Today Breaking News

केशव मौर्य के आवास पर शिक्षक अभ्यर्थियों का प्रदर्शन...पुलिस ने चलाई लाठी, जबरन गाड़ी में भरकर ले गए

ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. लखनऊ में शिक्षक भर्ती के सैकड़ों अभ्यर्थियों ने डिप्टी सीएम केशव मौर्य के सरकारी आवास का घेराव किया। पुलिस ने जब समझाने की कोशिश की तो जमकर झड़प हुई। प्रदर्शनकारी सड़क पर लेट गए। सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे, तो पुलिस ने घसीटकर हटाया। उन्हें जबरन गाड़ी में भरकर इको गार्डन भेजा गया। इस दौरान एक पुलिसकर्मी ने अभ्यर्थियों पर लाठी चलाई।
डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने प्रदर्शनकारियों को जल्द नई सूची जारी होने का आश्वासन दिया है। अभ्यर्थी रीता शेखर ने कहा- केशव मौर्य से मैंने मुलाकात की। डिप्टी सीएम ने आश्वासन दिया है। हमें उनके आश्वासन पर भरोसा नहीं है। इस तरह के वादे 4 साल में कई बार किए गए, लेकिन हमें कुछ नहीं मिला।

मामला 69000 शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों से जुड़ा हुआ है। अभ्यर्थी हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ का आदेश लागू करने की मांग कर रहे हैं। मांग है कि कोर्ट के आदेश के अनुसार नई सूची जल्द जारी की जाए।
प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों के प्रतिनिधिमंडल में शामिल विजय यादव ने कहा- अधिकारियों के रवैये से मामला फिर फंस सकता है। बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों की लापरवाही का नतीजा है कि हाईकोर्ट के निर्णय को 15 दिन होने को हैं। लेकिन अभी तक आदेश का पालन नहीं किया गया। खुद मुख्यमंत्री भी इसे लेकर निर्देश जारी कर चुके हैं। अब जब मामला सुप्रीम कोर्ट में जाएगा तो एक बार फिर से आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को न्याय के लिए इंतजार करना पड़ सकता है।

अभ्यर्थी विनोद ने कहा- सरकार ने आदेश के पालन की बात कही थी। लेकिन अब तक नहीं किया गया। हम लोग सीएम आवास घेरने आए थे। सीएम नहीं थे तो डिप्टी सीएम के आवास पहुंच गए। वहां से पुलिस ने अभ्यर्थियों को हटाकर ईको गार्डेन पहुंचा दिया है।

लाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने 16 अगस्त को 69,000 सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा का परिणाम नए सिरे से जारी करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था- बेसिक शिक्षा विभाग को 3 महीने में नई चयन सूची जारी करनी होगी।
कोर्ट ने कहा कि नई चयन सूची में 1981 के नियम के तहत आरक्षण अधिनियम 1994 के मुताबिक आरक्षण नीति का पालन किया जाए। अगर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी की मेरिट सामान्य श्रेणी के बराबर आए तो वह सामान्य श्रेणी में माना जाएगा। इन निर्देशों के तहत ऊपरी क्रम में आरक्षण दिया जाएगा।

शिक्षक भर्ती का पूरा विवाद...

साल 2014 में उत्तर प्रदेश की तत्कालीन अखिलेश सरकार ने 1 लाख 37 हजार शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक के रूप में समायोजित किया था। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा और 25 जुलाई, 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने करीब शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द करने का आदेश दिया था। मतलब अखिलेश सरकार ने जिन शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक बनाया था, वह फिर से शिक्षामित्र बन गए।

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 1 लाख 37 हजार पदों पर भर्ती का आदेश राज्य में नई बनी योगी सरकार को दिया। योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि हम एक साथ इतने पद नहीं भर सकते हैं। फिर सुप्रीम कोर्ट ने दो चरण में सभी पदों को भरने का आदेश दिया। इस आदेश के बाद योगी सरकार ने 2018 में पहले 68,500 पदों के लिए वैकेंसी निकाली। फिर, दूसरे चरण में 69,000 सहायक शिक्षकों की भर्ती की गई थी, जिसमें आरक्षण का विवाद चल रहा है।
'