कहानी: पुलिस वाले दुलहनिया
विदेश जाने के चक्कर में फूफाजी ने एक विदेशी महिला से शादी करने की सोची. यहां तक कि बूआजी से तलाक के कागजों पर दस्तखत भी करवा लिए लेकिन ऐन मौके पर पासा ही पलट गया.
‘‘मनोज, यहां तुम अपने हस्ताक्षर करो और यहां अपनी बूआ के दस्तखत करवा दो,’’ फूफाजी ने फोल्ड किया एक स्टांप पेपर मेरे सामने मेज पर रख दिया.
कागज पर केवल हस्ताक्षर करने का स्थान ही दिख रहा था. बाकी का तह किया कागज फूफाजी ने अपने हाथ में दबा रखा था.
‘‘पहले जरा सांस तो लेने दीजिए,’’ मैं ने कहा फिर पास वाले सोफे पर माथे पर बल डाले बैठी बूआजी पर एक नजर डाली.
बूआजी ने मुझे देखते ही मुंह फेर लिया.
‘‘कागजी काररवाई के बाद जितनी सांसें लेनी हों ले लेना,’’ फूफाजी बोले, ‘‘शाबाश, करो दस्तखत.’’
‘‘फूफाजी इसे पढ़ने तो दीजिए, क्योंकि बुजुर्गों ने कहा है कि बिना पढ़े कहीं भी हस्ताक्षर न करो,’’ मैं ने कागज खोल कर पढ़ना चाहा.
‘‘मैं ने जो पढ़ लिया है. मैं क्या तुम्हारा बुजुर्ग नहीं हूं?’’ फूफाजी ने गंभीर स्वर में कहा.
‘‘वह तो ठीक है मगर इस में लिखा क्या है?’’
‘‘यह तलाक के कागज हैं,’’ फूफाजी ने बताया.
‘‘मगर किस के तलाक के हैं?’’
‘‘यह मेरे और तुम्हारी बूआजी के आपसी सहमति से तलाक लेने के कागज हैं.’’
‘‘क्या?’’ मैं ने फूफाजी की ओर अब की बार इस तरह देखा जैसे उन के सिर पर सींग निकल आए हों, ‘‘मुझे लगता है आज आप ने सुबह ही बोतल से मुंह लगा लिया है.’’
‘‘अरे, नहीं बेटे, मैं पूरी तरह से होश में हूं. चाहो तो मुंह सूंघ लो,’’ फूफाजी ने मुंह फाड़ा.
‘‘फिर यह तलाक की बात क्यों? क्या बूआजी से फिर कोई झगड़ा हुआ?’’
‘‘न कोई झगड़ा न बखेड़ा… यह तलाक तो मैं अपने वंश के लिए ले रहा हूं.’’
‘‘आप साफसाफ क्यों नहीं बताते कि बात क्या है?’’ मैं ने बेचैनी से पूछा.
‘‘मनोज बेटे, मैं तुम्हारी बूआजी को तलाक दे कर एक विदेशी स्त्री से शादी कर रहा हूं,’’ फूफाजी ने गरदन मटकाई.
‘‘मैं भी अपने को धन्य समझूंगी कि तुम जैसे जाहिल कामचोर से पीछा छूटा,’’ बूआजी भड़क उठीं, ‘‘लाओ, कहां दस्तखत करने हैं.’’
बूआ ने अदालत के पेपर लेने को हाथ बढ़ाया.
‘‘ठहरिए, बूआजी. पहले पता तो चले कि माजरा क्या है.’’
‘‘मनोज बेटे, विदेश में जा कर जितना धन 5 सालों में बनाया जा सकता है उतना अपने देश में 5 जन्मों में भी नहीं कमाया जा सकता. इसलिए मैं ने विदेशी लड़की से ब्याह रचा कर वहां बसने की ठानी है,’’ फूफाजी ने ‘राज’ खोला.
‘‘मुझे टै्रवल एजेंट ने समझाया है कि बिना कोई जोखिम उठाए विदेश जाने का यही एक आसान तरीका है कि किसी विदेशी लड़की से शादी कर लो तो वह अपने दूल्हे को अपने साथ विदेश ले जाएगी…’’ फूफाजी सांस लेने को रुके.
‘‘और यह सारा इंतजाम उस भलेमानस ट्रैवल एजेंट ने कर दिया है. बस, कुछ लाख रुपए उसे देने पड़े जिस में से कुछ हिस्सा उस विदेशी महिला को शादी करने की फीस के तौर पर एजेंट उसे देगा,’’ फूफाजी ने लंबी सांस छोड़ी.
