कहानी: पश्चाताप
‘यस आई एम सिंगल. शी इज माई लिवइन पार्टनर ओनली.’ उस ने समझ लिया था कि अब विशेष से कुछ भी कहनासुनना व्यर्थ है.
गार्गी टैक्सी की खिड़की से बाहर झांक रही थी. उस के दिमाग में जीवन के पिछले वर्ष चलचित्र की भांति घूम रहे थे. उस की उंगलियां मोबाइल पर अनवरत चल रही थीं. आरव, प्लीज, अब एक मौका दो. तुम ने मुझे प्यार, समर्पण, भरोसा, सुखसुविधा सबकुछ देने की कोशिश की, लेकिन मैं पैसे के पीछे भागती रही ऒर आज इस दुनिया में नितांत अकेली खड़ी हूं… “मैडम, कहां चलना है?” ड्राइवर की आवाज से उस की तंद्रा भंग हुई.
“मैरीन ड्राइव.”
मुंबई में गार्गी का प्रिय स्थान, मैरीन ड्राइव, जहां समुद्र की उठती लहरें और लोगों का हुजूम देख कर उस का अकेलापन कुछ क्षणों के लिए दूर हो जाता है. आज वहां वह एक कालेज युगल को हाथ में हाथ डाले घूमते देख आरव की यादों में खो गई… गार्गी एक साधारण परिवार की महत्त्वाकांक्षी लड़की थी. उस ने अपने मन में सपना पाल रखा था कि वह किसी रईस लड़के से शादी करेगी. दूध सा गोरा रंग, गोल चेहरा, बड़ीबड़ी कजरारी आंखें, अनछुई सी चितवन, मीठी सी मुसकान के चलते वह किसी को भी अपनी ओर लुभा लेती थी.
आरव उस से सीनियर था. लेकिन पहली झलक में ही वह उसे देख मुसकरा पड़ी थी. उस का कारण उस का बड़ी सी गाड़ी में कालेज आना था. 6 फुट लंबा, गोरा, आकर्षक लड़का, हाथ में आईफोन, आंखों पर मंहगा ब्रैंडेड गौगल्स देख गार्गी उस पर आकर्षित हो गई थी. सोशल साइट्स और व्हाट्सऐप पर चैटिंग शुरू होते ही बात कौफी तक पहुंची और जल्द ही दोनों ने एकदूसरे के हाथों को पकड़ प्यार का भी इजहार कर दिया था.
आरव ने एक दिन गार्गी को अपने मम्मीपापा से मिलवा दिया था. उन लोगों ने मन ही मन दोनों के रिश्ते के लिए हामी दी थी. गार्गी कभी अपनी मां की तो सुनती ही नहीं थी, इसलिए उन की परमिशन वगैरह की उसे कोई फिक्र ही नहीं थी.
अब प्यार के दोनों पंछी आजाद थे. कालेज टूर, पिकनिक, डेटिंग, पिक्चर, वीकैंड में आउटिंग, वैलेन्टाइन डे आदि पर बढ़ती मुलाकातों से दोनों के बीच की दूरियां कम होती गईं. दोनों के बीच प्यारमोहब्बत, कस्मेवादे, शादी की प्लैनिंग, शादी के बाद हनीमून कहां मनाएंगे, किस फाइवस्टार में बुकिंग करेंगे आदि बातें होती थीं.
गार्गी कुछ ज्यादा ही मौडर्न टाइप थी. नए फैशन के कपड़े, ड्रिंक, स्मोक, पब, डिस्को, ड्रग्स सबकुछ उसे पसंद था. आरव उस के प्यार में डूबा हुआ उस का साथ देने के लिए नशा करने लगा और नशे में ही दिल का रिश्ता शरीर तक जा पहुंचा और उस दिन दोनों ने प्यार की सारी हदें पार कर दी थीं.
वैसे भी दोनों शीघ्र ही एकदूसरे के होने वाले थे ही. आरव का प्लेसमेंट नहीं हुआ था, इसलिए वह परेशान रहता था. गार्गी उस से गोवा चलने की जिद कर रही थी. उस ने जोर से डांट कर कह दिया कि गोवा कहीं भाग जाएगा क्या?
