लखनऊ में सहारा शहर पर चल सकता है बुलडोजर, जमीन की लीज कैंसिल करने की तैयारी
ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. लखनऊ में सहारा शहर पर एलडीए बुलडोजर चला सकता है। सहारा इंडिया हाउसिंग लिमिटेड को लीज पर दी गई 100 एकड़ जमीन का कॉन्ट्रैक्ट एलडीए कैंसिल करने की तैयारी में है। शुक्रवार को एलडीए के बोर्ड बैठक में यह प्रस्ताव रखा जाएगा। प्रस्ताव पास हो गया तो कानूनी कार्यवाही शुरू होगी। उसके बाद 100 एकड़ जमीन का आवंटन निरस्त कर यहां हुए अस्थायी और स्थायी निर्माण को तोड़ा जाएगा।
आरोप है कि यहां पर अवैध तरीके से सहारा शहर बनाया गया। ऐसे में कॉन्ट्रैक्ट को कैंसिल कर यहां बड़े स्तर पर पौधरोपण कर जंगल डेवलप करने का प्रस्ताव बोर्ड में लाया जा रहा है। बोर्ड बैठक में 40 प्रस्ताव रखे जाएंगे।
29 साल पहले ग्रीन बेल्ट के लिए दी थी जमीन
सहारा इंडिया हाउसिंग लिमिटेड को 28 फरवरी 1995 को 100 एकड़ जमीन सशर्त ग्रीन बेल्ट के उपयोग के लिए दी गयी थी। शर्त रखी गयी थी कि 50 प्रतिशत भूमि नर्सरी के रूप में प्रयोग करें, जॉगिंग ट्रैक बनाएं, बच्चों के खेलने का उपकरण लगाए, फव्वारा लगाएं, ग्रीन बेल्ट की विज्ञापन पट्टिका लगाएं, इसके अलावा वृक्ष लगाने के लिए 30 साल की अवधि का समय दिया गया था। जिसका 30-30 साल पर नवीनीकरण होता है।
लीज में दी गयी शर्तों का उल्लंघन होने की दशा में कॉन्ट्रैक्ट निरस्त करने का प्रस्ताव लाया जा रहा है। लीज के 29 साल बीत जाने के बाद भी सहारा इंडिया की ओर से इस जमीन पर ग्रीन बेल्ट डेवलप नहीं किया गया। यहां झुग्गी-झोपडियों के रूप में अतिक्रमण है, जिस पर भविष्य में और अधिक अवैध अतिक्रमण होने की पूरी संभावना जताई गई है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी चल रहा है। 1994-95 में लखनऊ नगर निगम ने 170 एकड़ और एलडीए ने 100 एकड़ जमीन सहारा इंडिया को लीज पर दी थी।
1997 में लाइसेंस निरस्त करने का दिया था नोटिस
शर्तों के उल्लंघन पर नगर निगम के तत्कालीन नगर आयुक्त दिवाकर त्रिपाठी की ओर से 1997 में लाइसेंस निरस्त करने का नोटिस जारी किया गया था। इसके बाद सिविल कोर्ट में यह मामला चल रहा है। इस बीच 2012 में सेबी और सहारा के विवाद में सहारा शहर की जमीन को सेबी ने कुर्की कर लिया।
इसके अलावा आबिर्टेशन में भी यह मामला सहारा इंडिया हाउसिंग और नगर निगम के बीच 15 साल से अधिक समय तक चला। जिसका 2017 में फैसला आया। जिसमें सेबी की सहमति के बाद सहारा की ओर से दी गई सूची के आवंटियों को लीज पर जमीन देने की बात कही गई, लेकिन यह हो नहीं पाया, क्योंकि अब तक सेबी की ओर से जमीन मुक्त ही नहीं की गई।
नगर निगम के सभी आरोपों को सहारा कंपनी ने सिरे से खारिज कर दिया है। उल्टा नगर निगम को ही योजना में देरी सहित अन्य विधिक विवादों के लिए जिम्मेदार बताया है। कंपनी के अधिकृत प्राधिकारी की ओर से दिए जवाब में यह भी कहा कि गया है कि 28 साल में कंपनी सहारा शहर की जमीन के विकास, निर्माण व मेंटेनेंस पर करीब 800 करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है। जिससे कंपनी को ही नुकसान हो रहा है न कि नगर निगम को।
30 साल पहले दिया गया था लाइसेंस
22 अक्टूबर 1994 को जमीन विकसित करने के लिए लाइसेंस दिया गया
1997 में नगर निगम ने शर्तों के उल्लंघन पर लाइसेंस कैंसिल कर दिया
इसके विरोध में सिविल कोर्ट में वाद दायर हुआ
न्यायालय ने नगर निगम के आदेश पर रोक लगा दी
130 एकड़ जमीन आवासीय योजना विकसित करने के लिए दी गई
40 एकड़ जमीन ग्रीन बेल्ट विकसित करने के लिए दी गई
6.57 करोड़ रुपए अनुबंध के तहत लिए गए
31 अगस्त 2012 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत सेबी की ओर सहारा शहर की जमीन कुर्क करने की सूचना नगर निगम को दी गई
इस पर 08 मई 2013 को तत्कालीन नगर आयुक्त की ओर सेबी अध्यक्ष को पत्र लिखा गया जिसमें यह कहा गया कि जमीन का मालिक नगर निगम है।
प्रमुख प्रस्ताव जिस पर चर्चा होनी है
गोमती नदी के किनारे कैंट सीमा से एक्वाडक्ट तक ग्रीन कॉरीडोर के लिए जमीन अधिग्रहण किया जाएगा।
वेलनेस सिटी, आईटी सिटी, मोहान रोड योजना के लिए जमीन अधिग्रहण।
बकाया भुगतान के लिए ब्याज की दरों को नए सिरे से तय करने का प्लान।
लंदन आई की तर्ज पर गोमती किनारे लखनऊ आई विकसित करने का प्लान ।
लखनऊ की सभी झीलों का सुंदरीकरण करने के लिए फर्म की सेवाएं ली जाएंगी।