े प्यारभरे स्वर में कहा, ‘‘तुम्हें इस दौर में कोई अधिक थकाने वाला काम भी नहीं करना चाहिए. इस में पहले 3 महीने बहुत नाजुक होते हैं. जब तक मैं डाक्टर से सलाह ले कर यह बता न दूं कि तुम्हें क्या करना है और क्या नहीं करना है,

तब तक तुम चुपचाप काम करते रहो. तुम ऐसी हो कि कोई न कोई गड़बड़ी कर बैठोगी और सबकुछ गड़बड़ हो जाएगा. मेरा काम एक सेल्सरूम में काउंटर पर बैठने का काफी हिलाना ढुलना होता है.’’

‘‘धन्यवाद,’’ मैं ने मन ही मन प्रसन्न होते हुए कुछ व्यंग्य से कहा. लेकिन मेरे व्यंग्य को वे सम?ा नहीं सके.

‘‘मैं ने एक बहुत जरूरी पैकेट औनलाइन और्डर कर दिया है. तुम शाम को डिलिवरी ले लेना,’’ वे बोले.

‘‘जरूरी पैकेट,’’ मैं खुशी से बावली हो उठी और बोली, ‘‘जरूर 4 दिन पहले जो ड्रैस मु?ो बहुत पसंद आई थी उसे ही तुम ने खरीदा होगा. ओह, तुम कितने अच्छे हो.’’

‘‘तुम तो बिलकुल बावली हो. मैं ने गाजरें और्डर की हैं,’’ मेरे पति ने धीमे से कहा.

‘‘गाजरें,’’ मैं ने आश्चर्य से दोहराया. मैं सोचने लगी कि मेरे पति की तबीयत तो ठीक है न.

‘‘हां,’’ उधर से जवाब आया, ‘‘हम दोनों चश्मा पहनते हैं क्योंकि हमारी नजर कमजोर है. तुम यह कभी नहीं चाहोगी कि हमारे बच्चे की भी नजर कमजोर हो. आज से तुम खाने के साथ कच्ची गाजर खाओगी. गाजर में ऐसे विटामिन होते हैं जो आंखों की रोशनी के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं.’’

उसी दिन से मैं ने गाजर खाना शुरू कर दिया और खातेखाते ऊब गई. मेरी कलीग्स ने यह कह कर मेरा मजाक उड़ाना शुरू कर दिया कि मैं अधिक गाजर खाती हूं. इसलिए उन की कीमत बढ़ गई है. सच जानिए, उस साल गाजर की कीमत बहुत बढ़ गई थी. मैं टिफिन में गाजर का सलाद, गाजर के परांठे और गाजर का हलवा लाने लगी थी.

जब मेरी कलीग्स को पता चला कि मैं मां बनने वाली हूं तो सभी ने आ कर तरहतरह की सलाहें दीं. जल्द ही मेरे मोबाइल पर प्रसिद्ध कवियों, राजनेताओं, धर्मगुरुओं आदि की बातों और तसवीरों का एक अंबार लग गया और मु?ो यह कहा गया कि उन्हें मैं सोने से पहले जरूर देखूं. मुझ से कहा गया कि फिर सुबह आंख खुलते भी रोज उन तसवीरों को देखूं. तब मेरा बच्चा उन की तरह ही गुणवान होगा.

एक शाम मेरी एक सहेली आई, उस ने भी कुछ और तसवीरें कमरे में टांग दीं. हमारे टू रूम सैट में बेबीरूम की जगह तो नहीं थी तो हमारा अपना बैडरूम बेबी रूप सा दिखने लगा.

मेरे पति इसे ले कर मुझ से रोज मजाक करने लगे, ‘‘इन सभी लोगों के गुण बच्चे में आ जाएं तब तो बहुत ही अच्छा है, पर अगर कहीं बच्चे की शक्ल इन बढ़ते लोगों की तरह हो गई तो क्या होगा. फिर तो सब पुरुषों की तसवीरें हैं. यदि तुम्हारी पहली संतान लड़की हुई तो क्या तुम उसे गांधी की तरह पोपले मुंह वाली देखना चाहोगी?’’

