अफजाल अंसारी मामले में अब 27 मई को होगी सुनवाई, हाईकोर्ट में डेढ़ घंटे तक चली बहस
ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. गाजीपुर से सांसद अफजाल अंसारी के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट में आज भी सुनवाई पूरी नहीं हो सकी है। इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट में अब 27 मई को सुनवाई होगी। करीब डेढ़ घंटे तक हाईकोर्ट में बहस चली। कोर्ट में राज्य सरकार की तरफ से भी पक्ष रखा गया। गैंगस्टर मामले में गाजीपुर एमपी-एमएलए कोर्ट द्वारा मिली 4 साल की सजा के खिलाफ अफजाल अंसारी ने याचिका दाखिल की है। राज्य सरकार और पीयूष राय की तरफ से भी अफजाल अंसारी की सजा बढ़ाने की मांग को लेकर याचिकाएं दाखिल की गई हैं।
इससे पहले 21 और 22 मई को दो घंटे तक सुनवाई चली थी। अफजाल अंसारी के वकीलों ने हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए सजा खत्म करने की मांग की थी। कोर्ट को बताया था कि अफजाल अंसारी के चुनाव लड़ने को लेकर संशय बना हुआ है। कोर्ट से अपील किया कि सजा रद की जाए। राज्य सरकार और पीयूष राय के वकीलों ने इसका विरोध किया। उन्होंने अफजाल अंसारी की सजा बढ़ाने की मांग की। इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले से ही तय होगा कि अफजाल अंसारी लोकसभा चुनाव लड़ सकेंगे या नहीं।
इसमें राज्य सरकार की तरफ से वकीलों ने बहस की। अफजाल अंसारी के वकीलों ने हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए सजा खत्म करने की मांग की। वहीं राज्य सरकार और पीयूष राय की तरफ से भी अफजाल अंसारी की सजा बढ़ाने की मांग की गई है।
बता दें कि बीते साल अफजाल अंसारी को एमपी-एमएलए कोर्ट से गैंगस्टर मामले में 4 साल की सजा हुई थी और उनकी संसद सदस्यता रद्द हो गई थी। सजा के खिलाफ अफजाल अंसारी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील किया जहां से उनको जमानत तो मिली पर सजा से राहत नहीं मिली।
इसके बाद अफजाल की सजा पर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम रोक लगाई है। हाईकोर्ट को 30 जून 2024 तक अफजाल के मामले की सुनवाई पूरी कर फैसला देने का आदेश दिया गया है। अफजाल की सजा के मामले में आज हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है। यदि इस बीच अफजाल अंसारी की सजा हाईकोर्ट से बहाल हो जाती है तो अफजाल चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।
गाजीपुर लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी से अफजाल जबकि भाजपा से पारसनाथ राय और बसपा से डॉक्टर उमेश सिंह मैदान में हैं। फिलहाल जिले की सियासी सरगर्मी बढ़ी हुई है। वहीं अफजाल अंसारी ने यहां से अपनी बेटी नुसरत से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल कराया है।
अब जानिए 2005 में हुए कृष्णानंद राय हत्याकांड के बारे में...
XUV से 8 लोग उतरे, ताबड़तोड़ फायरिंग करके कृष्णानंद राय की हत्या कर दीगाजीपुर की मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट पर 1985 से 2002 तक अंसारी बंधुओं का दबदबा रहा। साल 2002 में भाजपा नेता कृष्णानंद राय ने अंसारी फैमिली का विजय रथ रोकते हुए चुनाव जीता और विधायक बन गए। उन्होंने अफजाल अंसारी को 8 हजार वोटों से मात दी। यहीं से अंसारी और कृष्णानंद राय के बीच अदावत शुरू हो गई।
AK-47 से तकरीबन 500 राउंड फायरिंगचुनाव जीतने के तीन साल बाद 29 नवंबर 2005 को बीजेपी विधायक राय एक क्रिकेट टूर्नामेंट का उद्घाटन करने जा रहे थे। टूर्नामेंट पास के गांव में था। इसलिए वे बुलेट प्रूफ गाड़ी की जगह सामान्य वाहन से चले गए। यहां से जब वो लौटने लगे, तब भांवरकोल की बसनिया पुलिया के पास एक एसयूवी उनकी गाड़ी के सामने आकर खड़ी हो गई। विधायक और उनके साथी कुछ भी समझ पाते, इससे पहले ही एसयूवी से 8 लोग उतरे और ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी।
AK-47 से तकरीबन 500 राउंड फायरिंग की गई। विधायक और उनके साथ गाड़ी पर सवार 6 लोग और गाड़ी भी छलनी हो गई। विधायक कृष्णानंद राय समेत 7 शवों का जब पोस्टमॉर्टम हुआ, तो सभी के शरीर से कुल 67 बुलेट मिलीं। मृतकों में विधायक के अलावा मोहम्दाबाद के पूर्व ब्लॉक प्रमुख श्याम शंकर राय, भांवरकोल ब्लॉक के मंडल अध्यक्ष रमेश राय, अखिलेश राय, शेषनाथ पटेल, मुन्ना यादव और उनके अंगरक्षक निर्भय नारायण उपाध्याय थे।
इस हत्याकांड के बाद पूरा पूर्वांचल दहल उठा। विधायक के समर्थक तोड़फोड़ पर उतर आए, जमकर आगजनी की गई। विधायक की पत्नी अलका राय ने मुख्तार, अफजाल अंसारी के अलावा मुन्ना बजरंगी समेत अन्य कई के खिलाफ केस दर्ज करवाया। अलका चाहती थीं कि इस वारदात की जांच CBI करे। कुछ दिन तक CBI ने केस की जांच की, फिर केस छोड़ दिया।
हत्याकांड के विरोध में राजनाथ सिंह ने चंदौली में धरना दिया था। इसके बाद केस की जांच CBI को सौंपी गई। CBI ने मुख्तार अंसारी को मुख्य साजिशकर्ता माना था। मुख्तार मऊ विधानसभा क्षेत्र से 5 बार विधायक रह चका है। 2005 में मऊ में भड़की हिंसा में नाम सामने आने पर उसने कोर्ट में सरेंडर किया था।
इस हत्याकांड के एकमात्र चश्मदीद गवाह शशिकांत राय थे। उनकी कुछ ही दिन बाद संदिग्ध हालत में मौत हो गई। मामले में जांच चली, लेकिन सबूत नहीं मिले। इसके बाद कृष्णानंद हत्याकांड के सभी आरोपियों को बाइज्जत बरी कर दिया गया।