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कहानी: इलाज

"विनय, क्या हुआ है मनीषा को? तुमसे लड़ाई हुई है क्या?.. रस्में तो सब हो‌ गईं, घूमने कब जा रहे हो तुम लोग?" मैंने मौक़ा देखकर अकेले में बात शुरू की.

विनय थोड़ी देर फ़र्श घूरता रहा, फिर बोला, "लड़ाई क्या होगी बुआ, बात तक तो हुई नहीं है… घूमने की बात पर मां इतना चिल्लाने लगीं कि ये सब बेशर्मी है."

"देखो ना विद्या, इसे क्या हो गया है? अच्छी-खासी बहू लाए थे, ना जाने कौन टोना कर गया…" भाभी रुआंसी हुई जा रही थीं.

एक बार तो मैं भी डर गई उसे देखकर. चेहरा उतरा हुआ, एकदम पीला. आंखें ऐसी बेजान जैसे सालों बाद होश आया हो. शादी में तो ठीक थी… मैंने प्यार से अपने पास बुलाया, उसके उठते ही भाभी गरज पड़ीं, "तुम दाएं पैर से नीचे उतरा करो पलंग से. एक ही बात कितनी बार बताई जाएगी? रुको, पहले नहा लो‌ जाकर, सिर ना धोना…आज बुधवार है."

मैं तो चकित रह गई. आज भी कौन से ज़माने में रह रही हैं भाभी? इतनी पढ़ी-लिखी लड़की ये सब कैसे झेल रही है.

"विनय, क्या हुआ है मनीषा को? तुमसे लड़ाई हुई है क्या?.. रस्में तो सब हो‌ गईं, घूमने कब जा रहे हो तुम लोग?" मैंने मौक़ा देखकर अकेले में बात शुरू की.

विनय थोड़ी देर फ़र्श घूरता रहा, फिर बोला, "लड़ाई क्या होगी बुआ, बात तक तो हुई नहीं है… घूमने की बात पर मां इतना चिल्लाने लगीं कि ये सब बेशर्मी है."

धीरे-धीरे सब समझ में आ रहा था. नव-युगल अकेले में चार मीठी बातें भी नहीं कर पाए थे. पूरा घर रिश्तेदारों से ठूंसा हुआ था. हनीमून पर जाने नहीं दिया गया. ऊपर से हद से ज़्यादा पुराने रिवाज़ निभाती और चीखती-चिल्लाती सास. मुरझाना स्वाभाविक था…

"भाभी, लग रहा है कोई कुछ टोना कर गया है. इन दोनों को जयपुर जाना होगा आज ही, एक परिचित हैं मेरे, सब ठीक कर देंगे…"

"लेकिन बुआ,ऐसे एकदम से जाना टिकट, होटल..?" विनय भौंचक्का था.

मैं उसको देखकर शरारत से मुस्कुराई, "तुम्हारे फूफाजी ने टैक्सी, होटल सब बुक कर दिया है. चिंता मत करो, उन्हें अनुभव है; मेरा इलाज भी वहीं हुआ था."- लकी

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