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दिल्ली, मुंबई, पुणे, बेंगलुरु व केरल जाना है तो करें इंतजार, 15 तक ट्रेनें पूरी तरह फुल...धक्कामुक्की जारी

ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम,  गोरखपुर. दिल्ली, मुंबई, पुणे, केरल और बेंगलुरु आदि जाना है तो अभी इंतजार करें। 15 दिसंबर तक सभी प्रमुख ट्रेनों में लगभग 'नो रूम' की स्थित है। गोरखपुर से बनकर चलने वाली लंबी दूरी की किसी भी ट्रेन में दिसंबर तक कन्फर्म टिकट नहीं मिल रहा। वेटिंग टिकटों की बिक्री भी बंद हो गई है। तत्काल टिकटों के लिए रेलवे के काउंटरों पर घमासान मचा है। जनरल कोचों में भी जगह नहीं बच रही। स्टेशन के बाहर कन्फर्म टिकट के लिए अफरातफरी है। अंदर ट्रेनों में सीट के लिए मारामारी मची है। धक्कामुक्की जारी है।

दिल्ली की एक प्राइवेट कंपनी में कार्य करने वाले राणा एक सप्ताह से परेशान हैं। दिल्ली जाने वाली किसी भी ट्रेन में उन्हें कन्फर्म टिकट नहीं मिल रहा। तत्काल का भी अकाल पड़ा हुआ है। प्राइवेट बस से जाने की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन बस वाले भी ढाई से तीन हजार रुपये प्रति व्यक्ति किराया मांग रहे हैं। उनकी परेशानी बढ़ती जा रही है।

त्योहारों और लग्न में घर आए पूर्वांचल के हजारों लोग वापसी को लेकर परेशान हैं। लोगों की नए वर्ष में परिवार के साथ बाहर घूमने की इच्छा मन में ही दबकर रह जा रही है। गोरखपुर से बनकर गोरखधाम, हमसफर, कुशीनगर, गोरखपुर-एलटीटी, गोरखपुर-पुणे और कोचीन आदि दिल्ली, मुंबई, पुणे, केरल और बेंगलुरु जाने वाली ट्रेनें ही नहीं बिहार से चलने वाली वैशाली, बिहार संपर्क क्रांति, सप्तक्रंति और सत्याग्रह गाड़ियां भी पूरी तरह फुल हैं।

एक तो ट्रेनों में जगह नहीं है, ऊपर से रेलवे प्रशासन ने दिल्ली जाने वाली 12595 हमसफर और गोरखपुर-आनंदविहार साप्ताहिक आदि कुछ प्रमुख एक्सप्रेस ट्रेनों को फरवरी तक निरस्त कर दिया है। छह दिसंबर को चलने वाली 12571 हमसफर एक्सप्रेस के एसी थर्ड की वेटिंग 300 से ऊपर पहुंच गई थी। गोरखपुर से बनकर चलने वाली प्रमुख ट्रेन 12555/78 गोरखधाम है, वह भी अब बठिंडा तक जाने लगी है। इस ट्रेन में वर्ष पर्यंत कन्फर्म टिकट ही नहीं मिलता। स्थिति यह है कि 12555 में 15 दिसंबर तक किसी भी श्रेणी में वेटिंग टिकट भी नहीं मिल रहा। इस ट्रेन में एक जनरल कोच बढ़ने के बाद भी पैर रखने की जगह नहीं मिल रही।

क्षेत्रीय रेल उपयोगकर्ता परामर्शदात्री समिति (जेडआरयूसीसी) के सदस्य अरविंद कुमार सिंह कहते हैं कि राजधानी दिल्ली जाने के लिए भी लोगों को धक्के खाने पड़ रहे। गोरखपुर जंक्शन से गोरखपुर और बस्ती मंडल के अलावा बिहार और नेपाल के लोग भी ट्रेन पकड़ते हैं। गोरखपुर और बस्ती मंडल के दो करोड़ से अधिक की आबादी के लिए नियमित सिर्फ दो ट्रेनें हैं।

उनमें भी जनरल यात्रियों के लिए महज चार सौ सीटें। जो ट्रेनें चल रही हैं, उनमें न कन्फर्म टिकट मिल रहा और न जनरल कोचों में बैठने की जगह। अब तो त्योहार (दीपावली और छठ ही नहीं) वर्ष पर्यंत लोगों को धक्के खाने पड़ रहे। रेलवे प्रशासन दावा करता है कि पूर्वोत्तर रेलवे की ट्रैक क्षमता तेजी से बढ़ाई जा रही है। प्रमुख रेलमार्गों का दोहरीकरण के बाद विद्युतीकरण भी हो गया। ट्रेनों की गति बढ़कर 90-100 से 110 हो गई, लेकिन यात्रियों की मुश्किलें कम नहीं हो पा रहीं।

कुछ प्रमुख ट्रेनों की स्थिति

12555 गोरखधाम एक्सप्रेस की सभी श्रेणियों में 15 दिसंबर तक नो रूम की स्थिति।

22537 कुशीनगर एक्सप्रेस की स्लीपर और एसी थर्ड सहित सभी श्रेणियों में नो रूम।

20104 गोरखपुर- एलटीटी एक्सप्रेस में 15 तक एसी थर्ड और स्लीपर क्लास में नो रूम।

12511 राप्तीसागर एक्सप्रेस के स्लीपर में 12 और 13 दिसंबर को नो रूम की स्थित।

15029 गोरखपुर- पुणे एक्सप्रेस में 12 दिसंबर को सभी श्रेणियों में नो रूम की स्थिति।

12591, 22533 और 15023 गोरखपुर-यशवंतपुर में भी नो रूम की स्थिति बनी है।

पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह ने कहा कि  त्योहारों में यात्रियों की मांग के अनुसार रिकार्ड संख्या में पूजा स्पेशल ट्रेनें चलाई गई हैं। पूर्वोत्तर रेलवे के विभिन्न रूटों पर 259 स्पेशल ट्रेनें 1725 फेरा में चलाई गई हैं। अभी भी मांग के अनुसार विभिन्न रूटों पर स्पेशल ट्रेनें चलाई जा रही हैं। मांग बढ़ी तो और स्पेशल ट्रेनों का संचालन किया जाएगा। यात्रियों की बढ़ती मांग को ध्यान में रखते हुए रेलवे द्वारा सुनियोजित तरीके से क्षमता विस्तार का कार्य आगे बढ़ाया जा रहा है। यात्री सुविधाएं रेलवे की प्राथमिकताओं में हैं।

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