उन की बात मुझे तर्कसंगत लगी और मैं ने तुरंत सारी तसवीरें उस कमरे से हटा दीं. मोबाइल से भी डिलीट कर डालीं.

मेरे पति ने समझाया, ‘‘तुम इन लोगों की अच्छाइयों के बारे में दिन में एक बार सोचो जरूर. सब से अच्छा तरीका तो यह होगा कि देखो तो अच्छेअच्छे बच्चों की तसवीरें और सोचो इन महापुरुषों के गुणों के बारे में.’’

कुछ दिनों बाद मेरी एक घनिष्ठ धर्मभीरू सहेली ने गीता की एक पीडीएफ मुझे

भेंट की और बोली, ‘‘हर रात सोने से पहले इस का एक पृष्ठ पढ़ना. इस से तुम्हें मानसिक शांति मिलेगी और तुम्हारे बच्चे का शारीरिक विकास भी ठीक होगा.’’

जब मैं ने पढ़ना शुरू किया तो पता चला कि यह तो चचेरे भाइयों के समक्ष युद्ध की बातें हैं और अर्जुन को युद्ध करने के लिए कहा जा रहा है. हाय क्या मेरा बच्चा रथ पर चढ़ कर तीरों की बारिश करेगा? डर के मारे मैं ने पीडीएफ फाइल तुरंत बंद कर दी.

उस के जाने के कुछ देर बाद एक और सहेली आई. वह मेरे लिए कुरान ले कर आई थी. उस ने बताया कि यह प्रति हज यात्रा पर जाने वालों के लिए विशेष रूप से प्रकाशित की गई है. मु?ो हर रात सोने से पहले उस का एक पृष्ठ पढ़ना चाहिए ताकि होेने वाला बच्चा कुरान में वर्णित गुणों से युक्त हो. मैं प्रभावित हुई पर उसे भी कोने में साथ रख दिया.

कुछ दिनों बाद मैं अपनी एक पुरानी स्कूल अध्यापिका से मिलने गई. उन्होंने रात में पढ़ने के लिए बाइबिल दी. मैं ने उन्हें गीता और कुरान के बारे में बताया और कहा कि मैं रात में सोने से पहले तीनों पुस्तकों का 1-1 पृष्ठ पढ़ूंगी. मैं ने सोचा कि आधुनिक युग की एक महिला द्वारा

धर्म में इतनी रुचि दिखाने से मेरी अध्यापिका खुश होंगी. लेकिन उन्होंने मेरी ओर कुछ परेशान नजरों से देखा. बोलीं, ‘‘मैं तुम्हें धर्म पर इतनी पुस्तकें पढ़ने की सलाह नहीं दूंगी. ऐसा न हो कि तुम्हारा बच्चा या बच्ची जो भी हो, इतना धार्मिक बन जाए कि इस संसार में उस की कोई रुचि ही न रहे. ऐसी हालत में तुम्हें दुख होगा. मैं स्वयं ऐसे दौर में फंस चुकी हूं. मेरी बड़ी लड़की की गृहस्थ में कोई रुचि ही नहीं है. उसे सबकुछ जंजाल नजर आता है. उस का पति उस से

परेशान है.’’

एक शाम हम लोग घूमने जा रहे थे कि किताबों की एक दुकान दिख गई. मेरे पति को एक पुस्तक नजर आई. उस का शीर्षक था, ‘‘गर्भावस्था में सुंदर कैसे दिखें.’’

‘‘तुम्हें यह जरूर पढ़नी चाहिए,’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं भी यह जानना चाहता हूं कि एक गर्भवती महिला 3-4 महीने बाद सुंदर कैसे दिख सकती है.’’

मैं बोली, ‘‘फिर खरीद लीजिए.’’

