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गाजीपुर जिले के गहमर में माँ कामाख्या देवी धाम में उमड़ा आस्था का जन सैलाब, दर्शन पूजन कर लिया आर्शीवाद

ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. गाजीपुर जिले के गहमर में स्थित माँ कामाख्या देवी मंदिर परिसर में मंगलवार को नवरात्र के अवसर पर आस्था का जन सैलाब उमड़ पड़ा है। स्थानीय लोगों ने बताया कि मान्यता है कि माता कामाख्या देवी के दर्शन और मन्नत मांगने से ही मुराद पूरा हो जाता है। नवरात्र में प्रतिदिन दर्शन के लिए लोग आती है। नव दिनों में दर्शन के लिए करीब लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। नवरात्र में माँ कामाख्या देवी के दर्शन करने के लिए बिहार प्रांत एवं बंगाल से भी दर्शनार्थी का पहुंचने का सिलसिला शुरू हो जाता है। क्षत्रिय सिकरवार वंश द्वारा स्थापित माँ कामाख्मा मंदिर के बारे में जानकारी प्राप्त करने पर लोग बताते है कि आज तक माता के दरबार में हाजिरी मात्र से ही मन्नत पूरी हो जाती हैं।
क्षेत्रीय लोगों ने बताया कि गहमर गांव के हजारों सैनिक अपनी देश के सुरक्षा बलों में अपनी योगदान देते है। परंतु माता के आशीर्वाद से आज तक कोई भी सैनिक शहीद नहीं हुआ। ऐसे ही माता कामाख्या देवी का महत्ता है। मंदिर समिति के अध्यक्ष जन्मेजय सिंह ने बताया कि मां कामाख्या मंदिर परिसर की सुरक्षा और श्रद्धा से आए लोगो को किसी भी प्रकार कि समस्या नहीं हो। इसके देखरेख करने में समिति के सदस्य भी तत्पर रहते हैं। वहीं दूर दराज से आए श्रद्धालुओं को माता के दर्शन करने भी किसी प्रकार की समस्या ना आए इसका विशेष ध्यान दिया जाता है। माता के दर्शन को पहले दिन ही श्रद्धा का जन सैलाब उमड़ पड़ा। वही स्थानीय पुलिस बल भी सुरक्षा को लेकर काफी मुस्तैद रहता है।
लगभग 5वीं सदी पहले स्थापित इस मंदिर के बारे में बताया जाता है कि सिकरवार क्षत्रिय वंश के राजाओं द्वारा अपनी कुलदेवी के रूप में इस मंदिर का निर्माण कराया गया था, लेकिन तत्कालिक राजवंश के समाप्त होने के बाद मंदिर जीर्णशीर्ण अवस्था में पहुंच गया। इसके बावजूद देवी भक्तों और श्रद्धालुओं की आस्था और धार्मिक विश्वास में कोई कमी नहीं आया। जिसके चलते समय-समय पर श्रद्धालुओं ने इस मंदिर का पुनःनिर्माण कर भव्य रूप प्रदान किया।
कहते हैं कि संकट और विपदाओं से रक्षा करने वाली मां कामाख्या के धाम में मांगी गई मनोकामनाएं कभी अधूरी नहीं रहती। मंदिर के पुजारी बताते हैं कि मां सबकी रक्षा तो करती है, लेकिन खास बात यही है की सालों से सेना में इस गांव से हजारों लोगों ने अपनी सेवा दी है, लेकिन कोई भी इस गांव से आज तक शहीद नहीं हुआ है।
कई सदी प्राचीन इस देवी मंदिर के साथ लोगों की आस्था जुड़ी है कि यहां पर सच्चे मन से मांगी गई। मनोकामनाएं जरूर पूर्ण होती है। यही वजह है कि दूर-दूर से देवी भक्त और श्रद्धालु मां कामाख्या के दर्शन पूजन के लिए इस मंदिर में आते हैं। पूरे नवरात्र भर मंदिर के आसपास का नजारा मेले जैसा नजर आ रहा है।
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