मनोज सिन्हा बोले- 5 वर्षों में भारत तीसरी अर्थ व्यवस्था होगा, 2047 तक विकसित भारत बनेगा
ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. गाजीपुर जिले के मुहम्मदाबाद क्षेत्र के गांधीनगर स्थित डालिम्स सनबीम स्कूल में विकसित भारत के निर्माण में नई शिक्षा नीति का योगदान विषयक विचार संगोष्ठी एवं क्षेत्रीय प्रतिभा सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। समारोह का शुभारंभ मुख्य अतिथि जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने मां सरस्वती, राम दरबार तथा हनुमान जी के चित्र पर पुष्पार्चन एवं दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
इस मौके पर विद्यालय के बच्चों ने मुख्य अतिथि का स्वागत पुष्पवर्षा और सैल्यूट देकर किया। इस दौरान एक छोटे बच्चे ने हनुमान जयंती के अवसर पर हनुमान जी के वेश में आशीर्वाद प्रदान किया।इसके बाद बच्चों ने हनुमान चालीसा का संगीतमय पाठ किया।
इस अवसर पर उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि नई शिक्षा नीति में अब सिलेबस महत्वपूर्ण नहीं होगा। कहा कि भारत में एक ऐसे प्रधान मंत्री है, जिन्होंने नई शिक्षा नीति बनाई। पुरातन शिक्षा व्यवस्था में भारत शिक्षा में विश्व का नेतृत्व करता था। लंबे वर्षों तक गुलामी के बाद भारत पीछे हुआ। पिछले 10 वर्ष में जीडीपी काफी बढ़ा है। आज हमारा देश 5वीं बड़ी अर्थ व्यवस्था है। उप राज्यपाल ने कहा कि आगे पांच वर्षों में तीसरी अर्थ व्यवस्था होगी और भारत 2047 तक विकसित भारत होगा।
मनोज सिन्हा ने कहा कि पुरातन में हमारा शिक्षण संस्थान दुनिया में सबसे आगे था। इस देश की शिक्षा का लोहा सिकंदर मानता था। वह भारत में आक्रमण इसलिए नहीं किया कि भारत उस समय जो तलवार बनाता था, उसका स्टील सबसे मजबूत था। दुनिया में सर्जरी का औजार पुरातन काल में सबसे बेहतर है। उन्होंने लोगों को आगाह किया कि यह वक्त ऐसा है कि अगर जनता चूक गई तो काफी नुकसान होगा। पिछले साढ़े तीन वर्ष में शिक्षा में क्रांति आयी। नई शिक्षा नीति भारत को विकसित बनने में सहयोग देगा।
लखनऊ विश्वविद्यालय के उप कुलपति डॉ आलोक राय ने कहा कि विकसित भारत वह है, जिसमें मुद्रास्फीति से अधिक लोगों की प्रतिव्यक्ति आय बढ़े और इसका लाभ निम्न वर्ग के लोगों तक मिले। नई शिक्षा नीति में बच्चों को अपनी भाषा मे शिक्षा मिले, जिससे वह अपना व्यक्तित्व को निखार सके और ऊपर के स्तर में इसे बढ़ा सकें।
इस मौके पर साहित्यकार डॉ रामबदन राय, कवि संजीव त्यागी और किसान पंकज राय, पूर्व प्राध्यापक डॉ व्यासमुनि राय आदि को अंगवस्त्रम और स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया।