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गाजीपुर में देवी शक्तिपीठ माँ कामाख्या के दरबार में उमड़ा भक्तो का हुजूम

ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. शारदीय नवरात्र के पहले दिन पूर्वांचल के विख्यात देवी शक्तिपीठ मां कामाख्या धाम पर मंगला आरती के साथ ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। यूपी और बिहार के श्रद्धालुओं ने दर्शन पूजन के लिए लंबी कतारें लगाईं, मां कामाख्या के प्रति उनकी गहरी आस्था और विश्वास को दर्शाते हुए।
इस पवित्र भूमि का इतिहास वैदिक काल से जुड़ा हुआ है, जहां महर्षि जमदग्नि, परशुराम और विश्वामित्र जैसे ऋषियों ने अपने त्याग और तप से इसे देवभूमि बनाया। यहां भगवान परशुराम का बचपन बीता और भगवान राम ने अपने अनुज के साथ राक्षसों का संहार आरंभ किया। इसी जनपद में स्थित गहमर का मां कामाख्या धाम एक परम पवित्र स्थल है।

कामाख्या का नाम उन भक्तों की कामनाओं को पूर्ण करने के लिए प्रसिद्ध है, जो साधकों द्वारा की जाती हैं। कलिकापुराण के अध्याय 61 में मां कामाख्या का विस्तृत वर्णन मिलता है, और उन्हें पराशर गोत्रीय ब्राह्मण तथा सिकरवार वंशीय क्षत्रिय की कुल देवी माना जाता है।

इतिहास में जब बाबर ने भारत पर आक्रमण किया, तब धामदेव राव और उनके कुलपुरोहित बाबा गंगेश्वर की भक्ति ने मां कामाख्या के प्रति अपार श्रद्धा जगाई। बाबा गंगेश्वर के स्वप्न में मां कामाख्या ने उन्हें बताया कि अब इस स्थान पर रहना उनके लिए हितकर नहीं होगा। इसके बाद धामदेव राव ने अपने लोगों के साथ सकराडीह की ओर प्रस्थान किया, जहां उन्होंने मां कामाख्या का विग्रह स्थापित किया।

आज, यह छोटा सा मंदिर भव्य स्वरूप में बदल चुका है और एक प्रमुख पर्यटन स्थल बन गया है। यहां देश-विदेश से श्रद्धालु पूजा-पाठ और दर्शन करने के लिए आते हैं, जिससे यह स्थल भक्ति और आस्था का प्रतीक बन गया है। शारदीय नवरात्र के इस पावन अवसर पर मां कामाख्या धाम की भक्ति का यह उत्सव और भी विशेष बन गया है।
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