अफजाल अंसारी ने बेटी नुसरत को क्यों आगे किया...साइकल और छड़ी निशान की राजनीति समझा दी
ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. गाजीपुर में 1 जून को मतदान होना है। चुनाव प्रचार अपने अंतिम चरण में है। मीडिया ने इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी अफजाल अंसारी से बातचीत की। बातचीत में अफजाल अंसारी ने बेटी को अपना राजनीतिक वारिस बनाने के बाद भी खुद समाजवादी पार्टी के सिंबल पर चुनाव लड़ने के निर्णय पर अपना पक्ष ऑनलाइन मीडिया से साझा किया। अफजाल अंसारी ने बताया कि कोर्ट की ओर से उनकी अपील पर सुनवाई चल रही थी। स्थिति स्पष्ट नहीं थी ऐसे में बेटी का नामांकन करवाना उन्होंने जरूरी समझा।
एक प्रश्न के जवाब में अफजाल अंसारी ने कहा कि हाईकोर्ट में उनके मामले में सुनवाई चल रही है। 13 मई को उन्होंने नामांकन किया। उस दिन भी कोर्ट में सुनवाई के लिए तारीख लगी हुई थी। नामांकन पत्रों के जांच आदि के बीच सुनवाई के लिए कोर्ट ने 20 मई की तारीख तय कर दी। इस बीच वैकल्पिक उम्मीदवार के तौर पर नुसरत का नामांकन रद्द हो गया।
अफजाल अंसारी ने आगे बताया क्योंकि बेटी नुसरत ने इसलिए नामांकन किया कि नुसरत को ऐसा लोगों के कहने पर जानकारी हो रही थी कि 20 को उसके पिता अफजाल अंसारी को सजा हो जाएगी। सजा होने के बात सभी लोग कह रहे थे। 20 मई को अगर न्यायालय की ओर से फैसला आ जाता। तब वह लोग कौन चुनाव लड़े इस पर कोई निर्णय लेते। अफजाल अंसारी ने कहा कि अगर निर्णय उनके हक में नहीं रहता तो वह जेल जाते। लेकिन चुनाव तो किसी भी सूरत में होता। गाजीपुर के 21लाख मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करते।
अफजाल अंसारी ने विपक्षी दल का बिना नाम लिए कहा कि उनको यह बात खलती है कि नुसरत कैसे चुनाव लड़ रही है। नुसरत चुनाव में खड़ी है तो उसे छड़ी चुनाव चिन्ह कैसे मिल गया। यह भी विपक्षी दलों के लिये एक मुद्दा है। अफजाल अंसारी ने कहा कि नुसरत के खड़े होने पर भी ऐतराज है और उसको छड़ी चुनाव चिन्ह दिए जाने पर भी ऐतराज है। आखिर कोई कैसे लड़ेगा।
अफजाल अंसारी ने आगे कहा कि चुनाव 1 जून को है। उनके मामले में कोर्ट की ओर से सुनवाई के लिए 3 जून की तारीख तय की गई है। अभी तक जो नैरेटिव बनाया गया था कि अफजाल अंसारी लोकसभा चुनाव में कैंडिडेट नहीं रहेंगे। अफजाल ने कहा कि उनकी ओर से उनके लोग इस बात को कहते थे कि अगर वह चुनाव नहीं लड़ेंगे। ऐसी सूरत में उनके स्थान पर उनकी बेटी नुसरत उनकी राजनीतिक वारिस होगी।
अफजाल अंसारी ने यह भी कहा कि नुसरत के चुनाव चिन्ह छड़ी का जितना प्रचार उनके (अफजाल अंसारी) के लोगों ने नहीं किया, उससे ज्यादा प्रचार मीडिया की ओर से किया गया कि नुसरत को छड़ी कैसे मिली। नुसरत को ओमप्रकाश राजभर का चुनाव चिन्ह कैसे मिला।