गार्गी नाराज हो कर वहां से चली गई और बातचीत बंद कर दी. आरव अपनी चिंताओं में खोया हुआ था. दोनों ने छोटी सी बात को अपना अहं का प्रश्न बना लिया था. उस ने तो मोबाइल से उस का नंबर भी डिलीट कर दिया था.
कुछ ही दिन बीते थे. उस के जीवन में पुरू आ गया. वह आरव से ज्यादा पैसे वाला था. और गार्गी बचपन से बड़े सपने देखने वाली लड़की थी. अपने ख्वाबों को पूरा करने के लिए मार्ग में आए अवरोधों को दूर करने के लिए साम, दाम, दंड, और भेद सबकुछ आजमा लेती थी. एक दिन वह पुरू के साथ शहर के एक कैफे में बैठी थी कि उस की निगाह एक टेबल पर बैठे आरव और उस के दोस्तों पर पड़ी. तो, उस ने जानबूझ कर उन्हें अनदेखा कर दिया .
पुरू उस का बौस था. वह कंपनी में सीनियर मैनेजर की पोस्ट पर था. आकर्षक, सजीला, सांवला, सलोना पुरू की सीनियर मैनेजर की पोस्ट और उस का बड़ा पैकेज देख कर उस ने उस के साथ चट मंगनी पट ब्याह रचा लिया. उस ने अपनी सगाई की फोटो फेसबुक और दूसरी सोशल साइट्स पर शेयर की थी. वह हीरे की अंगूठी पा कर बहुत खुश थी.
आरव को उस की फोटोज देख कर सदमा सा लगा था. उस ने कमेंटबौक्स में लिखा भी था- …वे प्यारमोहब्बत की बातें, कसमेवादे, जो सपने हम दोनों ने साथ बैठ कर देखे थे, सब झूठे हो चुके…
शौकीन पुरू की जीवनशैली दिखावे वाली थी. उस का लक्जीरियस फोरबेडरूम फुल्लीफर्निश्ड फ्लैट, बड़ी गाड़ी और ऐशोआराम का सारा सामान देख गार्गी अपने चयन पर खिलखिला उठी. पार्टीज में जाना, जाम पर जाम छलकाना रोज का शगल था. गार्गी के लिए तो सोने के दिन और चांदी की रातें थीं. उस ने यही सब तो चाहा था.
कुछ दिन खूब मस्ती में कटे- सिंगापुर, मौरीशस, हौंगकौंग, कभी गोवा के बीच पर तो कभी रोमांटिक खजुराहो, तो कभी ऊटी की ठंडी वादियां तो कभी कोबलम का बीच. गार्गी बहुत खुश थी. बस, एक बात उस की समझ में न आती कि पुरु अपने फोन पर लंबी बातें करता और हमेशा उस से हट कर, अपना लैपटौप भी लौक रखता…
गार्गी को यह महसूस हुआ कि पुरु ने उस के साथ शादी किसी खास मकसद से की थी. वह, दरअसल, स्मग्लिंग के धंधे में उस का इस्तेमाल करता था. लेकिन वह तो इंद्रधनुषी सपनों में डूबी हुई थी. हसीन ख्वाबों में खोई हुई गार्गी ने अपनी नौकरी भी छोड़ दी थी.
पुरु से मिलने लोग आते, कुछ खुसुरफुसुर बातें करते और रात के अंधेरे में ही चले जाते. पिछले कुछ दिनों से वह परेशान रहने लगा था. वह कहने लगा कि मेरी सैलरी अभी नहीं आई है, कंपनी घाटे में चल रही है आदिआदि.
एक दिन पुरु भागते हुए आया और गार्गी से बोला, “मुझे एक प्रोजेक्ट के सिलसिले में इटली जाना है. कुछ दिनों के बाद तुम्हें बुला लूंगा.” और वह जल्दीजल्दी अपना बैग पैक कर चला गया.
गार्गी बहुत खुश थी. वह कुछ दिनों बाद खुद भी इटली जाने की सोचने लगी. तभी कोरोना बम फट पड़ा और लौकडाउन होते ही सबकुछ ठहर सा गया. उसी के साथ उस के सपने धराशाई होते दिखाई पड़ने लगे. कुछ महीनों तक तो पुरु से बात होती रही, फिर उस से संपर्क भी टूट गया.
