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कहानी: बांझ

पति के भड़के मिजाज को देख राधा ने चुप रहना ही उचित समझा. शहर के बड़े से बड़े डाक्टर से उस का इलाज हुआ, फिर भी उस की कोख सूनी ही रही.
रोज की तरह आज की सुबह भी सास की गाली और ताने से ही शुरू हुई. राधा रोजरोज के झगड़े से तंग आ चुकी थी, लेकिन वह और कर भी क्या सकती थी? उसे तो सुनना था. वह चुपचाप सासससुर और पड़ोसियों के ताने सुनती और रोती.

राधा की शादी राजेश के साथ 6 साल पहले हुई थी. इन 6 सालों में जिन लोगों की शादी हुई थी, वे 1-2 बच्चे के मांबाप बन गए थे. लेकिन राधा अभी तक मां नहीं बन पाई थी. इस के चलते उसे बांझ जैसी उपाधि मिल गई थी.

राह चलती औरतें भी राधा को तरहतरह के ताने देतीं और बांझ कह कर चिढ़ातीं. राधा को यह सब बहुत खराब लगता, लेकिन वह किसकिस का मुंह बंद करती, आखिर वे लोग भी तो ठीक ही कहते हैं.

राधा सोचती, ‘मैं क्या करूं? अपना इलाज तो करा रही हूं. डाक्टर ने लगातार इलाज कराने को कहा है, जो मैं कर रही हूं. लेकिन जो मेरे वश में नहीं है, उसे मैं कैसे कर सकती हूं?’ एक दिन पड़ोस का एक बच्चा खेलतेखेलते राधा के घर आ गया. बच्चे को देख राधा ने उसे अपनी गोद में बिठा लिया और उसे प्यार से चूमने लगी.

जब सास ने राधा को दूसरे के बच्चे को चूमते हुए देखा, तो वह बिफर पड़ी. वह उस की गोद से बच्चे को छीनते हुए बोली, ‘‘कलमुंही, बच्चा पैदा करने की तो ताकत है नहीं, दूसरों के बच्चों से अपना मन बहलाती है.

‘‘अरी, तू क्यों डालती है अपना मनहूस साया दूसरों के बच्चे पर…?

‘‘तू तो उस बंजर जमीन की तरह है, जहां फसल तो दूर घास भी उगना पसंद नहीं करती.’’

जब राधा से सास की बातें नहीं सुनी गईं, तो वह अपने कमरे में जा कर अंदर से दरवाजा बंद कर रोने लगी. रात को राजेश के आने पर राधा ने रोते हुए सारी बात उसे बता दी और बोली, ‘‘मैं बड़ी अभागिन हूं. मैं किसी की इच्छा पूरी नहीं कर सकती, ऊपर से मुझ पर बांझ होने का धब्बा भी लग चुका है.’’

राधा की बातें सुन कर राजेश ने कहा, ‘‘तुम मां की बातों का बुरा मत मानो. उन्हें ऐसा नहीं कहना चाहिए. हर मांबाप की इच्छा होती है कि उन के परिवार को आगे बढ़ाने वाला उन के रहते हुए ही आ जाए. तुम से यह इच्छा पूरी नहीं होते देख कर मां तुम से उलटीसीधी बातें बोलती हैं. तुम चिंता मत करो, तुम्हारा इलाज चल रहा है. तुम जरूर मां बनोगी.’’

राधा बोली, ‘‘मेरी एक सहेली थी, वह भी बहुत दिनों बाद मां बनी थी. मां बनने में देर होते देख कर जब उस ने अपना इलाज कराया, तो जांच में उस में कोई कमी नहीं पाई गई. कमी उस के पति में थी. जब उस के पति ने इलाज कराया, तभी वह मां बन सकी.

‘‘हो सकता है, उसी की तरह आप में भी कोई कमी हो. इसलिए मैं चाहती हूं कि आप भी एक बार अपना इलाज करा लेते.’’

राधा की बात सुन कर राजेश भड़क उठा, ‘‘मुझ में भला क्या कमी हो सकती है? मैं तो बिलकुल ठीक हूं. मुझ में कोई कमी नहीं है.

‘‘मेरी चिंता छोड़ो, तुम अपना अच्छी तरह इलाज कराओ.’’

‘‘मैं मानती हूं कि आप में कोई कमी नहीं है, लेकिन तसल्ली की खातिर…’’ राधा ने सलाह देने के खयाल से ऐसा कहा, लेकिन राजेश ने उस की बात को बीच में ही काट दिया, ‘‘नहीं राधा, तसल्ली वगैरह कुछ नहीं. मैं ने कहा न कि मुझ में कोई कमी नहीं है,’’ राजेश ने उसे डांट दिया.

पति के भड़के मिजाज को देख राधा ने चुप रहना ही उचित समझा. शहर के बड़े से बड़े डाक्टर से उस का इलाज हुआ, फिर भी उस की कोख सूनी ही रही. डाक्टर ने जांच के दौरान उस में कोई कमी नहीं पाई.

‘‘देखो राधा, रिपोर्ट देखने के बाद तुम में कोई कमी नजर नहीं आती. शायद तुम्हारे पति में कोई कमी होगी. तुम एक बार उसे भी इलाज कराने की सलाह दो,’’ डाक्टर ने उसे समझाया.

अब राधा को पूरा भरोसा हो गया था कि उस में कोई कमी नहीं है. मां बनने के लिए कमी उस के पति में ही है, लेकिन उसे कौन समझाए. उसे राजेश के गुस्से से भी डर लगता था.

