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कहानी: नोकझोंक

शिप्रा और आदित्य की नईनई शादी हुई थी. दोनों में प्रेम भी था. मगर फिर ऐसा क्या हुआ कि अब उसे शिप्रा फूटी आंख भी नहीं सुहाने लगी...
डोरबेल की आवाज सुन कर जैसे ही शिप्रा ने दरवाजा खोला. आदित्य उस के सामने खड़ा था. जैसेकि इंसान के बोलनेसमझने से पहले ही आंखें बहुत कुछ बोलसुन, समझ जाती हैं उसी तरह शिप्रा और आदित्य को पता चल गया था कि दोनों से गलती हुई है. दोनों में से किसी ने बात खत्म करने की नहीं सोची थी. बहस बहुत छोटी सी बात की थी.

उस दिन शिप्रा अपने भाईभाभी के शादी की सालगिरह पर जाने को तैयार बैठी थी. आदित्य ने भी 5 बजे आने को बोला था पर औफिस में ऐन मौके पर मीटिंग की वजह से भूल गया. फोन साइलैंट पर था तो आदित्य ने फोन उठाया नहीं. काम समेटते साढे 6 बज गए. काम खत्म कर फोन देखा तो शिप्रा की 13 मिस्ड कौल्स थीं. आननफानन में आदित्य घर की तरफ भागा पर घर पहुंचतेपंहुचते 7 बज गए.

उधर शिप्रा का गुस्सा 7वें आसमान पर था. आदित्य ने तुरंत शिप्रा को सौरी बोला पर शिप्रा ने तो जैसे सुना ही नहीं और अकेले ड्राइवर के साथ मायके चली गई. आदित्य भी तब तक नाराज हो चुका था कि यह भी कोई बात हुई कि सामने वाले को कुछ कहने का मौका ही न दो. वह भी पीछे से नहीं गया.

उधर शिप्रा से मायके में हरकोई आदित्य को पूछ रहा था. बहाने बनातेबनाते शिप्रा का मूड बहुत औफ हो गया. पार्टी खत्म होने के बाद सारे मेहमान चले गए तो शिप्रा ने गुस्से में ड्राइवर को घर भेज दिया और खुद मां के पास रुक गई.

‘‘आदित्य मीटिंग से लौटेगा तो तुम्हें मिस करेगा,’’ भाभी ने मजाक किया.

‘‘अरे नहीं भाभी, उस को मैं ने बता दिया है और क्या मैं अब इतनी पराई हो गई कि यहां रुक नहीं सकती,’’ शिप्रा ने बहाना बनाने के साथ एक भावनात्मक तीर भी छोड़ दिया.

‘‘यह तुम्हारा ही घर है बेटा. जब तक रुकना चाहो रुको. पर आदित्य को बता कर,’’ मां ने उसे गले लगाते हुए कहा. मां सम?ा गई थीं कि शिप्रा की आदित्य से कुछ तो अनबन हुई है. पर अनुभव से यह भी समझ गई कि सुबह तक सब ठीक हो जाएगा, नईनई शादी में इस तरह की नोक?ांक टौनिक का काम करती है. ऐसे में किसी और का कुछ न टोकना ही अच्छा है नहीं तो बात बनेगी नही बिगड़ जाएगी. मां बहुत सुलझ और सरल महिला थीं.

इधर ड्राइवर के खाली गाड़ी ले कर लौट आने पर आदित्य का मन और खिन्न हो गया. थोड़ा लेट ही सही, आ गया था और वह भी मेरे आने के बाद ही तो गई. इतनी भी क्या अकड़.

आदित्य सारी रात सो न सका. अभी शादी को 3 महीने भी तो नहीं हुए थे. वह शिप्रा को इतना मिस करने लगा कि वह अपनी सारी नाराजगी भूल गया. नींद तो शिप्रा को भी नहीं आ रही थी. उसे भी अब अपने ऊपर गुस्सा आने लगा था कि नाहक आदित्य पर इतना नाराज हुई. क्या हो जाता. थोड़ी वह ही सम?ादार बन जाती. रात आंखोंआंखों में कट गई. सुबह होते ही आदित्य शिप्रा के मायके पहुंच गया और शिप्रा भी जैसे उसी का इंतजार कर रही थी. डोरबैल की आवाज पर लपक कर दरवाजा खोला.

‘‘चलें,’’ आदित्य ने मुसकराते हुए कहा तो शिप्रा ने तुरंत उस की बांह थाम ली.

‘‘चले जाना… चले जाना, पर कम से कम नाश्ता कर लो वरना अब वहां तो टाइम नहीं मिलेगा. मेरा मतलब है नाश्ते का समय निकल जाएगा,’’ शिप्रा की भाभी ने चुटकी लेते हुए छेड़ा तो दोनों ?ोंप गए.

नाश्ता कर के सब से विदा ले ली. गाड़ी में बैठते ही शिप्रा ने आदित्य की आंखों में देखते हुए अपने दोनों कान पकड़ लिए तो आदित्य ने भी उस का माथा चूम लिया. बिन कहे, बिन सुने दोनों ने अपनीअपनी गलती भी मान ली और माफी भी मांग ली.
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