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गाजीपुर में सुहागिन महिलाओं ने पति के दीर्घायु के लिए वट सावित्री का रखा व्रत, वट वृक्ष का किया पूजन-अर्चन

ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. गाजीपुर के मुहम्मदाबाद क्षेत्र में गुरुवार को महिलाओं ने पति के दीर्घायु की कामना को लेकर वट सावित्री का व्रत रख पूजन-अर्चन किया। इस मौके पर सुहागिन महिलाएं व्रत रख पूरी तरह सज-धजकर वट वृक्ष की विधिवत पूजन-अर्चन की।
इस मौके पर मुहम्मदाबाद के बैजलपुर स्थित सोमेश्वर नाथ महादेव मंदिर महादेवा पहुंचकर वट वृक्ष का पूजन-अर्चन किया। साथ ही व्रती महिला वट वृक्ष की पूजा के पश्चात कच्चा धागा लपेट कर पति के दीर्घायु की कामना की।

राजर्षि अश्वपति की एकमात्र संतान थीं सावित्री। सावित्री ने वनवासी राजा द्युमत्सेन के पुत्र सत्यवान से विवाह किया था। लेकिन जब नारद जी ने उन्हें बताया कि सत्यवान की आयु आधी हैं, तो भी सावित्री ने अपना फैसला नहीं बदला और सत्यवान से सब कुछ जानबूझकर शादी कर ली। सावित्री सभी राजमहल के सुख और राजवैभव त्याग कर सत्यवान के साथ उनके परिवार की सेवा करते हुए वन में रहने लगीं। जिस दिन सत्यवान के महाप्रयाण का दिन था, उस दिन वह लकड़ियां काटने जंगल लेख गए हुए थे। अचानक बेहोश होकर गिर पड़े।

उसी समय यमराज सत्यवान के प्राण लेने आए। तीन दिन से उपवास में रह रही सावित्री को पता था कि क्या होने वाला है, इसलिए बिना विकल हुए उन्होंने यमराज से सत्यवान के प्राण न लेने की प्रार्थना की। लेकिन यमराज नहीं माने। तब सावित्री उनके पीछे-पीछे ही जाने लगीं। कई बार मना करने पर भी वह नहीं मानीं, तो सावित्री के साहस और त्याग से यमराज प्रसन्न हुए और कोई तीन वरदान मांगने को कहा। सावित्री ने सत्यवान के दृष्टिहीन माता-पिता के नेत्रों की ज्योति मांगी, उनका राज्य मांगा और अपने लिए 100 पुत्रों का वरदान मांगा। तथास्तु कहने के बाद यमराज समझ गए कि सावित्री के पति को साथ ले जाना अब संभव नहीं। इसलिए उन्होंने सावित्री को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद दिया और सत्यवान को छोड़कर वहां से अंतर्धान हो गए।

उस समय सावित्री अपने पति को लेकर वट वृक्ष के नीचे ही बैठी थीं। इसीलिए इस दिन महिलाएं अपने परिवार और जीवनसाथी की दीर्घायु की कामना करते हुए वट वृक्ष को भोग अर्पण करती हैं, उस पर धागा लपेट कर पूजा करती हैं।
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