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परमवीर चक्र विजेता वीर अब्दुल हमीद का सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र लापता, शहीद के पुत्र ने कही ये बात...

ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. गाजीपुर के परमवीर चक्र विजेता शहीद वीर अब्दुल हमीद का नाम विश्व पटल पर हर लोगों के जुबान पर रहता है। एक बार उनके वीरता की कहानी पढ़ने के बाद लोगों का ध्यान गाजीपुर जनपद के दुल्लहपुर थाना क्षेत्र से 5 किलोमीटर दूर धामूपुर गांव में आ ही जाता है। रोजाना शहीद पार्क में गैर जनपद से लोग हमीद मार्ग से गुजरते हैं या तो उनकी जीवनी पढ़ने के बाद सीधे पैतृक गांव पहुंच जाते हैं और उनके शहीद पार्क में रखे मिट्टी को नमन करते हैं। शहीद के प्रतिमा और आरसीएल गन के डेमो का जमकर सेल्फी लेते हैं और अपने रिश्तेदारों को भी भेजते हैं।
शहीद वीर अब्दुल हमीद के बड़े बेटा जैनुल हसन ने कहा कि भारत-पाकिस्तान के युद्ध में सन 1965 में मेरे पिता ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को मुहैया कराई गई अजेय माने जाने वाली पैटन टैंक को ध्वस्त करते हुए युद्ध का पासा पलट दिया। टैंक को क्षतिग्रस्त करके अपने वीरता का परिचय दिया। जिनको भारत में तत्कालीन राष्ट्रपति सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से नवाजा गया।

लेकिन दुखद है कि सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र मेरे परिवार में कहां लापता है, इसको लेकर एसपी सहित अन्य अधिकारियों से गुहार लगाया हूं। कहा कि परमवीर चक्र अपने आप में एक सर्वोच्च सम्मान है, जिसे भारत के हर नागरिकों का देखने का हक भी है। लेकिन यह सर्वोच्च सम्मान कहां रखा है, मुझे भी पता नहीं है। हां इसका वीडियो मैंने अपने पास रखा हूं कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अंडमान निकोबार में एक दीप का नामशहीद के नाम से रखा। इस दौरान मेरे भतीजे ने सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र दिखाया था, जिसका वीडियो मेरे पास है।

शहीद वीर अब्दुल हमीद के पौत्र जमील आलम ने कहा कि 2019 में दादी रसूलन बीबी का निधन हुआ था। उससे पहले मैं उनका उत्तराधिकारी था। हर कार्यक्रमों में ले जाना ले आना मैं करता था। उसे वक्त मेरा चाचा ना तो दादी का साथ दिया ना तो मेरा साथ दिया। दादी ने परमवीर चक्र मुझे सौंपा है और मैं संभाल के रखा हूं।

परमवीर चक्र विजेता शहीद वीर अब्दुल हमीद के पौत्र जमील आलम ने कहा कि 2019 में दादी रसूलन बीबी का निधन हुआ था। उससे पहले मैं उनका उत्तराधिकारी था। हर कार्यक्रमों में ले जाना ले आना मैं करता था। उसे वक्त मेरा चाचा ना तो दादी का साथ दिया ना तो मेरा साथ दिया। दादी ने परमवीर चक्र मुझे सौंपा है और मैं संभाल के रखा हूं। परमवीर चक्र कोई एक व्यक्ति विशेष का नहीं है देश के हर नागरिकों का एक सम्मान है। मेरे चाचा ने जो आरोप लगाया है, वह पूरी तरह से निराधार है।
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