कहानी: विश्वास
अमित के सुखी वैवाहिक जीवन की बातें सुन कर अंजलि खिन्न हो उठी. तभी तो वह शिखा से मिल कर उस के वैवाहिक जीवन में जहर घोलना चाहती थी. क्या वह अपने मकसद में कामयाब हो पाई.
करीब 3 साल बाद अंजलि और अमित की मुलाकात शौपिंग सैंटर में हुई तो दोनों एकदूसरे का हालचाल जानने के लिए एक रेस्तरां में जा कर बैठ गए.
यह जान कर कि अमित ने पिछले साल शादी कर ली है, अंजलि उसे छेड़ने से नहीं चूकी, ‘‘मैं बिना पूछे बता सकती हूं कि वह नौकरी नहीं करती है. मेरा अंदाजा ठीक है?’’
‘‘हां, वह घर में रह कर बहुत खुश है, अंजलि,’’ अमित ने मुसकराते हुए जवाब दिया.
‘‘और वह तुम से लड़तीझगड़ती भी नहीं है न, अमित?’’
‘‘ऐसा अजीब सा सवाल क्यों पूछ रही हो?’’ अमित के होंठों पर फैली मुसकराहट अचानक गायब हो गई.
‘‘तुम्हारी विचारधारा औरत को सदा दबा कर रखने वाली है, यह मैं अच्छी तरह से जानती हूं, माई डियर अमित.
‘‘अतीत के हिसाब से तो तुम शायद ठीक कह रही हो, पर अब मैं बदल गया हूं,’’ अमित ने जवाब दिया.
‘‘तुम्हारी बात पर मुझे विश्वास नहीं हो रहा है.’’
‘‘तब सही बात शिखा से पूछ लेना.’’
‘‘कब मिलवा रहे हो शिखा से?’’
‘‘जब चाहो हमारे घर आ जाओ. मेरा यह कार्ड रखो. इस में घर का पता भी लिखा हुआ है,’’ अमित ने अपने पर्स में से एक विजिटिंग कार्ड निकाल कर उसे पकड़ा दिया.
‘‘मैं जल्दी आती हूं उस बेचारी से मिलने.’’
‘‘उस बेचारी की चिंता छोड़ो और अब अपनी सुनाओ. तुम्हारे पति तो पायलट हैं न?’’ अंजलि ने उस की टांग खींचना बंद नहीं किया तो अमित ने बातचीत का विषय बदल दिया.
‘‘हां, ऐसे पायलट हैं जिन्हें हवाईजहाज तो अच्छी तरह से उड़ाना आता है पर घरगृहस्थी चलाने के मामले में बिलकुल जीरो हैं,’’ अंजलि का स्वर कड़वा हो गया.
‘‘क्या तुम दोनों की ढंग से पटती नहीं है?’’ अमित की आवाज में सहानुभूति के भाव उभरे.
‘‘वे अजीब किस्म के इंसान हैं, अमित. मैं पास होती हूं तो मेरी कद्र नहीं करते. जब मैं नाराज हो कर मायके चली आती हूं तो मुझे वापस बुलाने के लिए खूब गिड़गिड़ाते हैं. तुम्हें अपने दिल की एक बात सचसच बताऊं?’’
‘‘हां, बताओ?’’
‘‘मुझे मनपसंद जीवनसाथी नहीं मिला है,’’ अंजलि ने गहरी सांस छोड़ी.
‘‘मैं तो हमेशा ही कहता था कि तुम्हें मुझ से अच्छा पति कभी नहीं मिलेगा पर तुम ने तब मेरी सुनी नहीं,’’ माहौल को हलका करने के इरादे से अमित ने मजाक किया.
‘‘मैं भी मानती हूं कि वह गलती तो मुझ से हो गई,’’ जवाब में अंजलि भी मुसकरा उठी.
‘‘पर तुम्हारी गलती के कारण मेरा तो बड़ा फायदा हो गया.’’
‘‘वह कैसे?’’
‘‘मुझे शिखा मिल गई. वह ऐसा हीरा है जिस ने मेरी जिंदगी को खुशहाल बना दिया है. तुम से शादी हो जाती तो आपस में लड़तेझगड़ते ही जिंदगी गुजरती,’’ अमित जोर से हंस पड़ा.
अमित की हंसी में अंजलि को अपना अपमान नजर आया. उसे लगा कि शिखा की यों तारीफ कर के वह उस की खिल्ली उड़ा रहा है.
उस ने मुंह बनाते हुए जवाब दिया, ‘‘मैं जब शिखा से मिलूंगी तभी इस बात का पता लगेगा कि वह कितनी खुश है तुम्हारे साथ. अपने मुंह मियां मिट्ठू बनना तो आसान होता है.’’
‘‘मैं इतना अच्छा पति हूं कि मेरी तारीफ करतेकरते उस का गला सूख जाएगा,’’ अमित ने ठहाका लगाया तो वह अंजलि को जहर लगने लगा.
जलन और अपमान की वजह से अंजलि ज्यादा देर उस के साथ नहीं बैठी. जरूरी काम का बहाना बना उस ने कौफी पीते ही विदा ले ली.
