मुख्तार अंसारी की कब्र पर 15 मिनट रुका अब्बास, फातिहा पढ़ा; ईद की नमाज गाजीपुर जेल में
ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. मुख्तार अंसारी का विधायक बेटा अब्बास अंसारी बुधवार शाम कालीबाग कब्रिस्तान पहुंचा। प्रिजन वैन से उतरते हुए अब्बास ने मुख्तार की स्टाइल में सलाम किया। फिर अंदर गया। 15 मिनट तक फातिहा पढ़ा। कब्रिस्तान में मुख्तार के बड़े भाई सिगबतुल्लाह, अफजाल, बेटा उमर समेत 20 लोग मौजूद रहे।
फातिहा पढ़ने के बाद अब्बास को गाजीपुर जिला जेल ले जाया जाएगा। अब्बास 3 घंटे तक मुहम्मदाबाद में रहा। इससे पहले अब्बास घर पर परिवार वालों के साथ कुरान ख्वानी में शामिल हुआ। इस दौरान अब्बास अपने बेटे को गोद में लेकर काफी देर तक बैठा रहा। बगल में भाई उमर भी बैठा था।
अब्बास अंसारी ने बताया, गुरुवार को अब्बास जेल में ही ईद की नमाज पढ़ेंगे। उसके बाद उन्हें फाटक लाया जाया जाएगा। उधर, सुरक्षा को देखते हुए पुलिस ने पूरे एरिए की ड्रोन से निगरानी की। बता दें, मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने अब्बास अंसारी की 4 दिन की पैरोल मंजूर की थी।
अब्बास अंसारी को मंगलवार शाम 7.45 बजे कासगंज जेल से गाजीपुर जिला जेल के लिए रवाना किया गया था। 13 घंटे का सफर कर बुधवार सुबह 9 बजे अब्बास का काफिला गाजीपुर जेल पहुंचा। गाजीपुर जेल से करीब 3.30 बजे भारी सुरक्षा के बीच मोहम्मदाबाद ले जाया गया। घर पहुंचते ही सबसे पहले अब्बास परिवार के साथ कुरान ख्वानी में शामिल हुआ। फातिहा पढ़ने के बाद अब्बास अंसारी को फिर गाजीपुर जेल भेज दिया जाएगा।
मुख्तार अंसारी की मौत बांदा जेल में 28 मार्च को हुई थी। 29 मार्च की देर रात को शव गाजीपुर जिले के पैतृक आवास मोहम्मदाबाद के फाटक लाया गया था। 30 मार्च को मुख्तार का शव पैतृक कब्रिस्तान में दफनाया गया।
मुख्तार अंसारी के जनाजे में अब्बास के शामिल होने के लिए अंसारी परिवार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। लेकिन पीठ के समक्ष अर्जी पर सुनवाई न हो पाने के कारण अब्बास को जमानत नहीं मिल सकी। वह जनाजे में शामिल नहीं हो सका था। जिसके बाद परिवार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
9 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने आदेश दिया कि अब्बास को अनुष्ठान में शामिल होने के लिए 9 अप्रैल की शाम तक उसके घर गाजीपुर ले जाया जाए। 13 अप्रैल को कासगंज जेल वापस लाया जाए। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उसे गाजीपुर लाया गया है।