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दुल्हन का था इंतजार…दूल्हे की पहुंची लाश, एक्सीडेंट में 4 की कार में जिंदा जलकर मौत

ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, झांसी. झांसी में भीषण हादसे में दूल्हा, उसका भाई, 4 साल का भतीजा समेत 4 लोगों की जिंदा जलकर मौत हो गई थी। बारात लेकर निकला दूल्हा आकाश (25) अपनी मां से वादा करके गया था कि वह बहू लेकर लाएगा।
ये तस्वीर दूल्हा निकाली की है। यानी जब आकाश घर से दुल्हन को लाने के लिए निकल रहा था। तब रस्म अदा करती बहन। अब आकाश इस दुनिया में नहीं रहा।
बूढ़ी मां भी बहू के स्वागत में लगी थी, लेकिन बिना दुल्हन के ही दूल्हा बना बेटा सफेद कफन में लिपटकर घर पहुंचा तो कोहराम मच गया। दूल्हे के साथ उसके बड़े भाई आशीष (32), मासूम भतीजे मंयक (4) की लाश भी आंगन में रखी गई तो सभी दहाड़े मारकर रोने लगे।

तीनों के शव इतनी बुरी तरह से जल चुके थे कि उनको पहचान पाना भी मुश्किल हो रहा था। दूल्हे के चचेरे भाई जितेंद्र अहिरवार ने बताया- न खोपड़ी पर मांस था और न ही हाथों पर। सिर्फ हड्‌डियां दिखाई दे रही थी। बच्चा छोटा था, तो पहचान में आ गया। रात को आकाश, आशीष और ड्राइवर जयकरण उर्फ भगत के शव पहचानने में नहीं आ रहे थे।
ये तस्वीर दुल्हे की बहन काजल की है। जिसके सामने उसके दोनों भाई जिंदा जल गए।
सुबह उजाले में पुलिस ने दोबारा शव दिखाए। जब सोने की जंजीर से दूल्हे आकाश के शव की पहचान की। इसके अलावा बैग से आशीष की लाश को पहचाना। ऐसे शवों की पहचान हो पाई। शनिवार शाम को एक चिता पर तीनों शवों को रखकर जलाया गया।

इधर, दूल्हे की मौत के बाद परिवार के लोग दुल्हन की दूसरे गांव में शादी करने जा रहे थे। सब कुछ तय हो गया था, सिर्फ बारात आनी बाकी थी। तभी पता चला कि लड़का पहले से ही शादीशुदा है। ऐसे में इस रिश्ते को तोड़ दिया गया और दूसरी बारात भी नहीं पहुंची।

दूल्हा आकाश एरच थाना क्षेत्र के बिलाटी गांव का रहने वाला था। वह बारात लेकर दुल्हन अंजू के घर बड़ागांव थाना क्षेत्र के छपरा गांव जा रहा था। दुल्हन के परिवार वालों ने भी पूरी तैयारी करके रखी थी। खाना से लेकर मिठाई और पकवान बनाए गए थे। घर के बाहर भी सजावट की गई थी।

शुक्रवार रात को धीरे-धीरे करके बारात की 8 गाड़ियां दुल्हन के घर पर पहुंच गई। बस दूल्हे और उनके जीजा की गाड़ी का इंतजार हो रहा था। बारातियों को नाश्ता करवाया जा रहा था। बारात पहुंचने पर पटाखा चलाए जा रहे थे। तभी हादसे की सूचना पहुंच गई। सारे बाराती अपनी-अपनी गाड़ी लेकर मौके पर पहुंच गए। लेकिन तब तक दूल्हा समेत 4 लोग जिंदा जल गए थे।
यह तस्वीर दूल्हे आकाश और उसके बड़े भाई आशीष और उसके भतीजे मंयक की है।
दूल्हे की बहन काजल ने बताया- घर से निकलने के बाद गुरसराय में कोल्ड ड्रिंक पी। वहीं से जयमाला लेकर हम दुल्हन के घर के लिए रवाना हो गए। पहले हमारी गाड़ी पीछे थी। बाद में हमारी गाड़ी दूल्हे वाली गाड़ी से आगे निकल गई। थोड़ी देर बाद देखा कि एक्सीडेंट हो गया।

हम लोग कार से उतरकर गए तो गाड़ी पर भगतजी लिखा रहा। मैं समझ गई कि इसी गाड़ी में मेरे दोनों भाई व परिवार के लोग है। शीशा तोड़कर दो लोगों को निकाल लिया। लेकिन दोनों भाइयों व भतीजे को नहीं निकाल पाई। मेरी आंखों के सामने वे जलते रहे और मैं कुछ भी नहीं कर पाई।

वहीं, चचेरे भाई जितेंद्र का कहना है कि सोचा था कि छोटे भाई को ब्याहने जा रहे हैं। घर में बहू आने से खुशहाली आएगी। क्योंकि ये परिवार में आखरी शादी हो रही थी। जब मैं लाश लेकर जा रहा था तो मेरे हाथ कांप रहे थे।