अब गार्गी समझ नहीं पा रही थी कि क्या करे. कोरोना ने पैर पसार लिए थे. यहां भी लौकडाउन की आहट थी. वह परेशान हो कर पुरू को फोन करती, ‘’तुम ने पैसे ट्रांसफर नहीं किए, मेरा खर्च कैसे चले? फ्लैट का किराया, गाड़ी वगैरह… जो फ्लैट बुक किया था, वहां से भी मेल आई है. वह डील कैंसिल कर देने की धमकी दे रहा है.“
“हां, मुझे सब मालूम है. मेरी कंपनी बंद हो गई है और यहां कोरोना फैल गया है. इसलिए लौकडाउन कर दिया गया है. मैं स्वयं बहुत बड़ी मुसीबत में हूं.”
उस के इंतजार में 3-4 महीने बीत गए थे. गार्गी को समझ आ गया था कि वह ठगी गई है और फिर उस के बाद उस ने अपना सिम बदल कर उस से संबंध समाप्त कर लिया. वह फ्लैट किसी और का था, केवल कुछ महीनों के लिए ही लिया गया था. इसलिए अब मजबूर हो कर वह अपनी मां के पास आ गई और फिर से नौकरी करने लगी.
कुछ दिनों तक तो पुरू के दिए धोखे से वह बाहर नहीं आ पा रही थी. वह खोईखोई और उदास रहती. मां ने पहले ही उसे जल्दबाजी में शादी करने से बहुत मना किया था. परंतु वह तो उस के बड़े पैकेज की दीवानी थी. गुस्से में गारगी ने अब तो पुरु का मोबाइल नंबर भी ब्लौक कर दिया था और अपनी शादी की यादों के पन्ने को फाड़ कर अपने जीवन में आगे बढ़ चली थी.
कुछ दिनों तक तो वह रोबोट की तरह भावहीन चेहरा लिए घूमती रही. फिर अपना पुराना औफिस जौइन कर लिया. वहीं पर एक पार्टी में उस ने एक सुदर्शन व्यक्तित्व के युवक को देखा. उस की उम्र लगभग 30 – 35 वर्ष के आसपास, गेहुंआ रंग, इकहरा बदन, लंबा कद, कुल मिला कर सौम्य सा व्यक्तित्व. कनपटी पर एकदो सफेद बाल उस के चेहरे को गंभीर और प्रभावशाली बना रहे थे. कहा जाए तो लव ऐट फर्स्ट साइट जैसा ही कुछ था. काला ट्राउजर और स्काईब्लू शर्ट पर उस की नजरें ठहर गईं थीं.
शायद उस का भी यही हाल था, क्योंकि वह भी उसी जगह ठहर कर खड़ा उसी पर अपनी निगाहें लगाए हुए था.
“हैलो, मी विशेष.‘’
“माईसेल्फ गार्गी.‘’
विशेष को देखते ही गार्गी का तनमन खुशी से झूम उठा था. वह सोच रही थी कि खुशी तो उस के इतने करीब थी, लगभग उस के आंचल में थी, उसे पता ही नहीं था. दोनों के बीच हैलोहाय का रिश्ता जल्दी ही बातों और मुलाकातों में बदल गया था. बातोंबातों में गार्गी को विश्वास में लेने के लिए विशेष ने अपने जीवन की सचाई को निसंकोच बता डाला था. पापा उस पर शादी के लिए दबाव डालते रहे लेकिन जिस को मैं ने चाहा, वे उस से राजी नहीं हुए. बस, मैं ने भी सोच लिया कि शादी ही नहीं करूंगा. एक दिन पापा का हार्टफेल हो गया. फिर दुख की मारी अम्मा भी अपनी बहू का मुंह देखने को तरसती रहीं और पापा के बिछोह को सहन नहीं कर पाईं, जल्दी ही इस दुनिया से विदा हो गईं. अब उस की जिंदगी पूरी तरह से आजाद और सूनी हो गई थी.
विशेष ने आगे बताया, “मैं एक एमएनसी में अच्छी पोस्ट पर हूं. अच्छाभला पैकेज है. परंतु अपने जीवन के एकाकीपन से तंग आ चुका हूं. शादी डाट काम जैसी साइट पर अपने लिए लड़की ढूंढता रहता हूं. खोज अभी जारी है. आप को देख कर लगा कि शायद आप मेरे लिए परफेक्ट साथी हो सकती हैं.”
