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गाजीपुर के उमाशंकर के जज्बे की कहानी...करगिल युद्ध में उड़ गया था बम से हाथ, फिर भी पीछे नहीं हटे

ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. देश समेत उत्तर प्रदेश में आज कारगिल विजय दिवस मनाया जा रहा है। कारगिल में पाकिस्तान के साथ युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना के नापाक इरादों को मिट्टी में मिला दिया था। इस युद्ध में गाजीपुर के जवानों ने भी बढ़-चलकर अपनी शौर्यता का परिचय दिया था। कारगिल युद्ध में गाजीपुर के 6 जवानों को शहादत हासिल हुई थी। वहीं, बहुत से जवानों ने अपनी जान की बाजी लगाकर इस युद्ध के परिणाम को भारत के हक में करने में महती भूमिका अदा की थी। उन योद्धाओं में बीरबलपुर मठिया के रहने वाले पूर्व सैन्यकर्मी उमाशंकर यादव का नाम भी शामिल है।
उमाशंकर यादव दिसंबर 1990 में सेना की इंजीनियरिंग कोर में शामिल हुए थे। उनको पहली पोस्टिंग रांची में मिली थी। फिर उन्हें तबादला कर श्रीनगर भेजा गया। बाद में उनकी तैनाती 53 इंजीनियरिंग रेजीमेंट भटिंडा में हुई। वह छुट्टी पर आए थे। इसी दौरान कारगिल युद्ध छिड़ गया। छुट्टी से उन्हें वापस बुलाया गया। कारगिल भेज दिया गया। वहां पर पहाड़ी पर चढ़ाई करने के दौरान वह दुश्मन सेना की ओर से बिछाए गए माइंस को निष्क्रिय करने में लग गए। इस बीच माइंस के बम को निष्क्रिय करने के दौरान विस्फोट हो गया।

बम विस्फोट में उनका लेफ्ट हैंड क्षतिग्रस्त हो गया। इसके बाद भी युद्ध का जज्बा और देश के लिए कुछ करने की ललक उनके अंदर कम नहीं हुई। वह पट्टी बांधकर असहनीय दर्द के बीच भी अपने काम को निर्बाध रूप से करते रहे। घायल होने की अवस्था में भी दो दिनों तक वह युद्ध क्षेत्र से पीछे नहीं हटे। हालांकि, कारगिल रेंज की ऊंचाइयों के कारण तापमान बेहद कम था। इसके कारण जख्म से खून का रिसाव काम हो रहा था। बाद में तकलीफ ज्यादा बढ़ने पर उन्हें चंडीगढ़ अस्पताल में भर्ती कराया गया।

उमाशंकर जनवरी 2021 में रिटायर हुए हैं। उनका कहना है कि 25 साल पहले कारगिल युद्ध देश के लिए जवानों के लिए बड़ी विषम परिस्थितियों में लड़ा था। उन्हें इस बात का गर्व है कि वह भारतीय सेवा के गौरवशाली इतिहास को दोहराने में महत्व भूमिका अदा कर पाए। दरअसल, कारगिल युद्ध में 6 जवानों ने शहादत हासिल की थी। इनमें शेषनाथ यादव, संजय यादव, कमलेश सिंह, रामदुलार यादव, जयप्रकाश यादव और इश्तियाक खान शामिल है।
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