दूल्हे की मां बिमलेश ने बताया- शुक्रवार रात को दूल्हे के निकासी की तैयारी चल रही थी। तभी बेटे आकाश ने कहा मुझे सभी के साथ फोटो खिंचवानी है। तब मैंने कहा कि लेट हो रहे हैं, जल्द कर लो। रात 11 बजे टीका हो जाना चाहिए। तब वो गुस्सा हो गया और बोला कि जल्दी-जल्दी क्यों कर रही हो? यहीं से लेट हो गए, अब 11 बजे टीका नहीं हो पाएगा। मैंने और रिश्तेदारों ने सारी रस्में पूरी की और बेटे को दुल्हन लाने के लिए भेज दिया।

लेकिन मेरा मन व्याकुल था। मैं सभी देवी-देवताओं का स्मरण कर रही थी। मां दूल्हे के पीछे नहीं जाती, मैं बेटे को देखने के लिए थोड़ी दूर तक गई। क्योंकि मेरे मन में अजीब शंका हो रही थी। थोड़ी देर बाद ही खबर आ गई कि हादसा हो गया।
ये तस्वीर दुल्हन अंजू की है, जो शादी के लिए तैयार हो रही थी। बाद में पता चला कि होने वाले पति की मौत हो गई है।
सात फेरे लेने से कुछ घंटे पहले ही होने वाले पति को खोने वाली अंजू सदमे से बाहर नहीं निकल पा रही है। उसने 24 घंटे से अन्न का एक दाना नहीं खाया और वह सिर्फ रोए जा रही है। अंजू ने बताया कि “होने वाले पति से फोन पर बात हुई तो वे कुछ देर बाद ही मेरे गांव आने वाले थे।

तब मैं तैयार होने लगी। अचानक सभी लोग घर के बाहर भागे। मैंने सोचा कि किसी से झगड़ा हो गया। मैं भी बाहर आ गई। तब मुझे रोने की आवाज सुनाई दी। मैंने सभी से पूछा, लेकिन कोई कुछ नहीं बता रहा था। तब मैंने आकाश को फोन लगाया तो उनका नंबर स्विच ऑफ था।

मैं दो से तीन घंटे फोन मिलाती रही, लेकिन फोन नहीं लगा। तब मैंने होने वाले ससुर को कॉल लगाया। मैंने पूछा पापा क्या हो गया? तब वे बोले कि बेटा तुम मेरी किस्मत में नहीं थी। तब मुझे हादसे का पता चला।”

दुल्हन की मां रानी बताती है कि अंजू के पिता रामजीवन ने ये रिश्ता करीब एक साल पहले तय किया था। चार मार्च 2024 की रात थी। वर पक्ष के लोग शादी की तारीख तय करने घर पर आए थे। तभी मेरे पति की मौत हो गई। मैं और परिवार किसी तरह संभल पाए और शादी के लिए तैयार हो गए।

बेटी की शादी धूमधाम से हो सके, इसलिए एक बीघा जमीन का सौदा कर लिया। बारात के लिए खाना बन चुका था और सारी तैयारी हो चुकी थी। बेटी भी तैयार हो चुकी थी। तभी हादसे की खबर मिली तो क्लेजा फट गया। दूल्हे के परिवार का कुल ही खत्म हो गए।

दुल्हन की मां ने कहा- अंजू मेरी इकलौती बेटी है। उससे छोटा बेटा है। देवर दिनेश और जेठ मुन्नालाल भी शादी में मदद कर रहे थे। भगवान ने इस कदर कहर भरपाया कि हम लोग अभी भी बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। लेकिन बेटी मेहंदी रचाए बैठी है, आज नहीं तो कल उसे विदा करना है।

गांव के लोगों और रिश्तेदारों ने घर देखे। तब पृथ्वीपुर के एक गांव में लड़का पसंद आया। हम लोग दिन में लड़का पक्का कर आए। शनिवार शाम को बारात आनी थी। मगर बाद में पता चला कि वो पहले से शादीशुदा है और तलाक भी नहीं हुआ है। तब लड़के को बारात लाने से मना कर दिया। हमने दूसरे दिन भी बारातियों के लिए सब्जी, नाश्ता आदि मंगा लिया था। अब हम लड़का ढूंढ़कर रविवार को बेटी की शादी करेंगे।

बिलाटी खेत निवासी जयकरण भगत और आकाश के बीच गहरे संबंध थे। करीब दो माह पहले ही जयकरण ने कार खरीदी थी और उसी कार से दूल्हा और उसके परिवार को लेकर जा रहा था। हादसे के बाद जयकरण के घर में मातम का माहौल है। जयकरण अपनी बड़ी बेटी की शादी कर चुके थे। जबकि तीन बेटी और एक बेटा अभी अविवाहित हैं।

ट्रक की टक्कर के बाद लग गई थी आग
आकाश बारात लेकर दुल्हन के घर छपरा गांव के लिए रवाना हुआ। कार में दूल्हा समेत 6 लोग थे। शुक्रवार देर रात को उनकी कार जब हाईवे पर पारीछा ओवरब्रिज पर पहुंची तो पीछे से आ रहे ट्रक (डीसीएम) ने टक्कर मार दी। कार में लगा CNG सिलेंडर फट गया। कार और ट्रक में आग लग गई।

कार में दूल्हा आकाश, उसका बड़ा भाई आशीष अहिरवार, आशीष का 4 साल का बेटा मयंक और ड्राइवर जयकरन उर्फ भगत (45) जिंदा जल गए। जबकि दुल्हा के चचेरा भाई रवि अहिरवार और फुफेरा भाई रमेश को लोगों ने बचा लिया।
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