गाजीपुर जिले में बायो गैस से फर्राटा भरेंगे वाहन, भोजन भी तैयार होगा
ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. गाजीपुर जिले में बायो एनर्जी पालिसी के तहत तीन कम्प्रेस्ड बायो गैस प्लांट स्थापित होगा। इससे तैयार ईंधन से सड़कों पर जहां वाहन फर्राटा भर सकेंगे। वहीं घरों में इसके प्रयोग से खाना भी तैयार हो सकेगा। किसानों की आय भी बढ़ेगी। शासन के निर्देश पर प्लांट को स्थापित कराने के लिए भूमि चिह्नित करने की कार्रवाई जिला प्रशासन ने तेज कर दी है।
देश की तीन प्रमुख कंपनियां रिलायंस, गेल और इंडियन ऑयल जिले में कम्प्रेस्ड बायो गैस प्लांट का संचालन करेंगी। एक प्लांट के लिए 30 एकड़ जमीन की जरूरत है। साथ ही एक प्लांट की क्षमता 10 टन होगी। कंपनियों को कम्प्रेस्ड बायो गैस प्लांट के लिए लीज पर भूमि उपलब्ध कराई जाएगी। सरकारी जमीन संबंधित कंपनियों को एक रुपये प्रति एकड़ वार्षिक की दर से उपलब्ध कराया जाएगा। साथ ही किसानों की जमीन 15 हजार रुपये प्रति एकड़ वार्षिक की दर से मुहैया कराई जाएगी।
एक प्लांट में कम से कम 50 लोगों को रोजगार मिलेगा। जबकि सैकड़ों किसान लाभान्वित होंगे। प्रत्येक प्लांट में गोबर, कूड़ा, धान की भूसी और अन्य अपशिष्ट पदार्थों से कम्प्रेस्ड बायो गैस ईंधन उत्पादित किया जाएगा। जिले में कुल आठ नगरीय निकाय हैं। इनमें तीन नगर पालिका और पांच नगर पंचायत हैं। इनसे लगभग 45 मीट्रिक टन कूड़ा प्रतिदिन निकलता है। ऐसे में प्लांटों के लगने से नगरीय निकायों के कूड़ा का भी वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण संभव हो पाएगा। वहीं भविष्य में जिले के सभी तहसीलों पर कम्प्रेस्ड बायो गैस प्लांट स्थापित करने की योजना है।
जिले में कम्प्रेस्ड बायो गैस प्लांट के निर्माण के संबंध में अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत विभाग के प्रमुख सचिव का पत्र मिला है। इसके लिए भूमि चिह्नित करने की कवायद शुरू है। - प्रेम प्रकाश सिंह,परियोजना प्रभारी, नेडा
कम्प्रेस्ड बायो गैस (सीबीजी) अनॉक्सी प्रक्रिया से बना हुआ एक प्रकार का ईंधन है। यह अत्यंत ज्वलनशील पदार्थ होता है। इसका उपयोग मोटर वाहनों को चलाने, खाना पकाने और अन्य कई कार्यों के लिए किया जाता है। यह गैस बायोमास से तैयार होता है। बायोमास का तात्पर्य कृषि अपशिष्ट, गोबर, नगरीय निकायों के ठोस अपशिष्ट व सीवेज उपचार संयंत्र अपशिष्ट आदि से निकला हुआ गैस है। बायो गैस पैदा होने में करीब 55 फीसदी से लेकर 60 फीसदी तक मीथेन, 40 से 45 फीसदी कार्बन डाई आक्साइड और हाइड्रोजन सल्फाइड होता है। बायोगैस में से कार्बनडाई आक्साइड, जलवाष्प व हाइड्रोजन सल्फाइड को हटाया जाता है। इसके बाद कम्प्रेस्ड किया जाता है तो सीबीजी यानि कम्प्रेस्ड बायो गैस प्राप्त होती है। इसमें मीथेन की मात्रा 90 फीसदी होती है।
ये हैं फायदे
सीबीजी में सीएनजी की तरह ही ऊर्जा होती है। इसमें सीएनजी के समान गुणधर्म होते हैं। इसका उपयोग हरित नवीन आटोमोटिव फ्यूल के रूप में किया जाता है। इसके उपयोग से प्रदूषण में कमी आएगी। साथ ही पेट्रोल और डीजल पर निर्भरता घटेगी। साथ ही किसान जब कम्प्रेस्ड बायो गैस प्लांट में गोबर और कृषि अपशिष्ट पदार्थों की आपूर्ति करेंगे तो उसका भुगतान संबंधित कंपनी की ओर से किया जाएगा।