‘‘मगर आप के पास लाखों रुपए आए कहां से?’’ बूआजी ने फूफाजी से पूछा, ‘‘क्या किसी बैंक में डाका डाला है?’’
‘‘बैंक में डाका नहीं डाला है बल्कि अपने घर को बैंक के पास गिरवी रख कर कर्जा लिया है.’’
‘‘बुढ़ऊ, तुम्हारा सत्यानाश हो,’’ बूआजी भड़कीं.
‘‘सत्तानाश हो या अट्ठानाश, अब तो मैं ने जो करना था कर दिया. मगर तुम घबराओ नहीं, विदेश से कर्जे की किस्तें भेजता रहूंगा ताकि तुम यहां मजे से रहो,’’ फूफाजी ने तसल्ली दी, ‘‘विदेश से कुछ सालों में करोड़ों रुपए कमा कर वापस आऊंगा, तब तक वह मेरी फौरन वाइफ मुझे धत्ता बता चुकी होगी और मैं तुम से दोबारा ठाट से विवाह कर लूंगा.’’
‘‘मैं तो एक बार ही तुम से शादी कर के पछता रही हूं.’’
‘‘पछताना बाद में, पहले तुम बूआ- भतीजा झट से तलाक के इन कागजों पर दस्तखत करो. मेरा वकील दोस्त और वे लोग आते ही होंगे,’’ फूफाजी ने मेज पर रखे कागजों पर पेन बजाया.
बूआजी का चेहरा गुस्से से तमतमा उठा. उन्होंने हस्ताक्षर कर के कागज और कलम मेरी ओर बढ़ा दिए.
‘‘मनोज, तुम भी इस पर दस्तखत कर दो ताकि इन का यह कर्ज भी खत्म हो, यह झंझट ही समाप्त हो जाए,’’ बूआजी ने मुझ से कहा.
‘‘यह आप क्या कह रही हैं, बूआ. कल को भाभी के मायके वाले और दीदी के ससुराल वाले आप के तलाक के बारे में पूछेंगे तो हम क्या बतलाएंगे?’’
‘‘किसी से कुछ कहने की जरूरत नहीं. जब मैं किसी घपले में अंदर हो जाता हूं तो तुम लोग होंठ सीए रहते हो न. बस, कुछ सालों तक चुप्पी साधे रहना,’’ फूफाजी ने समझाया, ‘‘मैं वहां से आया और सारा मामला सुलझाया.’’
‘‘मनोज बेटा, दस्तखत करो और हम यहां से चलते हैं,’’ बूआजी सोफे पर से उठ खड़ी हुईं.
‘‘अरे भई, बैठोबैठो, उन लोगों में कोई मेरी ओर से भी तो होना चाहिए,’’ फूफाजी ने बूआजी से आग्रह किया, ‘‘फिर इस बेचारे ने मेरीतुम्हारी शादी तो नहीं देखी लेकिन अब इसे मेरी यह शादी तो देख लेने दो,’’ फूफाजी के चेहरे पर खुशी और शर्म के मिलेजुले भाव झलक उठे.
बाहर किसी गाड़ी के रुकने की घरघराहट हुई.
‘‘लो, वे लोग पहुंच गए,’’ यह कहते हुए फूफाजी दरवाजे की ओर लपके.
अब बाहर जाने के लिए रास्ता नहीं था सो बूआजी फिर से सोफे पर बैठ गईं.
फूफाजी के साथ 3 स्थानीय लोग, एक 65 साल का विदेशी पुरुष तथा उस के पीछे 35 साल की एक विदेशी महिला थी…जिस ने खूब मेकअप कर रखा था और बड़ेबड़े फूलों वाली फ्राक और स्कर्ट पहनी हुई थी. स्थानीय पुरुषों में एक तो फोटोग्राफर था और एक पंडितजी थे. उन के साथ जो तीसरा आदमी था उस ने पैंटशर्ट पहन रखी थी.
‘‘मनोज बेटा, इन से मिलो,’’ फूफाजी ने साथ के सोफे पर बैठे, चेहरे पर चौड़ी मुसकान वाले आदमी की ओर इशारा किया, ‘‘आप हैं, जेल ट्रैवल एजेंसी के मालिक भावलंकरजी.’’
‘‘और यह मेरा सहायक, गोविंदा,’’ टै्रवल एजेंट के मालिक ने कैमरे वाले की ओर उंगली उठाई, ‘‘और आप पंडित धूर्तराजजी, जिन के शुभ आशीर्वाद से ब्याह का कार्यक्रम संपन्न होगा.’’