वह तो उसी के औफिस के दूसरे सेक्शन में था.
दोनों के मन में एक सी हिलोरें उठ रही थीं. कभी लिफ्ट तो कभी पार्किंग, तो कभी कैंटीन में मिलना जरूरी सा लगने लगा था दोनों को.
व्हाट्सऐप और फोन पर लंबी बातें देररात तक होने लगीं. दीवानगी अपने चरम पर थी. एक दिन गार्गी ने जानबूझ कर अपना फोन बंद कर दिया और औफिस भी नहीं गई. इस तरह 2 दिन बीत गए थे. उस के मन में अपराधबोध का झंझावात चल रहा था कि वह अपने पति पुरू के साथ अन्याय कर रही है.
क्यों? उस का अंतर्मन बोला था कि विशेष उस का केवल अच्छा दोस्त है. वह उस के दिल की भावनाओं को समझता है, परंतु वह उस से सचाई बताने में क्यों डर रही है. उस का मन उसे धिक्कारता रहता, लेकिन विशेष को देखते ही वह सबकुछ भूल जाती थी. इसी पसोपेश में वह घर में ही लेटी रही थी.
उस के घर की कौलबेल बजी तो वह चौंक पड़ी थी. दरवाजे पर विशेष को खड़ा देख गार्गी प्रफुल्लित हो उठी थी.
“अरे, आप !‘’
“आप को 2 दिनों से देखा नहीं, इसलिए चिंतित हो उठा था. आखिर आप का दोस्त जो ठहरा.’’
“बस, यों ही, सिर में दर्द था और सच कहूं तो मूड ठीक नहीं था.’’
“मेरे होते हुए मूड क्यों खराब है? आज मेरा औफिस नहीं है, वर्क फ्रौम होम ले रखा है. आज की मीटिंग पोस्टपोन कर देता हूं. चलिए, कहीं बाहर चलते हैं. वहीं कहीं लंच कर लेंगे.‘’
उस के मन में लड्डू फूट पड़े थे. वह तो कब से चाह रही थी कि वह उस की बांहों में बांह डाल कर कहीं बाहर घूमने जाए, किसी फाइवस्टार होटल में लंच और फिर शौपिंग करवाए.
उस के मन में पुलकभरी सिहरन थी. दिसंबर का महीना था. बादल छाए हुए थे. हवा में ठंडापन होने से मौसम खुशनुमा था. वह मन से तैयार हुई थी. उस ने स्कर्ट और टॉप पहना था. जब वह तैयार हो कर बाहर आई तो विशेष की निगाहें उस पर ठहर कर रह गईं थीं. वह उसे अपलक निहारता रह गया था .
मां ने उस दिन गार्गी को टोका भी था, “अब यह नया कौन आ गया तेरे जीवन में?”
“यह विशेष है, मेरा अच्छा दोस्त. इस से ज्यादा कुछ भी नहीं. मेरे ही औफिस में काम करता है.”
जब विशेष ने शिष्टता के साथ उस के लिए कार का दरवाजा खोला तो उस के मन में पुरु की यादें ताजा हो उठीं. उस ने तो इस तरह से उस के लिए कभी भी गाड़ी का गेट नहीं खोला, लेकिन उन यादों को झटकते हुए वह फ़ौरन वर्तमान में लौट आई थी.
‘’पहले कहां चलोगी, आप ने लंच कर लिया?“
“नहीं,” वह सकुचा उठी थी.
“फिर तो चलिए, पहले लंच करते हैं. मेरे पेट में भी चूहे बहुत जोरजोर से चहलकदमी कर रहे हैं.‘’ विशेष यह कह कर अपनी बात पर ही जोर से हंस पड़ा था.
उस ने एक बड़े रेस्ट्रां के सामने गाड़ी रोक दी थी. वहां एक वाचमैन ने तुरंत आ कर उस के हाथ से गाड़ी की चाबी ली और गाड़ी पार्क करने के लिए ले गया था. वहां पर विशेष एक कोने की टेबल पर सीधे पहुंच गया. शायद पहले से बुक कर रखा था.
