गाजीपुर जिले में माँ चंडी धाम में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, मंदिर में प्रतिदिन होती है भव्य आरती
ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. गाजीपुर जिले के कासिमाबाद क्षेत्र में नवरात्रि की जहां भीड़ मंदिरों में ज्यादा हो रही है। वहीं आस्था एवं विश्वास के प्रतीक क्षेत्र के बहादुरगंज नगर पंचायत क्षेत्र में स्थापित मां चंडी धाम पर दर्शनार्थियों की भारी भीड़ नवरात्र मैं तेज हो गई है ।धार्मिक आस्था के प्रतीक मां चंडी धाम के स्थापना एवं मंदिर के प्रति लोगों में तरह-तरह की जानकारियां हैं । लगभग कई सौ वर्ष पुरानी इस अति प्राचीन मां चंडी धाम पर आस्था और विश्वास के साथ लोग मां का दर्शन पूजन करने आते हैं और खुशी मन से अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर पुणे दर्शन करने आते हैं।
माँ चंडी |
प्राप्त जानकारी के अनुसार मां चंडी धाम मंदिर पूर्वजों के बताए हुए अनुसार यहां एक जंगल हुआ करता था। जहां किसी का आवागमन नहीं होता था। इसी में मां चंडी जी का मूर्ति लोगों को जमीन से निकली हुई प्रतीक दिखाई दी। जिसे बाद में बुद्धिजीवी वर्ग के लोगों ने उसे स्थान को सुंदर-सुंदर तरीके से साफ-सफाई करके और यहां मां चंडी धाम मूर्ति के मंदिर का रूप दिया गया। इस समय से माता जी की आरती पूजन पाठ का कार्यक्रम चालू हो गया।
इसी परिपेक्ष्य में समय बीतता गया लोग धार्मिक आस्था के प्रति माता के स्थान से जुड़ते गए और यह संख्या समय के हिसाब से बढ़ते-बढ़ते काफी हो गई। मां के दरबार में माता का दर्शन देखने वालों की संख्या में दिन प्रतिदिन इजाफा होता गया। धार्मिक आस्था मान लोग मां के दरबार में माथा टेकते थे। अपनी समस्याओं को मां के चरणों में समर्पित कर देते थे।जिसका मां चंडी जी की कृपा से लोगों का समाधान भी हो जाता था।
इसी क्रम में समय बीतता गया। लोगों की भीड़ बढ़ने लगी। अब आगमन के साधन बढ़ गए मंदिरों के साथ सजावट के सामानों की संख्या में इजाफा हुआ। विभिन्न प्रकार के सौंदर्य सामान सौंदर्य रंग-बिरंगे पेंट रंग-बिरंगे पत्थर सब कुछ उपलब्ध होने लगे और बदलते समय के साथ-साथ मंदिर का मूर्ति रूप भी बदल दिया गया। पूर्व में जहां कहा जाता है कि तीन सेट के नीचे मंदिर स्थापित थी।
लोगों के आस्था के प्रति लोगों के सहयोग के प्रतीक धीरे-धीरे समय परिवर्तित होता गया। यह मंदिर भव्य रूप में पक्के महल में स्थापित हो गई। देखते ही देखते या मार्बल के पत्थर तथा विभिन्न प्रकार के दरवाजे विभिन्न देवी-देवताओं के मंदिर की स्थापना हो गई। इसका मैं इस मंदिर परिसर में मां चंडी जी की मूर्ति के अलावा मां दुर्गा जी की मूर्ति एवं भोले शंकर की मूर्ति विश्वकर्मा जी का मंदिर भगवान शिव का मंदिर ब्रह्मस्थान दी स्थान सनी दरबार हरि शंकरी इत्यादि मंदिरों की स्थापना यहां हो गई और यह क्षेत्र एक धार्मिक स्थल के रूप में विकसित हुआ क्षेत्र का सबसे सुंदर और विशाल का मंदिर लोगों के आस्था का प्रतीक है। किसान लोग दर्शन पूजन करने के लिए साल के 365 दिन आते हैं तथा लोगों में अपने घर परिवार के सुख शांति की कामना करते हुए यहां मुंडन का कार्य भी अपने बच्चों का कराया जाता है।
माता जी के दरबार में सोमवार एवं शुक्रवार को काफी संख्या में भेद लगती है। जहां दर्शन आरती आस्था के प्रति मन के दरबार में हलवा पूरी एवं कढ़ाई चढ़ा करके अपनी मनोकामनाएं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। नवरात्र में दर्शन आर्तियां की बहुत भी होती है। सुबह मंगला आरती के बाद दर्शन पूजन के लिए मंदिर के कपाट खोल दिया जाता है। जबकि दिनभर हजारों की संख्या में लोक दर्शन पूजन करते हैं। बावजूद शाम को दिव्या आरती प्रस्तुत होती। जहां काफी संख्या में लोग आरती में शरीफ होकर मां के चरणों में क्षमा याचना और विनती करते हुए घर परिवार के सुख शांति की अपील करते हैं।
बताया जाता है की मां चंडी धाम पर आसपास के क्षेत्र के साथ-साथ हजारों किलोमीटर दूर से भी लोग माताजी के यहां दर्शन करने के लिए आते हैं। मां की आस्था विश्वास के चलते नागरिकों का सभी कार्य हो जाते हैं। बहुत दूर-दूर से लोग चलकर के मां के दरबार में मत्था टेकने आते हैं। यह मन की आशा के प्रतीक है। यहां लोगों की मनोकामनाएं पूर्ण होती है। यहां नवरात्र में रामनवमी के दिन भव्य राम भव्य मेला लगता है। जिसमें क्षेत्र में आसपास की काफी संख्या में लोग मां के दरबार में माथा टेकते हैं। जबकि रामनवमी के दिन देसी घी से लोग यह यज्ञ स्थल मैं आहुति देकर के संकल्प छुड़ाते हैं। माताजी से अपने रुके कार्यों के लिए प्रार्थना करते हैं।
दिनभर यहां दर्शन पूजन करने वालों का ताता लगा रहता है। ऐसे में मां चंडी धाम धार्मिक आस्था का प्रतीक है। यहां मांगी गई सभी मुरादें पूरी होती है। दिन प्रतिदिन यहां दर्शन करने वालों की संख्या में बढ़ोतरी हो रहा है। मंदिरों को नवरात्रि रूप से सजाया गया है। उसमें किसी प्रकार का कुछ कमी ना राजा इसके लिए पूरा प्रयास रहता है। आस्थावान भक्ति प्रतिदिन दर्शन करने के लिए भी यहां काफी संख्या में लोग आते हैं। जो यहां से दर्शन करने के बाद ही अपने किसी कार्य को करने में भरोसा रखते हैं। उन्हें यह विश्वास रहता है। मां के दर्शन के बाद मेरे सभी कार्य पूर्ण हो जाएंगे इनकी भी संख्या यहां अधिक है।