कहानी: कोने वाली टेबल
अकेले ऐसी जगह घूमना छूटता जा रहा है. आज कई दिनों बाद ऐसे शाम बिताई, अच्छा लगा. कोई फ्रैंड फिर बनाऊं, न पटे तो फिर ब्रेकअप हो. फिर मूड खराब हो, इस से अच्छा है कि तुम...
ठाणे में सब से बड़ा मौल है, विवियाना मौल. काफी बड़ा और सुंदर. एक से एक ब्रैंडेड शोरूम हैं. जब से यह मौल बना है, ठाणे में रहने वालों को हाई क्लास शौपिंग के लिए बांद्रा नहीं भागना पड़ता. वीकैंड में टाइम पास करने वालों की यह प्रिय जगह है. थर्डफ्लोर पर बढ़िया फ़ूड कोर्ट है. वैसे, हर फ्लोर पर बहुत ही क्लासी रैस्त्रां हैं, उन में से एक है, येलो चिल्ली. यह मशहूर सैलिब्रिटी शेफ संजीव कपूर की फ़ूडचेन का पार्ट है.
येलो चिल्ली की कोने वाली टेबल पर 30 वर्षीया लकी बहुत देर से बैठी फ्रैश लाइम वाटर पी रही है. उसे इंतज़ार है सुमित का. बस फोटो ही देखी है उस ने सुमित की. अपने घर वालों के कहने पर दोनों आज पहली बार अकेले मिल रहे हैं. सुमित अंदर आया, लकी ध्यान से सुमित को देख रही थी.
सुमित ने इधरउधर देखा, सीधा लकी के पास आ कर ‘हैलो’ बोला और अपना बैग दूसरी खाली पड़ी चेयर पर रखता हुआ बैठ गया. पूछ लिया, “आप इतने ध्यान से क्या देखने की कोशिश कर रही हैं?”
“देख रही हूं, टौल, डार्क एंड हैंडसम वाले कौन्सैप्ट पर कितना फिट बैठते हो.”
सुमित हंस पड़ा, तो क्या देखासुना-
“सब बकवास है, पता नहीं किस ने यह लाइन बना दी. लड़कियां फ़ालतू में टौल, डार्क एंड हैंडसम लड़कों की कल्पना करकर के अपना टाइम खराब करती हैं. अरे, क्या फर्क पड़ जाएगा अगर लड़का गोरा हो गया तो, या न हो लंबा? क्या करना है, सब अमिताभ बच्चन हो सकते हैं क्या? और हैंडसम होने की परिभाषा तो सब की अपनीअपनी अलग होती है न…
सुमित बहुत ही ध्यान से लकी को देखने लगा, लड़की है या तोप का गोला, किस बात पर इतनी भरी बैठी है. अभी तो आ कर बैठा ही हूं और यह तो शुरू हो गई. लकी अब मैन्यू कार्ड देखने लगी थी.
सुमित को लगा यही मौका है इसे ध्यान से देख लूं. वाइट जंप सूट में पोनीटेल बनाए, सुंदर सा चेहरा, अच्छा लग रहा था.
लकी ने कहा, “पहले और्डर दे दें? मुझे भूख लगी है, भूख के आगे मुझे कुछ नहीं सूझता. मेरा पेट भरा होना चाहिए, तभी मुझ से ठीक से बात हो पाती है.’’
सुमित ने कहा, “हां, हां, और्डर करते हैं, बताओ, क्या खाओगी?”
आप अपनी पसंद बताएं, मुझे यहां के छोलेभठूरे अच्छे लगते हैं, जब भी आती हूं, वही खाती हूं.’’
“मैं भी वही खा लूंगा.”
“क्यों, अपनी कोई पसंद नहीं आप की?”
“मैं तो सबकुछ खा लेता हूं, जो सामने दोस्त खा रहे होते हैं, मैं उस में खुश हो जाता हूं.”
“मुझे आप ने दोस्त मान लिया, पहली बार तो मिले हैं?”
सुमित चुप रहा, वेटर आया तो लकी ने कहा, “एक प्लेट छोलेभठूरे, एक प्लेट दहीकबाब, एक प्लेट पनीरटिक्का.”
वेटर के जाने के बाद सुमित ने हैरानी से कहा, “क्याक्या मंगवा लिया?”