एकबारगी फिर गार्गी का दिल धड़क उठा था. विशेष की आंखों में अपने प्रति प्यार वह स्पष्ट रूप से देख रही थी. उस का प्यारभरा आमंत्रण उस के मन में प्यार की कोंपलें खिला रहा था. परंतु मन ही मन अपने कड़वे अतीत को ले कर डरी हुई थी. जब उसे उस के बारे में सबकुछ मालूम होगा तब भी क्या वह इसी तरह से उस के प्रति समर्पण भाव रखेगा? एक क्षण को उस का सर्वांग सिहर उठा था.
विशेष से अब तक गार्गी को प्यार हो गया था. उस के प्रति उस की दीवानगी बढ़ती जा रही थी. उस दिन उस ने मौल से उस को शौपिंग भी करवाई थी. लेकिन, बारबार पुरू उस की स्मृतियों के द्वार पर आ कर खड़ा हो जाता था.
सिलसिला चल निकला था. दोनों ही मिलने का बहाना ढूंढते थे. मैरीन ड्राइव, कभी जूहू बीच के किनारे बैठ कर समुद्र की आतीजाती लहरों को निहारते हुए प्यार की बातें करना बहुत पसंद था उन्हें. शाम गहरा गई थी. समुद्रतट पर दोनों देर तक टहलते रहे थे. आज उस ने रेड कलर का स्लीवलेस टॉप और जींस पहनी हुई थी. वह जानती थी कि यह ड्रेस उस के ऊपर बहुत फबती है और वह पहले ही वौशरूम में अपने मेकअप को टचअप कर के आई थी.
अचानक ही विशेष ने उस की हथेलियों को थाम लिया था. इतने दिनों बाद किसी पुरुष के स्पर्श को पा कर वह रोमांचित हो उठी थी. वह कांप उठी थी. उसे फिर से पुरू याद आ गया था. वह भी तो ऐसे ही मजबूती से उस की हथेलियों को पकड़ लेता था. क्षणभर को वह भावुक हो उठी थी. और उस ने एक हलके झटके से उस की हथेलियों को परे झटक दिया था.
‘सौरी’ कह कर विशेष उस से थोड़ा दूर हो कर चलने लगा था.
गार्गी न जाने क्यों विशेष के साथ नौर्मल नहीं हो पा रही थी, हालांकि उस से प्यार करने लगी थी. उस के साथ लंच पर जाना, शौपिंग पर जाना और अब शाम के अंधेरे में उस की हथेलियों पर उस का स्पर्श उस के अन्तर्मन में पुरू के प्रति अपराधबोध सा भर रहा था. पुरु के मेसेज तो आए थे, हालांकि, उस ने नाराजगी में उत्तर नहीं दिया था. गार्गी सोचती, आखिर वह पुरु के साथ बेवफाई करने पर क्यों आमादा है? पुरु की नौकरी छूटी है तो दूसरी मिल जाती. वह बेचारा तो स्वयं ही मुसीबतों का मारा था.
परंतु, विशेष का आकर्षण भी उस पर हावी था. उस की मनोदशा दोराहे पर थी. इधर जाऊं कि उधर, उस का लालची मन निर्णय नहीं ले पा रहा था. एक शाम वे किसी गार्डन की झाड़ी में छिप कर बैठे थे. विशेष बिलकुल उस के करीब था, यहां तक कि उस की धौंकनी सी तेज सांसों को भी वह महसूस कर रही थी. वह स्वयं भी तो कब से उस की बांहों में खो जाने का इंतजार कर रही थी.
विशेष ने भी उस के मन की भावनाओं को समझ लिया था और फिर जाने कब वह उस की बांहों में सिमटती चली गई थी. कुछ देर तक दोनों यों ही निशब्द एकदूसरे के आलिंगन में थे. फिर धीरे से वह उस से अलग हो गई थी. विशेष के चेहरे पर उदासी की छाया मूर्त हो उठी थी.
अब विशेष का गार्गी के घर पर आना बढ़ गया था. कभी घर के खाने के स्वाद के लिए तो कभी घर का कोई सामान ले कर आ जाता तो कभी मम्मी से मिलने के बहाने आ जाता.
परंतु, गार्गी की तेज निगाहों से छिपा नहीं था कि विशेष मात्र उस से ही मिलने के लिए बहाना खोजता रहता है.
मम्मी ने बेटी गार्गी को कई बार समझाने की कोशिश की थी कि तू गलत रास्ते पर चल पड़ी है. यह पुरू के साथ अन्याय होगा.