एक दिन किसी ने राधा की सास को बताया कि पास ही गांव के मंदिर में एक बाबा रहते हैं, जिस की दुआ से हर किसी का दुख दूर हो जाता है. सास ने यह बात अपने बेटे राजेश को बता दी और राधा को बाबा के पास भेजने को कहा. रात को राजेश ने राधा से कहा, ‘‘कल तुम मंदिर चली जाना.’’

‘‘ठीक है, मैं चली जाऊंगी, लेकिन मैं डाक्टर के पास गई थी. डाक्टर ने मुझ में कोई कमी नहीं बताई. इसलिए मैं चाहती हूं कि आप भी एक बार अपना…’’ डरतेडरते राधा कह रही थी, लेकिन राजेश ने उस की बात को अनसुना कर दिया.

‘‘राधा, मैं कहीं नहीं जाऊंगा. तुम कल मंदिर में बाबा के पास चली जाना,’’ ऐसा कह कर राजेश सो गया.

राधा ने भी अपने माथे पर लगा बांझपन का धब्बा मिटाने के लिए बाबा के पास जा कर उन से दुआ लेने की सोच ली. दूसरे दिन सवेरे नहाधो कर वह बाबा के पास चली गई. मंदिर में लगी भीड़ को देख कर उसे भरोसा हो गया कि वह भी बाबा की दुआ पा कर मां बन सकती है.

राधा बाबा के पैरों पर गिर पड़ी और कहने लगी, ‘‘बाबा, मेरा दुख दूर करें. मैं 6 साल से बच्चे का मुंह देखने के लिए तड़प रही हूं.’’

‘‘उठो बेटी, निराश मत हो. तुम्हें औलाद का सुख जरूर मिलेगा.

‘‘लेकिन, इस के लिए तुम्हें माहवारी होने के बाद यहां 4 दिनों तक रह कर लगातार पूजा करनी होगी.’’

‘‘ठीक है बाबा, मैं जरूर आऊंगी.’’ राधा खुशी से घर गई. घर आ कर उस ने सारी बातें अपने पति को बताईं.

‘‘मैं कहता था न कि जो काम दवा नहीं कर सकती, कभीकभी दुआ से हो जाती है. बाबा की दुआ पा कर अब तुम जरूर मां बनोगी, ऐसा मुझे भरोसा है. तुम ठीक समय पर बाबा के पास चली जाना,’’ राजेश ने खुश होते हुए कहा. राधा अब बेसब्री से माहवारी होने का इंतजार करने लगी. कुछ दिन बाद उसे माहवारी हो गई.

माहवारी पूरी होने के बाद राधा फिर बाबा के पास गई. उसे देखते ही बाबा ने कहा, ‘‘बेटी, जैसा कि मैं ने तुम्हें पहले भी कहा था कि यहीं रह कर 4 दिनों तक लगातार पूजा करनी पड़ेगी, तभी तुम मां बन सकोगी.’’

‘‘जी बाबा, मैं रहने के लिए तैयार हूं,’’ राधा ने कहा.

‘‘ठीक है, अभी तुम अंदर चली जाओ. रात से तुम्हारे लिए पूजा करनी शुरू करूंगा,’’ अपनी चाल को कामयाब होते देख बाबा मन ही मन खुश होते हुए बोला.

रात को बाबा ने राधा से कहा, ‘‘बेटी, इस पूजा के दौरान कोई भी देवता खुश हो कर तुम्हें औलाद दे सकता है. इस के लिए तुम्हें सबकुछ चुपचाप सहन करना पड़ेगा, नहीं तो तुम कभी मां नहीं बन पाओगी.’’

‘‘जी बाबा, मैं सबकुछ करने को तैयार हूं. बस, मुझे औलाद हो जानी चाहिए.’’

राधा के इतना कहने के बाद बाबा उसे एक कोठरी में ले गए, जहां हवनकुंड बना हुआ था. उस में आग जल रही थी. बाबा ने उसे वहीं पर बिठा दिया और वह भी बैठ कर जाप करने लगा.

कुछ देर तक जाप करने के बाद बाबा ने कहा, ‘‘राधा, देवता मुझ में समा चुके हैं. वह तुम्हें औलाद का सुख देना चाहते हैं, इसलिए तुम चुपचाप अपने बदन के सारे कपड़े उतार दो और औलाद पाने के लिए मेरे पास आ जाओ. वह तुम्हें दुआ देना चाहते हैं.’’

राधा ने यह सोच कर कि बाबा में देवता समा चुके हैं और देवता जो भी करते हैं, गलत नहीं करते, इसलिए उस ने अपने बदन के सारे कपड़े उतार दिए. बाबा उस के अंगों से खेलने लगा और उसे दुआ देने के नाम पर उस की इज्जत पर डाका डाल दिया. 4 दिनों तक लगातार बाबा ने इस पूजा के बहाने राधा से जिस्मानी संबंध बनाए. 5वें दिन बाबा ने कहा, ‘‘राधा बेटी, हमारी दुआ कबूल हो गई. पूजा भी पूरी हो गई. अब तुम जरूर मां बनोगी. तुम घर जा सकती हो.’’

बाबा की दुआ ले कर वह खुशीखुशी घर लौट आई. 9 महीने बाद राधा मां बन गई. उसे बाबा की दुआ लग गई थी. उस के माथे से बांझपन का धब्बा मिट चुका था. घर के सारे लोग बहुत खुश थे. राजेश को अब पूरा यकीन हो गया था कि उस में भी बाप बनने की ताकत है, लेकिन सचाई से सभी अनजान थे.
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