लकी ने मुसकरा कर कहा, “मुझे बहुत सारी चीजें और्डर करना अच्छा लगता है, फिर एकदूसरे के साथ शेयर कर के ज्यादा चीजें खाई जा सकती हैं. असल में, आई एम अ बिग फूडी. नहीं तो अभी एकएक प्लेट छोलेभठूरे ही खा पाते, अब और भी चीजें खा सकते हैं. यह ठीक रहता है न.”
“लकी जी, मैं ने कभी और्डर को ले कर इतना सोचा नहीं.”
“आप कितने साल के हैं? सही वाली उम्र बताना, सर्टिफिकेट वाली नहीं.”
“30’’
“मैं भी 30. तो फिर बात करते हुए ये आप, आप, जी, लगाना बंद करें क्या? बोरिंग हो रहा है.’’
“अच्छा रहेगा.’’
“सुनो, तुम सचमुच शादी करना चाहते हो?”
“अभी नहीं, पर घर वाले बहुत जोर डाल रहे हैं.’’
“मेरे साथ भी यही प्रौब्लम है. अभी तो जौब में सेट हुई हूं, सोचा था थोड़ा घूमूंगी, फिरूंगी. मुझे नईनई जगहें देखने का बहुत शौक है. पर एक तो घर वाले और ऊपर से रिश्तेदार, चैन नहीं लेने दे रहे. और मुझे लगता है मेरी किसी से बनेगी भी नहीं, गलत बात किसी की जरा भी सहन नहीं होती, झगड़ा हो जाता है. मुझे गुस्सा भी बहुत आता है. तुम बताओ, क्यों कर रहे हो शादी? तुम तो लड़के हो, तुम्हें तो इतने फायदे हैं, कुछ भी कह सकते हो?”
“बस, मम्मीपापा ने रट लगा रखी है कि तुम शादी करो तो छोटे भाई का नंबर आए.”
“पर तुम्हारे शादी न करने की क्या वजह है?”
“बस, अभी मूड नहीं है.’’
“कोई अफेयर चल रहा है या ब्रेकअप हुआ है?”
“ब्रेकअप हुआ है.’’
“तो उस का गम मनाना चाहते हो?”
“नहीं, अब क्या गम मनाना, 2 महीने हो गए इस बात को.’’
“ब्रेकअप क्यों हुआ?”
इतने में वेटर ने खाना ला कर रखा तो लकी ने कहा, “चलो, खाने पर टूट पड़ती हूं, तुम्हारी सैड स्टोरी बाद में सुनती हूं, टैस्टी चीजों का मजा खराब नहीं करना चाहती.’’
सुमित मुसकरा दिया तो लकी ने कहा, “तुम कम बोलते हो क्या या ब्रेकअप के बाद लड़की से बात करने का कौन्फिडैंस ख़त्म हो गया?”
“हां, हो सकता है, जरा मूड कम ही होता है हंसनेबोलने का.”
“क्या बढ़िया छोले बने हैं, वाह, मजा आ गया. मेरी मम्मी भी छोले बनाती तो हैं अच्छे, पर यहां जैसे थोड़े ही बनते हैं घर पर, है न?”
“हां, अच्छा लग रहा है खाना.”
“तुम्हें पता है जब भी मैं विवियाना आती हूं, चाहे टाइम जो भी हो रहा हो, ये दहीकबाब जरूर खाती हूं. तुम नौनवेज खाते हो?”
“हां, तुम?”
“बाहर दोस्तों के साथ खाती हूं, घर वालों को नहीं पता है. तुम सिगरेट पीते हो?”
“हां, कभीकभी. तुम भी पीती हो क्या?”
“एकदो बार पी, मजा नहीं आया, फिर नहीं पी. शराब?”
“घर वालों को नहीं पता, कभीकभी किसी पार्टी में पीता हूं और फिर किसी दोस्त के घर पर ही रुक जाता हूं.”
“सुनो, एक काम करोगे, अपने घर वालों से कह देना कि मैं मिलने आई ही नहीं थी, मुझे नहीं करनी शादी अभी. अपने घर वालों से मैं निबट लूंगी. उन्हें पता चलना चाहिए कि जबरदस्ती करेंगे तो मैं किसी लड़के से मिलने जाऊंगी ही नहीं. मैं ने पहले 2 लड़कों को तो दूर से देखते ही रास्ता बदल लिया था, मिलने ही नहीं गई थी. मेरे घर वाले भी थकते नहीं मेरी बदतमीजी से.’’
“तो, आज मुझ से क्यों मिलीं?”
“बोर हो रही थी, यहां लंच का मूड हो गया.’’