‘‘अब आगे आप इन को मिलवाएं,’’ टे्रवल एजेंट ने फूफाजी से कहा.
‘‘बेटे मनोज,’’ फूफाजी ने खंखार कर गला साफ किया, ‘‘यह हैं तुम्हारी नई बूआजी…मेरा मतलब…मेरी…यानी तुम समझ ही गए होगे. और यह मेरे नए ससुरजी…यानी ‘फादर इन ला.’ ’’
फूफाजी ने उन विदेशियों की भेंट मुझ से करवाई और चोर नजरों से बूआजी की ओर देखा.
बूआजी ने माथे पर बल डाल कर मुंह फेर लिया.
‘‘बेटे, अब जल्दी से मेहमानों के लिए ठंडा, नमकीन और मिठाई आदि लाओ,’’ फूफाजी ने कहा.
‘‘यजमान, जलपान फेरों के साथसाथ चलता रहेगा. अब वरकन्या को बुलाएं,’’ पंडितजी ने लंबी तान लगाई.
‘‘पंडितजी, वर तो मैं ही हूं और मेरी कन्या…उफ तौबा…’’ फूफाजी ने गाल पीटे, ‘‘यानी मेरी होने वाली दुलहन यह सामने सोफे पर बैठी हैं.’’
‘‘ठीक है वरजी, आप यह ‘रेडीमेड’ सेहरा पहन लीजिए,’’ पंडितजी ने अपने झोले में से एक सुनहरी पगड़ी निकाली जिस के साथ सेहरा लटका हुआ था.
‘‘सेहरा पहनूं?’’
‘‘हां, इस सेहरे के साथ वरवधू के फोटो उतारे जाएंगे ताकि ब्याह का प्रमाण हो. उस के बाद ही मैं आप को ब्याह का प्रमाणपत्र दे सकूंगा,’’ पंडितजी ने समझाया.
‘‘कागजी काररवाई के लिए यह बहुत जरूरी है,’’ टै्रवल एजेंट ने पंडितजी की बात का समर्थन किया और अपने सहायक को इशारा किया.
सहायक ने अपना कैमरा एडजस्ट किया.
फूफाजी ने सिर पर सेहरे वाली पगड़ी रख ली.
‘‘देखो, कैसा दिखता हूं?’’ फूफाजी ने बूआजी से पूछा, ‘‘सच बताना, ऐसा रूप तो तुम्हारे साथ शादी के मौके पर भी मुझ पर न चढ़ा होगा.’’
‘‘ठीक कहा. उस से सौगुना फटकार आप के चेहरे पर आज बरस रही है,’’ बूआजी बड़बड़ाईं.
‘‘छाती पर सांप लोट रहे होंगे, तभी तो ऐसा जहर उगल रही हो,’’ फूफाजी ने जहर का घूंट पीते हुए कहा.
‘‘दूल्हादुलहन इधर आ कर बैठें,’’ पंडितजी ने लंबी तान लगाई.
पंडितजी ने फूफाजी और उस विदेशी महिला को साथसाथ सोफे पर बैठाया और झोले में से फूलपत्तियां निकाल कर फूफाजी और उस विदेशी महिला पर मंत्रोच्चारण करते हुए बरसाईं.
टै्रवल एजेंट के सहायक ने कैमरे से 3-4 फोटो लिए.
‘‘अब फेरों का कार्यक्रम समाप्त हुआ. आज से आप दोनों पतिपत्नी हुए,’’ पंडितजी ने फूफाजी से कहा, ‘‘यजमान, अब आप सेहरे का किराया और मेरी दानदक्षिणा और विवाह के प्रमाणपत्र के 1,500 रुपए दे दीजिए.’’
पंडितजी ने अपने झोले से छपा हुआ एक फार्म निकाला.
‘‘आप 1,500 की बजाय 2 हजार ले लो पंडितजी,’’ फूफाजी ने ब्रीफकेस से नएनए नोट निकाले और पंडितजी की ओर बढ़ा दिए.
पंडितजी ने पहले तो नोट कमीज के अंदर बनी हुई जेब में डाले, फिर फार्म भर कर अपने हस्ताक्षर किए और फूफाजी को शादी का प्रमाणपत्र थमा दिया.
‘‘पंडितजी, यह पगड़ीसेहरा दूल्हे के सिर पर ही लगा रहने दें क्योंकि हमें इस नए जोड़े के साथ, ऐसे ही कोर्ट में जाना है,’’ टै्रवल एजेंट ने कहा.
