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नजूल भूमि से किसी भी व्यक्ति की नहीं होगी बेदखली, सरकार ने स्पष्ट किए पहलू

ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. प्रदेश सरकार विधानसभा में पास किए गए नए नज़ूल विधेयक के तहत किसी भी व्यक्ति की बेदखली नहीं करेगी। साथ ही ऐसे पट्टाधारक जिन्होंने लीज़ डीड का उल्लंघन नहीं किया है, उनका पट्टा नियमानुसार जारी रहेगा। प्रदेश सरकार ने नज़ूल विधेयक को लेकर चल रहे सियासी बयानबाजी के बीच विधेयक के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं को शुक्रवार को स्पष्ट किया है। राज्य सरकार की ओर से कहा गया है कि नज़ूल विधेयक के तहत ऐसी किसी भी भूमि पर जहां कि लोग निवास कर रहे हैं अथवा  जिसका व्यापक जनहित में उपयोग किया जा रहा है, उसे नहीं हटाया जाएगा। वर्तमान में उपयोग में लाई जा रही भूमि से किसी की व्यक्ति की बेदखली नहीं की जाएगी।
साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया है कि ऐसे सभी पट्टाधारक जिन्होंने लीज़ अवधि में लीज़ डीड का उल्लंघन नहीं किया है, उनका पट्टा नियमानुसार जारी रहेगा। इस एक्ट के प्रभावी होने के बाद से उत्तर प्रदेश में किसी भी नजूल भूमि को किसी प्राइवेट व्यक्ति अथवा प्राइवेट एंटिटी के पक्ष में फ्री होल्ड नहीं किया जाएगा। नज़ूल भूमि केवल केंद्र व राज्य सरकार की संस्था जो लोकहित में शिक्षा, स्वास्थ्य और समाजिक के हित में कार्य कर रही हो उसे ही दी जा सकेगी। साथ ही खाली पड़ी नजूल भूमि जिसकी लीज़ अवधि समाप्त हो रही है, उसे फ्री होल्ड न कर सार्वजनिक हित की परियोजनाओं जैसे अस्पताल, विद्यालय, सरकारी कार्यालय आदि के लिए उपयोग किया जाएगा। 

राज्य सरकार की ओर से स्पष्ट किया गया है कि ऐसे पट्टाधारक जिन्होंने 27 जुलाई 2020 तक फ्री होल्ड के लिए आवेदन कर दिया है और निर्धारित शुल्क जमा कर दिया है, उनके पास यह विकल्प होगा कि वह लीज अवधि समाप्त होने के बाद अगले 30 वर्ष की अवधि के नवीनीकरण करा सकें। बशर्ते, उनके द्वारा मूल लीज़ डीड का उल्लंघन न किया गया हो।

वहीं कोई भी भवन जो कि नजूल की भूमि पर बनाई गई है और व्यापक जनहित में यदि उसे हटाया जाना आवश्यक होगा तो सरकार द्वारा प्रभावित व्यक्ति, भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन अधिनियम-2013 के अनुसार यथोचित मुआवजा और पुनर्वास पाने का अधिकारी होगा। यह अधिनियम सरकार को अधिकार देती है कि वह नजूल की भूमि पर काबिज़ गरीब तबके के हितों को संरक्षण देते हुए उनके पक्ष में कानून बना सके एवं उन्हें पुनर्वासित कर सके।
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