“कोई बौयफ्रैंड है?”
“अभी तो नहीं है.’’
“कब था?”
“एक साल पहले.’’
“ब्रेकअप क्यों हुआ?”
“अपनी ज्यादा चलाता था, हर बात में रोकटोक करने लगा था, फिर मेरे गुस्से को झेल नहीं पाया. तुम्हें बताया न, कि मुझे बहुत गुस्सा आता है.’’
खाना हो चुका था. लकी ने वेटर को बिल लाने का इशारा किया. सुमित अपना वौलेट निकालने लगा तो लकी ने कहा, “मैं पे करूंगी.’’
“प्लीज, मुझे करने दो.’’
“क्यों?”
“मुझे अच्छा नहीं लगेगा, मुझे करने दो.’’
“नहीं, मेरा मन है.’’
“ओके, अगली बार करने दोगी?”
“हम मिल रहे हैं दोबारा?”
“तुम बताओ?’’
“मुश्किल है.’’
“अच्छा, ठीक है, जैसे तुम्हारी मरजी.’’
खाना खा कर दोनों बाहर निकले, तो लकी ने कहा, “जल्दी है जाने की?”
“नहीं, कुछ काम है?”
“बस, एक ब्लैक पैंट लेनी है ज़ारा से. ले लूं, फिर साथ ही निकलते हैं,” ग्राउंडफ्लोर तक आतेआते लकी ने पूछा, “अरे, तुम ने बताया नहीं, तुम्हारा ब्रेकअप क्यों हुआ था?”
“वह बहुत शक्की थी. किसी से भी बात करता, कहीं भी मैं जाता, बहुत सारे सवालों के साथ शक करती. फिर चैक करती कि कहीं मैं ने झूठ तो नहीं बोला. पूछताछ करती सब से. मुझे लगा, जब रिश्ते में विश्वास ही नहीं तो सब बेकार है.”
“औफिस कहां है तुम्हारा?”
“अंधेरी में.’’
“और तुम्हारा?”
“अंधेरी.’’
“अरे, वाह, कैसे जाती हो?”
“एसी बस से. तुम कैसे जाते हो?”
“कार से.”
“बढ़िया.’’
‘ज़ारा’ शोरूम में अपना बैग सुमित को पकड़ा लकी ने जल्दी से पैंट ट्राई कर के ले ली, तो सुमित ने हंसते हुए कहा-
“इतनी जल्दी ले ली? लड़कियां तो शौपिंग में बहुत टाइम लगाने के लिए मशहूर हैं?’’
“मुझे शौपिंग में टाइम खराब करना पसंद नहीं. काम की चीजें लेती हूं और निकलती हूं, ट्रायल रूम की भीड़ से तबीयत घबरा जाती है मेरी. चलो, निकलते हैं, अब. अच्छा लगा मिल कर.”
“हां, अच्छा तो लगा मुझे भी, कैसे आई हो?”
“औटो से. वैसे, मैं ने कार ले ली है, एकदो दिन में डिलीवरी होने वाली है. मैं बहुत एक्ससाइटेड हूं अपनी कार के लिए.”
“यह तो बड़ी ख़ुशी की बात है. अपनी कार की एक पार्टी तो बनती है,” सुमित सचमुच बहुत खुश हुआ था सुन कर.
“पार्टी चाहिए तुम्हें कार की?’’
“तुम्हारा मन हो तो मैं दूं तुम्हें तुम्हारी कार की पार्टी? जब कार आ जाए तो तुम्हारी कार से मरीन ड्राइव चलेंगे. वहीं पिज़्ज़ा एक्सप्रैस में पिज़्ज़ा खिलाऊंगा तुम्हें? बोलो, चलोगी?”
“प्रोग्राम तो अच्छा सोच रहे हो तुम? कहीं तुम्हें मैं पसंद तो नहीं आ गई? देखो, मेरा शादी का कोई मूड नहीं है अभी.”
“अरे बाबा, मुझे भी नहीं करनी है शादी, इसलिए तुम्हारे साथ थोड़ा ठीक लग रहा है.’’
“ठीक है, लाओ फोन नंबर दो अपना, कार आने पर तुम्हें फोन करूंगी, चलेंगे घूमने. और याद रखना, अपने घर वालों को कहना कि मैं मिली ही नहीं.”
“ठीक है.’’