‘‘ठीक है, मैं आप के दफ्तर से सेहरा ले लूंगा या आप अपने सहायक के हाथ भिजवा देना,’’ पंडितजी गुनगुनाए.
‘‘वह आप का वकील दोस्त अभी तक नहीं पहुंचा,’’ एजेंट ने फूफाजी से कहा, ‘‘मेरा दूसरा सहायक उन को लाने के लिए काफी देर से टैक्सी पर गया है.’’
तभी बाहर किसी गाड़ी के रुकने की आवाज आई.
‘‘लो, वे लोग भी आ पहुंचे,’’ टै्रवल एजेंट ने गरदन घुमा कर देखा.
दरवाजे में से फूफाजी के वकील दोस्त और टै्रवल एजेंट का सहायक अंदर आ गए. उन के पीछेपीछे एक पुलिस इंस्पेक्टर, 2 लेडी कांस्टेबल तथा 2 पुरुष कांस्टेबल और एक सहायक इंस्पेक्टर ड्राइंगरूम में आ गए.
इंस्पेक्टर ने विदेशी आदमी और टै्रवल एजेंट की ओर उंगली घुमाई. महिला पुलिसकर्मियों ने उस विदेशी महिला के हाथ थाम लिए और सहायक इंस्पेक्टर के साथ दोनों पुलिस वाले उस अधेड़ विदेशी पुरुष व टै्रवल एजेंट के पास खड़े हो गए.
‘‘तुम सब को गिरफ्तार किया जाता है.’’
‘‘मगर क्यों?’’
‘‘देखिए, इंस्पेक्टर, आप मेरे मेहमानों से…नहीं बल्कि सगे संबंधियों से ऐसा बरताब नहीं कर सकते,’’ फूफाजी ने सेहरा संभालते हुए इंस्पेक्टर से कहा, ‘‘आप नहीं जानते, मेरी कहांकहां तक पहुंच है?’’
‘‘शायद आप इन के नए शिकार हैं,’’ इंस्पेक्टर ने फूफाजी की ओर देखा.
‘‘शिकार, कैसा शिकार?’’ मैं ने पूछा.
‘‘यह लोग भोलेभाले लोगों को विदेश ले जाने का झांसा देते हैं. यह मैडम उन लोगों से लाखों रुपए बटोर कर शादी रचाने का ढोंग करती है और फुर्र हो जाती है. यह ऐसे टै्रवल एजेंटों की मिलीभगत से होता है,’’ इंस्पेक्टर बोलता गया, ‘‘अब तक इन लोगों के खिलाफ कई शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं मगर यह लोग पकड़ में नहीं आते थे. आखिर आज शिकंजे में आ ही गए.’’
इंस्पेक्टर ने अपने सहायक की ओर देखा.
‘‘ले चलो इन को,’’ इंस्पेक्टर ने होलस्टर से रिवाल्वर निकाल लिया.
पुलिस के घेरे में विदेशी पुरुष व महिला और टै्रवल एजेंट मरीमरी चाल से दरवाजे की ओर बढ़े.
‘‘पंडितजी, आप भी चलिए. आप भी तो इन के ‘फ्राड’ में भागीदार हैं,’’ सबइंस्पेक्टर ने पंडितजी को टोक दिया.
‘‘मगर इंस्पेक्टर, मेरे विदेश जाने के सपने का क्या होगा?’’ फूफाजी ने बुझे स्वर में इंस्पेक्टर से पूछा.
‘‘आप पुलिस स्टेशन चल कर इन के खिलाफ रिपोर्ट लिखवाएं,’’ कहते हुए पुलिस इंस्पेक्टर दरवाजे की ओर मुड़ा.
‘‘मनोज बेटे, अब तुम तलाक के यह कागज मेरी ओर से कोर्ट में दाखिल करो. अब मैं इन से तलाक लूंगी,’’ बूआजी ने कोर्ट के कागज संभालते हुए कहा.
‘‘अरे, नहीं, ऐसा गजब न करना,’’ फूफाजी ने घबरा कर कहा.
‘‘अब तो यह गजब होगा ही,’’ बूआजी का स्वर कठोर हो गया, ‘‘मेरा फैसला अटल है.’’
‘‘मनोज बेटे, तुम ही इन को समझाओ. मैं तो पूरी तरह लुट गया. बरबाद हो गया. मेरे लाखों रुपए डूब गए. नई नवेली विदेशी दुलहन भी गई और अब तुम्हारी बूआजी भी नाता तोड़ रही हैं,’’ फूफाजी ने कहा…