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सबसे लंबा चुनाव और सबसे कम कैंडिडेट...इन मायनों में अलग रहा 2024 का लोकसभा चुनाव

ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. लोकसभा चुनाव परिणाम मंगलवार शाम तक आ जाएंगे लेकिन 2024 का लोकसभा चुनाव कई मायने में यूपी में हुए अब तक के चुनावों से अलग रहा। आइए देखते हैं यह चुनाव किन मायनों में पहले हुए लोकसभा चुनावों से अलग रहा।
साल 2024 का लोकसभा चुनाव 1952 के बाद अब तक का सबसे लंबा चलने वाला चुनाव रहा। 16 मार्च को आचार संहिता लागू हुई और एक जून तक सात चरणों में मतदान हुए। 1952 में चुनाव प्रक्रिया चार महीने से अधिक समय तक चली थी।

इस चुनाव में 1977 के बाद से अब तक के सबसे कम प्रत्याशी रहे। इस बार यूपी की 80 लोकसभा सीटों पर कुल 851 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। 2019 में 979 उम्मीदवार चुनाव लड़े थे। 2014 में 1,288उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे।

इस चुनाव में नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर तो चलता रहा, मगर किसी नेता के प्रचार पर रोक नहीं लगाई गई। बताया जा रहा है कि लंबे समय के बाद यह ऐसा लोकसभा चुनाव हैं, जिसमें किसी भी दल के नेता को बयानों के आधार पर चुनाव प्रचार से रोका नहीं गया।

यह लोकसभा चुनाव नकदी, शराब, ड्रग्स आदि के सीजर के मामले में सबसे आगे रहा। चुनाव के दौरान कुल जब्ती का आंकड़ा 549 करोड़ रुपये रहा। इसमें 92.44 करोड़ रुपये कैश, 57.41 करोड़ की शराब, 240.79 करोड़ की ड्रग्स, 28.89 करोड़ रुपये की बहुमूल्य धातुएं शामिल हैं।

1990 के बाद यह पहला चुनाव रहा जब मंडल-कमंडल की राजनीति से उभरे बड़े नेताओं की भागीदारी नहीं रही। इनमें मुलायम सिंह यादव, कल्याण सिंह, अजित सिंह का निधन हो चुका है, जबकि अन्य नेता चुनाव मैदान से दूर रहे। वहीं, सपा और कांग्रेस पहली बार गठबंधन के तहत लोकसभा चुनाव में उतरे।
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