अपने घर से थोड़ा दूर ही सुमित की कार से उतरते हुए लकी ने कहा, “अरे, यह तो बताओ, तुम्हारा अपनी गर्लफ्रैंडफ्रेंड के साथ सैक्स भी चलता था?”
“हां, और तुम्हारा?”
“हां, चलो, बाय, मिलते हैं फिर, कार आने पर.’’
घर जा कर दोनों ने झूठ बोल दिया कि वे आपस में मिले ही नहीं, लकी डांट खाती रही, सुमित के घरवाले दूसरी लड़कियों के बारे में अपनी राय देने लगे. लकी और सुमित ने फोन नंबर होने पर भी एकदूसरे से कोई बात न की, न कोई मैसेज भेजा. जिस दिन लकी की कार आई, लकी ने सुमित को फोन किया, “मरीन ड्राइव चलना है?”
“हां, संडे को शाम 5 बजे निकलेंगे. अपना ऐड्रेस भेज रहा हूं, मुझे लेने आ जाना.’’
संडे तक का टाइम दोनों ने वैसा ही बिताया जैसा दोनों का रूटीन था. संडे शाम को सुमित वर्तक नगर की नीलकंठ सोसाइटी में अपनी बिल्डिंग के बाहर ही मिल गया, सीट बेल्ट बांधते हुए सुमित ने कहा, “कलर सुंदर है कार का, ब्लू कलर मुझे भी पसंद है. कैसा लग रहा है अपनी कार चलाना?”
“बढ़िया. मैं कार चला रही हूं, तुम्हारी मेल ईगो तो नहीं हर्ट हो रही है?”
“नहीं, आराम मिल रहा है, थक जाता हूं रोज ड्राइविंग से, आज मजे से बैठ कर जाऊंगा.’’
शाम बहुत सुंदर लगी आज दोनों को. जाने कितनी बातें होती रहीं. दोनों हैरान से एक किनारे साथ घूमते हुए बीचबीच में समुद्र की लहरें देखने के लिए खड़े हो जाते, हलकेहलके सुरमई से अंधेरे में समुद्र किनारे बनी चट्टानों के पास की दीवारों पर बैठे युवा जोड़े चहक रहे थे. कुछ एकदूसरे की कमर में हाथ डाले एकदूसरे में यों खोए थे कि जैसे किसी बात का उन पर असर नहीं. चाहे उन्हें कोई भी देख रहा हो, चाहे कोई कुछ भी सोच रहा हो. मुंबई में इन जगहों में ये सीन बहुत ही आम हैं. बाहर से आए लोग जल्दी इन सीन को हजम नहीं कर पाते. ऐसे प्रेमियों को बेशर्मों का तमगा तुरंत थमा दिया जाता है.
पिज़्ज़ा एक्सप्रैस में पिज़्ज़ा खाते हुए लकी ने कहा, “सुनो, तुम मुझे वैसे तो ठीक ही लग रहे हो, क्या कहते हो, एकदो बार और टाइम साथ बिताते हैं. दिल हां कर रहा हो, तो शादी कर ही लें क्या?”
सुमित हंसा, बोला, “इतनी जल्दी मूड चेंज हो गया?”
“हां, सोच रही हूं, कर ही लूं. साथ की लड़कियों की भी शादी हो गई है. अकेले ऐसी जगह घूमना छूटता जा रहा है. आज कई दिनों बाद ऐसे शाम बिताई, अच्छा लगा. कोई बौयफ्रैंड फिर बनाऊं, न पटे तो फिर ब्रेकअप हो. फिर मूड खराब हो, इस से अच्छा है कि तुम से शादी कर लूं, साथ घूमने वाला साथी भी मिल जाएगा. बोलो, क्या कहते हो?”
“मैं भी सोच रहा हूं कि तुम से ही कर लूं शादी. तुम कार चलाया करोगी तो मुझे भी आराम हो जाएगा. तुम शौपिंग में बोर भी नहीं करोगी. सो, तुम भी मुझे लग तो ठीक ही रही हो. ठीक है, थोड़ा और मिलते हैं, फिर कर ही लेते हैं शादी.”
दोनों जोर से हंस दिए. फिर वही हुआ जो दोनों ने बिलकुल भी नहीं सोचा था. अगले महीने ही दोनों की शादी हो गई, धूमधाम से. और दोनों अकसर विवियाना मौल में येलो चिल्ली की उसी कोने वाली टेबल पर डिनर करने जरूर जाते हैं. दोनों को ही उस कोने वाली टेबल से कुछ इश्क सा हो गया है!