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कहानी: दोस्त या प्यार

आज पूरे 4 साल बाद मुकेश अपने गांव आया है. अपने सपनों को पूरा करने और घर की हालत सुधारने के लिए 10वीं के बाद ही वह मुंबई भाग गया था. वहां उस ने मोटर मेकैनिक का काम सीखा और आज अच्छा पैसा कमा रहा है. मुकेश की उम्र अभी 24 साल है. उस पर मुंबई का सुरूर देखा जा सकता है. रंगे हुए बाल, गोरा जिस्म, अच्छे कपड़े उस की शोभा बढ़ा रहे थे. मुकेश अपने घर के बाहर बरामदे में बैठा हुआ था कि तभी उस की नजर सामने लगे नल पर पड़ी, जहां एक 17 साल की खूबसूरत लड़की पानी भर रही थी.
मुकेश की नजरों को मानो कोई जादू सा लग गया था. वह एकटक उसी को ही देखे जा रहा था. उस की नजर उस का तब तक पीछा करती रही, जब तक कि वह पानी ले कर आंखों से ओ?ाल न हो गई. मुकेश ने अपनी भाभी से पूछा, ‘‘भाभी, यह लड़की कौन है? मैं नहीं पहचान पाया इसे.’’ उस की भाभी ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘यह अपने बगल के तिवारीजी की बेटी मीनू है. बड़ी हो गई है, इसीलिए तुम पहचान नहीं पाए.’’ मुकेश को उस का नाम जान कर न जाने क्या खुशी मिल रही थी कि वह मन ही मन उसे अपना बनाने की सोचने लगा. अगले दिन मुकेश फिर बरामदे में बैठ कर मीनू का इंतजार करने लगा कि कब वह पानी भरने आएगी और वह उस का दीदार कर सकेगा. तभी उस की नजर पीले सूट में चमकती हुई मीनू पर पड़ी और मुकेश की आंखें उसे देखती रह गईं. मुकेश ने बड़ी हिम्मत की और नल तक पहुंच गया और हिचकिचाते हुए बोला, ‘‘तुम मीनू हो न?’’ मीनू ने भी पलटते हुए जवाब दिया, ‘‘हां, मैं मीनू ही हूं. और तुम मुकेश हो न…? ‘‘तुम तो मुंबई क्या गए, हम सब को तो भूल ही गए.

लगता है कि शहर की लड़कियां ज्यादा खूबसूरत होती हैं.’’ अचानक मुकेश के मुंह से निकल गया, ‘‘नहीं मीनू, तुम से खूबसूरत कोई नहीं.’’ मीनू शरमा कर बालटी ले कर भागी और मुकेश को होश आया कि उस ने क्या कह दिया. अगले दिन फिर मुकेश बात करने पहुंच गया और बोला, ‘‘मीनू, मु?ो माफ कर दो. मैं ने न जाने क्या बोल दिया, जो तुम भाग गई.’’ मीनू ने शरमाते हुए कहा, ‘‘अरे पागल, कोई बात नहीं.’’ मुकेश ने कहा, ‘‘मु?ा से दोस्ती करोगी?’’ मीनू ने कहा, ‘‘लेकिन, मैं और तुम बचपन से दोस्त हैं. बस, तुम ही भूल गए.’’ मुकेश को लगा कि आग दोनों तरफ लगी है. उस ने बड़े प्यार से इशारों वाली बात में कहा, ‘‘वह वाली दोस्त बनोगी, गर्लफ्रैंड वाली?’’ मीनू ने कहा, ‘‘तुम परेशान करोगे, क्योंकि मैं ने ऐसा फिल्मों में देखा है .’’ मुकेश ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘नहीं, प्यार करूंगा बस. परेशान कभी नहीं करूंगा मेरी मीनू.’’ इसी तरह दोनों की प्यार भरी मुलाकातें और बातें बढ़ती गईं. मुकेश प्यार से कभी मीनू का हाथ छू लेता, तब उस के शरीर में एक अजीब सी सिहरन दौड़ जाती.

मीनू मन ही मन अपना दिल मुकेश को दे चुकी थी. बस, होंठों पर इजहार लाना था, लेकिन हर लड़की की तरह वह भी चाहती थी कि मुकेश ही इजहार करे. एक दिन मुकेश ने बड़ी हिम्मत की और उसे अपने दिल की बात बताई. इतना सुन कर मीनू खुशी से चहक उठी और उसे गले से लगा लिया. मीनू के गले लगते ही मुकेश उसे पाने की ललक में उतावला हो गया. अगले दिन मीनू मुकेश के घर आई, तब उस की भाभी नहाने और मां बगल वाले ताऊ के यहां गई थीं. मुकेश बिस्तर पर सो रहा था. मीनू उस के पास पहुंची और अपने होंठों से उस के गालों पर एक चुम्मा दे दिया. अचानक छुअन से मुकेश पलटा और दोनों के होंठ छू गए. मुकेश उसे चूमने लगा, तभी मीनू की भी सांसें गरम होने लगीं, लेकिन खुद को संभालते हुए वह उसे ?िटक कर दूर हुई और बोली, ‘‘तुम बड़े बदमाश हो. अब कभी तुन्हें चुम्मा नहीं करूंगी.’’ तभी मुकेश ने उठ कर मीनू को अपनी बांहों में भर लिया. मुकेश की गरम सांसें मीनू के बदन में आग डाल रही थीं और उस का जोबन पूरे उफान पर आ चुका था. मुकेश भी अपने सीने पर उसे महसूस कर रहा था. दोनों बिना कुछ बोले एकदूसरे में समा गए थे. मुकेश और मीनू का प्यार था या सिर्फ खिंचाव या फिर बचपन में हुई गलती, यह समय ही बताएगा.

