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बीच रास्ते में बंद हुए दादर एक्सप्रेस के एसी और पंखे, गर्मी में यात्री बिलबिलाए

ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, गोरखपुर. गर्मी में यात्रियों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही। मंगलवार को गोरखपुर से एलटीटी (मुंबई) के लिए रवाना हुई 15018 नंबर की दादर (काशी) एक्सप्रेस लगी पावरकार के जेनरेटर का डीजल ही समाप्त हो गया।
अचानक सभी कोचों के एसी और पंखे रास्ते बंद हो गए। भीषण गर्मी में यात्री बिलबिला उठे। वाराणसी से आगे प्रयागराज होते हुए सतना तक की राह कठिन हो गई। सतना में जेनरेटर में डीजल भरा गया तो पंखे और एसी चले। परेशान यात्रियों ने राहत की सांस ली।

जानकारों के अनुसार गोरखपुर में जेनरेटर को चलाने के लिए तीन हजार लीटर डीजल रखा गया था। डीजल से वाराणसी से आगे तक जेनरेटर चलता रहा, लेकिन प्रयागराज से पहले ही डीजल समाप्त हो गया। डीजल समाप्त होते ही जेनरेटर के साथ सभी कोचों के पंखे और एसी बंद हो गए। यात्री परेशान हो उठे।

कोचों में ठहरना मुश्किल हो गया। आक्रोशित यात्री कोचों और स्टेशन पर हंगामा करने लगे। जनरल और स्लीपर में तो कुछ राहत भी थी, लेकिन एसी कोचों के यात्री उबलने लगे। रेलकर्मियों की परेशानी भी बढ़ गई। सतना में डीजल की व्यवस्था हुई तो जेनरेटर चालू हुआ।

दरअसल, दादर एक्सप्रेस वाराणसी से प्रयागराज के बीच मार्ग बदलकर चल रही है। ट्रेन वाराणसी से सीधे प्रयागराज न जाकर भदोही के रास्ते प्रयागराज पहुंच रही है। ऐसे में वाराणसी से प्रयागराज तक की दूरी बढ़ जा रही, जबकि, गोरखपुर में ही प्रयागराज या सतना तक के लिए जेनरेटर में डीजल रख दिया जाता है।

संयोग से दादर के इंजन में हेड आन जेनरेशन (एचओजी सिस्टम) भी नहीं लगा था। ऐसे में गोरखपुर से ही कोचों में बिजली की सप्लाई के लिए जेनरेटर चलने लगा। इलेक्ट्रिक इंजनों में लगे एचओजी सिस्टम से ही कोचों में बिजली की सप्लाई दी जाती है। विकल्प के रूप में एक पावरकार लगी होती है। जिन इंजनों में एचओजी नहीं होता, उन ट्रेनों की पावरकार से ही कोचों को बिजली सप्लाई दी जाती है।
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