‘अमित जैसे गुस्सैल और शक्की इंसान के साथ कोई लड़की खुश रह ही नहीं सकती. उस से शादी न करने का मेरा फैसला गलत नहीं था,’ ऐसे विचारों में उलझी अंजलि से ज्यादा इंतजार नहीं हुआ और 2 दिन बाद ही उस ने शिखा से उस के घर फोन कर बात की.
उस ने शिखा से कहा, ‘‘तुम मुझे जानतीं नहीं हो शिखा, मैं अमित के कालेज की फ्रैंड अंजलि बोल रही हूं…’’
‘‘मुझे परसों ही बताया है अमित ने आप के बारे में. क्या आप आज हमारे यहां आ रही हो?’’ शिखा का उत्साहित स्वर अंजलि को अजीब सा लगा.
‘‘तुम्हारे घर तो मैं अपने पति के साथ किसी दिन आऊंगी. लेकिन आज अगर संभव हो तो तुम मेरे साथ कौफी पीने किसी पास के रेस्तरां में आ जाओ.’’
‘‘इस वक्त तो मेरा निकलना जरा…’’
अंजलि ने उसे टोकते हुए कहा, ‘‘मैं तुम से कुछ ऐसी बातें करना चाहती हूं, जो तुम्हारे फायदे की साबित होंगी.’’
‘‘तब हम मिल लेते हैं पर अभी नहीं बल्कि शाम को.’’
‘‘कितने बजे और कहां?’’
‘‘जिस मौल में तुम अमित से मिली थीं, उस की बगल में जो आकाश रैस्टोरैंट है, उसी में हम सवा 5 बजे मिलते हैं.’’
‘‘शिखा, अमित को तुम हमारी होने वाली मुलाकात के बारे में अभी कुछ नहीं बताना. बाद में बताना या न बताना तुम्हारा फैसला होगा.’’
‘‘ओके.’’
‘‘तो सवा 5 बजे मिलते हैं,’’ यह कह कर अंजलि ने फोन काट दिया.
शाम को रेस्तरां में मुलाकात होने पर पहले कुछ देर दोनों ने एकदूसरे के बारे में हलकीफुलकी जानकारी ली फिर अंजलि ने अपने मुद्दे पर बात शुरू कर दी.
‘‘क्या तुम्हें अमित ने बताया कि वह मुझ से प्यार करता था और हम शादी कर के साथ जिंदगी बिताने के सपने देखते थे?’’
‘‘नहीं, यह तो कभी नहीं बताया,’’ शिखा बड़े ध्यान से उस के चेहरे के हावभाव को पढ़ रही थी.
‘‘तब तो यह भी मुझे ही बताना पड़ेगा कि हमारे अलगाव का क्या कारण था.’’
‘‘बताइए.’’
‘‘शिखा, कालेज में हम दोनों सदा साथसाथ रहते थे, इसलिए हमारे बीच प्यार का रिश्ता बहुत मजबूत बना रहा. फिर मैं ने औफिस जाना शुरू किया तो परिस्थितियां बदलीं और उन के साथ बदल गया अमित का व्यवहार.’’
‘‘किस तरह का बदलाव आया उन के व्यवहार में?’’
‘‘वह बहुत ज्यादा शक्की आदमी है, क्या तुम मेरे इस कथन से सहमत हो?’’
‘‘यह तो तुम ने बिलकुल ठीक कहा,’’ शिखा हौले से मुसकरा उठी.
‘‘तब तुम समझ सकती हो कि किसी भी युवक से जरा सा खुल कर हंसनेबोलने पर अमित मुझ से कितना झगड़ता होगा. तुम्हें भी उस की इस आदत के कारण मानसिक यातनाएं झेलनी पड़ी होंगी?’’
‘‘थोड़ी सी… शुरूशुरू में,’’ शिखा की मुसकराहट और गहरी हो गई.
‘‘और अब?’’
‘‘अब सब ठीक है.’’
‘‘यानी अपने स्वाभिमान को मार कर व रातदिन के झगड़ों से तंग आ कर तुम ने घुटघुट कर जीना सीख लिया है?’’
‘‘ऐसा कुछ नहीं है. हमारे बीच झगड़े नहीं होते हैं.’’
‘‘तुम मुझ से कुछ भी छिपाओ मत, क्योंकि मैं तुम्हें अमित के हाथों प्रताडि़त होने से बचने की तरकीब बता सकती हूं,’’ अपने 1-1 शब्द पर अंजलि ने बहुत जोर दिया.
‘‘तो जल्दी बताइए न,’’ शिखा किसी छोटी बच्ची की तरह खुश हो उठी.
शिखा की दिलचस्पी देख कर अंजलि ने जोशीले अंदाज में बोलना शुरू किया, ‘‘मुझे उस ने अपने शक्की स्वभाव के कारण जब बहुत ज्यादा तंग करना शुरू किया तो मैं चुप रहने के बजाय उस के साथ झगड़ा करने के साथसाथ बोलचाल भी बंद कर देती थी. तब वह एकदम से सही राह पर आ जाता था.