मगर मेरे पति कुछ ?ि?ाकते हुए बोले, ‘‘मैं अंदर नहीं जाऊंगा. दुकानदार सम?ोगा कि मैं बाप बनने वाला हूं.’’

‘‘लेकिन आप बाप तो बनने वाले हैं?’’

‘‘मैं जानता हूं, लेकिन जब लोगों का पता चल जाता है कि कोई बाप बनने वाला है तो वे उसे अजीब नजरों से देखते हैं. क्या तुम नहीं देखतीं कि जब तुम मेरे साथ चलती हो तो लोग मु?ो किस तरह घूरते हैं.’’

‘‘लोग मु?ो घूरते हैं, इस के लिए तो मु?ो ?ि?ाक होनी चाहिए.’’

‘‘अच्छा, अगर तुम्हें अपने शरीर के अजीब आकार को ले कर कोई संकोच नहीं है तो तुम खुद जा कर क्यों नहीं खरीद लेतीं,’’ उन्होंने कुछ जोर से कहा.

मगर मैं भी ऐसा करने में कुछ झिझिक रही थी. आखिर वही दुकान में गए. थोड़ी देर बाद डाक्टर स्पाक की पुस्तक ‘बेबी ऐंड चाइल्ड केयर’ (शिशु और उस की देखभाल) पुस्तक ले कर आ गए. मैं ने आश्चर्य से किताब को देखा और पूछा, ‘‘यह क्यों लाए?’’

‘‘दुकानदार कुछ लड़कियों से घिरा हुआ था, ‘गर्भावस्था में सुंदर कैसे दिखें’ बड़ा अजीब सा शीर्षक है. इसलिए मैं ने वह न मांग कर यही ले ली. हमें इस की भी तो जरूरत पड़ेगी,’’ उन्होंने अपनी सफाई देते हुए कहा.

‘‘लेकिन मैं तो ‘गर्भावस्था में सुंदर कैसे दिखें’ खरीदना चाहती हूं,’’ मैं कुछ जोर से बोली, ‘‘यदि आप नहीं ला सकते तो आइए, हम दोनों अंदर चलें.’’

मैं दुकान के एक कर्मचारी के पास जा पहुंची जो कोने में खड़ा था.

‘‘मु?ो वह पुस्तक चाहिए,’’ मैं ने उस की ओर इशारा करते हुए कहा.

‘‘अरे, वह,’’ उस ने कहा और फिर इतनी जोर से शीर्षक पढ़ा कि दुकान में मौजूद हर आदमी मुड़ कर हमें देखने लगा. मैं ने पुस्तक ले कर उस की कीमत चुकाई और इस तरह बाहर आ गई जैसे मैं इन बातों की परवा नहीं करती. लेकिन सच यह है कि मैं यह जरूर सोच रही थी कि मेरा बस चलता तो दुकान के उस कर्मचारी को तत्काल नौकरी से निकाल देती.

एक शाम हम लोग संगीत सुन रहे थे. मेरे पति ने अचानक कहा, ‘‘हमारे यहां

बेटा होगा.’’

‘‘वह मेरे लिए हर 2 घंटे बाद चाय बनाएगी,’’ उन्होंने अपनी बात इस तरह जारी रखी, जैसे मेरी बात सुनी ही न हो.

‘‘इतने स्वार्थी न बनिए,’’ मैं ने तुरंत जवाब दिया, ‘‘हमारे यहां लड़का होगा.’’

‘‘नहीं होगा,’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारी खूबसूरत लड़की होगी, जिस के साथ हम लोग खूब खेलेंगे. इस घर को घर बनाने के लिए एक प्यारी सी लड़की का होना बहुत जरूरी है.’’

मैं ने जवाब देने के लिए मुंह खोला,

लेकिन तभी मैं रुक गई और मुसकराने लगी क्योंकि मु?ो अचानक याद आया कि क्या वे अपना वह लंबाचौड़ा भाषण भूल गए कि हर नया बच्चा देश की अर्थव्यवस्था पर भारी बोझ होता है.
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