सर! हम पढ़ाई नहीं कर पा रहे…शिकायत सुन सकते में आया विद्युत विभाग, फिर...
ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, अमरोहा. कई बच्चे पढ़ाई से बचते हैं, लेकिन कई ऐसे भी हैं जिनके पढ़ने का जुनून चौंका देता है। सलोनी, जो बागड़ी समाज (लोहे के खुरपा व फावड़ा आदि बनाने वाले) से है और कक्षा छह में पढ़ती है, स्ट्रीट लाइट के नीचे बैठकर पढ़ती है।
जब खंभे पर लगा बल्ब कई दिनों से बंद हो गया, तो सलोनी अपनी मां के साथ नगर पंचायत कार्यालय पहुंच गई। उसने कहा, "साहब, खंभे की लाइट चालू करा दो। इसके खराब होने से मैं और मेरा भाई पढ़ नहीं पा रहे हैं।"
सलोनी की मासूमियत ने व्यवस्था पर सवाल उठाया और स्टाफ के दिलों को छू लिया। अधिशासी अधिकारी ने तुरंत स्ट्रीट लाइट को सही करवा दिया।
सलोनी और उसका भाई समीर सोत नदी के पास ओवरपास के नीचे बागड़ी समाज के लिए बने अस्थायी आशियाने में रहते हैं। उनके पिता कर्मवीर का परिवार कई पीढ़ी से यहां रह रहा है।
दोनों बच्चों में पढ़ाई को लेकर जुनून है। वे स्कूल से आकर दिन में ही पढ़ते हैं और रात में बाहर लगी स्ट्रीट लाइट की रोशनी में पढ़ाई करते हैं। सलोनी की कहानी प्रेरणादायक है। यह दर्शाती है कि कैसे मुश्किलों के बावजूद भी कुछ बच्चे शिक्षा के प्रति समर्पित रहते हैं।
यहां कुछ बातें हैं जो हम सलोनी की जीवन से सीख सकते हैं:
शिक्षा के प्रति समर्पण और जुनून महत्वपूर्ण है।
मुश्किलों के बावजूद भी हमें अपने सपनों को नहीं छोड़ना चाहिए।
हमें उन बच्चों की मदद करनी चाहिए जो शिक्षा प्राप्त करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।