‘‘तुम भी उस के गुस्से से डर कर दबना बंद कर दो. वह ख्वाहमख्वाह शक करे तो अपने को अकारण अपराधबोध का शिकार मत बनाया करो. अमित को सही राह पर रखने का तरीका यही है कि जब वह तुम्हें नाजायज तरीके से दबाने की कोशिश करे तो तुम पूरी ताकत से उस के साथ भिड़ जाओ. देखना, वह एकदम से सही राह पर आ जाएगा.’’
कुछ देर खामोश रह कर शिखा सोचविचार में खोई रही और फिर पूछा, ‘‘तुम ने यही रास्ता अपनाया था और वे इस से सही राह पर आ भी जाते थे, तो फिर तुम ने उन के साथ शादी क्यों नहीं की?’’
‘‘मैं बारबार होने वाले झगड़ों से तंग आ गई थी. मुझे जब यह लगने लगा कि यह आदमी कभी नहीं सुधरेगा, तो मैं ने हमेशा के लिए अलग होने का फैसला कर लिया था.’’
‘‘अच्छा, यह बताओ कि क्या तुम अपनी विवाहित जिंदगी में खुश और सुखी हो?’’
‘‘शादी के झंझटों में फंस कर कौन बहुत खुश और सुखी रह सकता है?’’
‘‘आप के पति पायलट हैं न?’’
‘‘हां.’’
‘‘उन की पगार 2-3 लाख रुपए तो होगी?’’
‘‘यह सवाल क्यों पूछ रही हो?’’
‘‘अमित अभी हर महीने 40 हजार रुपए कमाने तक पहुंचे हैं. मेरे मन में यह विचार उठ रहा है कि कहीं आर्थिक कारणों ने तब तुम्हारा मन बदलने में महत्त्वपूर्ण भूमिका तो नहीं निभाई थी?’’
‘‘मैं तुम्हारी सहायता करने आई हूं न कि अमित से शादी न करने के कारणों का खुलासा करने,’’ अंजलि एकदम से चिढ़ उठी.
‘‘लेकिन मुझे तुम्हारी किसी भी सहायता की जरूरत नहीं है. व्यक्तिगत स्वतंत्रता के नाम पर अपने जीवनसाथी से झगड़ने का तुम्हारा सुझाव मुझे बिलकुल बचकाना लगा. अमित जैसे हैं, अच्छे हैं और मैं उन के साथ बहुत खुश हूं,’’ शिखा ने अपने ऊपर से नियंत्रण नहीं खोया और शांत बनी रही.
‘‘तुम इस झूठ के साथ जीना चाहती हो तो तुम्हारी मरजी,’’ अंजलि नाराज हो कर बोली. शिखा ने अपने मोबाइल में समय देखा और बोली, ‘‘करीब 10 मिनट बाद अमित मुझे लेने यहां आ जाएंगे. तब तक हम किसी और विषय पर बात करते हैं.’’
‘‘मेरे मना करने पर भी तुम ने हमारी इस मुलाकात के बारे में उसे क्यों बताया?’’
अंजलि की आंखों में अब गुस्से के भाव नजर आ रहे थे.
‘‘मैं उन से कुछ नहीं छिपाती हूं. आज शक्की स्वभाव वाले अमित को मुझ पर पूरा विश्वास है तो उस के पीछे मेरी उन्हें सब कुछ बता देने की इस आदत से ही.’’
‘‘क्या तुम उसे हमारे बीच हुई बातों की भी सारी जानकारी दोगी?’’
‘‘हां, पर इस ढंग से नहीं कि तुम्हारी छवि खराब हो और तुम उन की नजरों में गिर जाओ.’’
‘‘थैंक यू. मुझे लग रहा है कि मैं ने तुम्हारी सहायता करने की पहल कर के शायद समझदारी नहीं दिखाई है. मैं चलती हूं,’’ अंजलि जाने को उठ खड़ी हुई.
‘‘अमित से नहीं मिलोगी?’’
‘‘नहीं. गुडबाय.’’
‘‘पत्नी को पति का दिल व विश्वास जीतने के लिए अगर पति के सामने झुक कर भी जीना पड़े, तो इस में कोई बुराई नहीं है, अंजलि.’’
‘‘मुझे ये लैक्चर क्यों दे रही हो?’’
‘‘मैं लैक्चर नहीं दे रही हूं पर इंसान को अपनी समझ में आई कोई भी अच्छी बात दूसरों से बांट लेनी चाहिए. अपने पति के साथ तुम हमारे घर जरूर आना.’’
‘‘कोशिश करूंगी,’’ रुखाई से जवाब दे कर अंजलि तेज कदमों से चल पड़ी.
अपनी बातों का जो असर वह शिखा
पर देखना चाह रही थी, वह उसे नजर नहीं आया था. शक्की अमित को उस ने कभी
यही सोच कर रिजैक्ट कर दिया था कि वह अच्छा पति साबित नहीं होगा. शिखा उस के साथ शादी कर के सुखी और संतुष्ट है, यह बात उसे हजम नहीं हो रही थी. उस के साथ अपनी तुलना कर रही अंजलि के मन में खीज व गुस्से के भाव पलपल बढ़ते ही जा रहे थे.