परंतु वह तो विशेष के प्यार में डूबी हुई थी. वह तो हर पल उस के सान्निध्य की कामना में खोई रहती. पुरुष की तीव्र नजरें स्त्री की भावनाओं को अतिशीघ्र पहचान लेती हैं और फिर उस के समर्पण को कमजोरी समझ पुरुष उस का मनचाहा दोहन करता है. एक शाम वह गार्गी को अपने फ्लैट में ले गया था.
विशेष का फ्लैट देख उस की आंखें चौंधिया उठी थीं. पहले तो वह हिचकिचा रही थी, मन ही मन कसमसा रही थी, परंतु उस का प्यासा तन किसी मजबूत बांहों में खोने को बेचैन भी हो रहा था. जब उस ने प्यार से उस की दोनों कलाइयों को पकड़ा तो फिर से गार्गी को पुरू की कठोर पकड़ य़ाद आ गई थी. गार्गी यह सोचने को मजबूर हो उठी थी कि विशेष कितना सभ्य और शालीन है कि उसे ऐसे पकड़ता है कि मानो वह कोई कांच की गुड़िया हो.
परंतु, पुरू की अदृश्य परछाईं उन दोनों के बीच आ कर खड़ी हो गई और गार्गी ने आहिस्ता से पीछे हट कर उस की मजबूत कलाइयों को अपने से दूर कर दिया था. वह स्वयं भी नहीं समझ पा रही थी कि वह चाहती क्या है? एक ओर तो वह विशेष के सपनों में खोई रहती है और जब वह मिलता है तो वह उसे अपने से दूर कर देती है, जबकि वह उस की बांहों में पूरी तरह से डूब जाना चाहती थी.
गार्गी सोचती, क्यों विशेष के स्पर्श से पुरु के साथ बिताए मधुर पल उसे याद आने लगते हैं. उस की स्मृतियों में तो आरव भी बारबार अपनी दस्तक देने से बाज नहीं आता. क्या ऐसा है कि औरत अपना पहला प्यार कभी नहीं भूल पाती. शायद यही वजह होगी कि आरव आज भी उस के ख्वाबों में आ कर उस से अकसर पूछता है कि, ‘गार्गी, तुम खुश हो?’
पैसे की अंधीदौड़ में उस ने पुरू से प्यार किया, शादी की. उस ने वह सबकुछ देने की कोशिश की थी जो उस ने चाहा था. पुरू ने उसे कभी किसी चीज के लिए मना नहीं किया था. क्या पता वह सचमुच किसी मुसीबत में हो.
एक शाम वह मौल में शौपिंग कर रही थी. तभी वहां पुरू पर उस की निगाह पड़ी थी. उस के साथ एक लड़की भी थी. दोनों की निगाहें मिल गईं थीं, लेकिन पुरू तेजी से भीड़ का फायदा उठा कर उस से बच कर निकल गया था.
अब तो वह ईर्ष्या से जलभुन गई और विशेष के साथ लिवइन में रहने लगी थी. उस का लक्जीरियस अपार्टमेंट, बड़ी गाड़ी, मंहगे ड्रिंक, हाई सोसायटी के लोगों की पार्टियों में उस की बांहों में बांहें डाल कर डांस करना…वह तो मानो फिर से सपनों की दुनिया में खो गई थी.
उस का दिन तो औफिस में किसी तरह बीतता, लेकिन शामें तो विशेष की मजबूत बांहों के साए में हंसतेखिलखिलाते बीत रही थीं. उस ने पुरू की यादों की परछाईं को अपने से परे धकेल कर अपने लिवइन का एनाउंसमेंट मां के सामने कर दिया था.
उन्होंने उसे समझाने की बहुत कोशिश की थी कि स्त्री का यौवन सदा नहीं रहता है और पुरुष का भ्रमर मन यदि बहक कर दूसरे पुष्प पर अटक जाएगा तो फिर से तुम एक बार लुटीपिटी सी अकेली रह जाओगी. परंतु उस के मन की धनलिप्सा और उस की लोलुपता ने सहीगलत कुछ भी सोचने ही नहीं दिया था और वह इस अंधीदौड़ में चलती हुई एक के बाद दूसरा साथी बदलती रही.