मुकेश और मीनू लौकडाउन के 4 महीनों में न जाने कितनी दफा एकदूसरे के आगोश में लिपटे अपने जिस्म की गरमी से एकदूसरे को पिघलाया. अचानक कुछ ही दिनों बाद मुकेश को शहर से फोन आ गया. वह अपने काम के प्रति ईमानदार था. अभी उम्र कम थी और काम ज्यादा करना था. अभी तो उसे कामयाबी मिलनी शुरू हुई थी. एक रात मुकेश ने अपने बाग में मीनू को बुलाया और मिलते ही मीनू ने उसे गले से लगा लिया. मुकेश के गालों को अपने होंठों से चूमते हुए मीनू ने कहा, ‘‘मुकेश, तुम से बिलकुल दूर नहीं रहा जाता. मु?ो हर जगह बस तुम्हीं दिखते हो. मन करता है कि तुम्हारी बांहों में रहूं और उम्र गुजर जाए.’’ मीनू की बातें मुकेश सुनता रहा, पर वह तो आज मीनू से विदा लेने आया था कि उसे फिर शहर वापस जाना है. मुकेश ने मीनू से कहा, ‘‘मीनू, मैं भी तुम से प्यार करता हूं और तुम जानती हो कि आज के जमाने में प्यार के साथ पैसों की भी जरूरत पड़ती है. बिना पैसों के घर नहीं चलता,

इसीलिए मैं ने तुम्हें आज बुलाया, क्योंकि मु?ो कल शहर जाना है. आज सुबह शहर वापसी के लिए फोन आया था.’’ इतना सुनते मीनू के सिर पर मानो गम का पहाड़ टूट पड़ा. वह रोने लगी और फिर मुकेश की बांहों में खुद को समर्पित कर दिया. मुकेश ने उसे प्यार से चूमा और दोनों के होंठ और हाथ एकदूसरे के बदन से खेलने लगे. मुकेश ने उसे वहीं जमीन पर लिटा दिया और चूमने लगा. मीनू भी उस का बराबर साथ दे रही थी. रात के ढलते हुए पहर में वे दोनों एकदूसरे में खोते गए. न जाने कब दोनों एकदूसरे के जिस्म में समा गए और अपनी हसरत पूरी करने के बाद दोनों अलग हुए. मुकेश ने मीनू से वादा किया, ‘‘मीनू, तुम चिंता मत करो. मैं जल्दी ही वापस आऊंगा और तुम्हें अपने साथ शहर ले जाऊंगा.’’ सुबह हुई, मुकेश तैयार हुआ और शहर के लिए रवाना हुआ. मीनू छत से उसे देख रही थी.

आज इस घटना को पूरे 3 साल हो गए. मुकेश एक बार भी शहर से गांव नहीं आया. पहले एक या डेढ़ साल तक उस का फोन आता था, लेकिन तब से वह भी बंद हैं. मीनू अब और बड़ी हो गई और खूबसूरत भी. उस की जवानी अब उफान पर है, उभार और कमर की खूबसूरती लड़कों को खींचती. उस के कालेज के न जाने कितने लड़कों ने उसे प्यार के लिए मनाया, पर उस के मन में मुकेश के सिवा कोई नहीं. वह बस उसी का इंतजार कर रही है. एक दिन मीनू को खबर मिली कि मुकेश इस हफ्ते गांव आ रहा है.

उस की खुशी का अंदाजा न था. उसे लग रहा था कि वह सातवें आसमान पर है. आज वह दिन आया और मुकेश वापस आया. मीनू कालेज से वापस आते ही भागती हुई मुकेश के घर उस से मिलने पहुंची और वहां पहुंचते ही वह हैरान हो गई. मुकेश अकेला नहीं आया था, बल्कि एक लड़की के साथ आया था, जो उस की पत्नी थी. मुकेश ने शहर में शादी कर ली थी. मीनू को देखते ही मुकेश ने उसे अपने पास बुलाया और पत्नी से मिलाते हुए कहा, ‘सुनो, यह मेरी वह वाली दोस्त है, जिस के बारे में मैं ने तुम्हें बताया था.’ मीनू ने भी मुकेश की पत्नी को गले लगाया और कहा, ‘‘तुम बहुत भाग्यशाली हो, तुम्हें सब से अच्छा लड़का मिला, जो मेरा दोस्त था.’’ मीनू वहां से भागती हुई आई और बहुत रोई. वह खुद को सम?ाने की कोशिश कर रही थी कि वह तो सिर्फ वह वाली दोस्त थी.

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