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विपक्ष के प्रभाव वाली सीटों पर भाजपा ने झोंकी ताकत, समझें रणनीति

ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. चार चरणों में मतदान और पांचवें चरण की सीटों पर प्रचार बंद होने के साथ ही भाजपा ने अपनी पूरी ताकत पूर्वांचल में झोंक दी है। छठवें और सातवें चरण में शामिल पूर्वांचल की 27 सीटों को जीतने के लिए वृहद कार्ययोजना के तहत पार्टी ने बूथ स्तर तक के कार्यकर्ताओं को सक्रिय कर दिया है। सीटवार जाति विशेष को प्रभावित कर सकने वाले सजातीय नेता योद्धा के तौर पर प्रचार में लगाए गए हैं। अधिक फोकस उन छह ससंदीय सीटों पर है, जहां पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा को हार मिली थी।

सपा और बसपा का गढ़ मानी जाने वाली इन सीटों पर दलित, यादव व मुस्लिमों के अलावा गैर यादव ओबीसी जातियां खासकर निषाद, राजभर, कुर्मी, कोईरी, लोनिया जैसी जातियों की तादाद अधिक है। गैर-यादव ओबीसी जातियां इस क्षेत्र के चुनाव को सीधे प्रभावित करती हैं। जिसे देखते हुए भाजपा ने अपने तीनों सहयोगी दल निषाद पार्टी, अपना दल (सोनेलाल) और सुभासपा के नेताओं को भी मैदान में उतार दिया है। अनुप्रिया पटेल, ओम प्रकाश राजभर और डा. संजय निषाद की जनसभाएं प्रतिदिन दो-तीन क्षेत्रों में लगाई जा रही हैं। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव के कार्यक्रम भी पूर्वांचल के जिलों में लगाए जा रहे हैं। इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की बड़ी चुनावी रैलियां भी कुछ सीटों पर हो चुकी हैं और शेष में प्रस्तावित हैं।

रविवार को गृहमंत्री अमित शाह का कार्यक्रम प्रयागराज औरनपुर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कार्यक्रम आजमगढ़, जौनपुर, प्रयागराज व प्रतापगढ़, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव गाजीपुर व बलिया, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का कार्यक्रम गोरखपुर व भदोही, सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर का कार्यक्रम अंबेडकरनगर, बस्ती और सिद्धार्थनगर, निषाद पार्टी के अध्यक्ष डा. संजय निषाद का कार्यक्रम गोरखपुर व अंबेडकरनगर के साथ ही प्रदेश सरकार के आधा दर्जन से अधिक मंत्रियों के कार्यक्रम पूर्वांचल में लगे थे। 

2019 के लोकसभा चुनाव में इस क्षेत्र की 27 सीटों में से भाजपा के जीत का ग्राफ करीब 80 फीसदी कहा जा सकता है, क्योंकि 27 में से 21 सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी। गाजीपुर, घोसी, लालगंज, आजमगढ़, जौनपुर और अंबेडकरनगर लोकसभा क्षेत्र जो आपस में एक-दूसरे से जुड़ती हैं, ये सीटें इस बार भाजपा के लिए नाक का सवाल बना हुआ है। 2019 में हारी इन सीटों को कब्जाने के लिए भाजपा लंबे समय से काम कर रही थी, अब इस काम का रिजल्ट पाने का समय है। जिसे देखते हुए पार्टी ने पूरी ताकत झोंक दी है।

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