लगभग 4 महीने बीत चुके थे. वह उस के साथ पत्नी जैसा व्यवहार करने लगी थी. कहां रह
गए थे. बाहर खाना खा कर आना था, तो फोन कर सकते थे आदिआदि. परंतु उस की बांहों में खो कर वह आनंदित हो उठती थी.
लेकिन, कुछ दिनों से वह विशेष की निगाहों में अपने प्रति उपेक्षा महसूस कर रही थी. वह उस का इंतजार करती रह जाती और वह अपनी मनपसंद डियो की खुशबू फैलाता हुआ यह कह कर निकल जाता कि औफिस की जरूरी मीटिंग है.
अब वह उपेक्षित सी महसूस करने लगी थी. उस का बर्थडे था, इसलिए बाहर डिनर की बात थी. उस ने छोटी सी पार्टी की भी बात कही थी, लेकिन उस का कहीं अतापता नहीं था. उस ने जब फोन किया तो बैकग्राउंड से म्यूजिक की आवाज सुन कर उस का माथा ठनका था. लेकिन जब वह झिड़क कर बोला, ‘’परेशान मत करो, मैं जरूरी मीटिंग में हूं.“ तो उस दिन वह सिसक पड़ी थी. लेकिन मन को तसल्ली दे कर सो गई कि सच में ही वह मीटिंग में ही होगा.
अब वह बदलाबदला सा लगने लगा था. अकसर खाना बाहर खा कर आता. ड्रिंक भी कर के आता. कुछ कहने पर अपने नए प्रोजेक्ट में बिजी होने की बात कह कर घर से निकल जाता.
वह अकेले रहती तो अपने लैपटौप से सिर मारती रहती. तभी उस की निगाह एक मेल पर पड़ी थी. आज विशेष की बर्थडे पार्टी थी. उस में वह उसे क्यों नहीं ले कर गया. वह उसे सरप्राइज देने के लिए तैयार हो कर वहां पहुंच गई थी. उस ने कांच के दरवाजों से देखा कि विशेष किसी लड़की की बांहों को पकड़ कर डांस कर रहा था.
वह क्रोधित हो उठी थी. उस को अपने हक पर किसी का अनाधिकृत प्रवेश महसूस हुआ था. वह तेजी से अंदर पहुंच गई थी. अपने को संयत करते हुए बोली, ‘’हैप्पी बर्थडे, विशेष.‘’ वह जानबूझ कर उस के गले लग गई थी.
विशेष चौंक उठा था. जैसे उस की चोरी पकड़ी गई हो. उस को अपने से परे करते हुए बोला, ‘’तुम, यहां कैसे?’’
उन दोनों की डांस की मदहोशी में खलल पड़ गया था. विशेष की डांसपार्टनर निया ने उसे घूर कर देखा और बोली, ‘’हू आर यू?’’
‘’आई एम गार्गी, विशेष की लिवइन पार्टनर.‘’
निया नाराज हो कर चीख पड़ी, ‘’यू रास्कल. यू चीटेड मी. यू टोल्ड मी दैट यू आर सिंगल.‘’
“यस डियर, आई एम सिंगल. शी इज माई लिवइन पार्टनर ओनली.‘’
उस के कानों में मानो किसी ने गरम पिघला सीसा उड़ेल दिया हो. भरी महफिल में वह बुरी तरह अपमानित की गई थी. विशेष उसे ऐसी अपरिचित और खा जाने वाली निगाहों से देख रहा था मानो वह उसे पहचानता भी न हो. उस के कानों में बारबार गूंज रहा था – ‘यस आई एम सिंगल. शी इज माई लिवइन पार्टनर ओनली.’ उस ने समझ लिया था कि अब विशेष से कुछ भी कहनासुनना व्यर्थ है.
वह एक बार फिर अपनी धनलिप्सा की अंधीदौड़ के कारण छली गई है, ठगी गई है. यह एहसास उस के दिल को घायल कर रहा था. उस की सारी खुशियां, जीवन का उल्लास, पलपल संजोए हुए सारे सपने सबकुछ खोखले और झूठे दिखाई पड़ रहे थे मानो सारी दुनिया उसे मुंह चिढ़ा रही थी.
वह मन ही मन पछता रही थी कि काश, वह आरव के प्यार को न ठुकराती! अब उस की आंखों से पश्चात्ताप की अश्रुधारा निर्झर रूप से प्रवाहित हो रही थी.