महाशिवरात्रि पर गाजीपुर जिलाधिकारी ने महाहर धाम में किया दर्शन-पूजन, मंदिर में शिवभक्तों की लगी कतार
ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. गाजीपुर में महाशिवरात्रि पर महाहर धाम स्थित शिवलिंग के दर्शन पूजन करने पूर्वांचल के अलग-अलग जिलों से भी लोग आते हैं। महाशिवरात्रि पर्व पर जिलाधिकारी आर्यका अखौरी ने महाहर धाम पहुंचकर दोपहर में दर्शन पूजन किया।
जिलाधिकारी आर्यका अखौरी दर्शन पूजन कर महाहर धाम का स्थलीय निरीक्षण भी किया। अधिकारियों ने दर्शनाथियों की सुविधा को देखते हुए किए गए इंतजामों का जायजा लिया। शिवरात्रि के अलावा श्रावण मास में भी यहां में प्रतिदिन हजारों-लाखों की संख्या में श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं।
इस मौके पर तहसीलदार जया सिंह, खण्ड विकास अधिकारी अनुराग राय, मंदिर समिति के अध्यक्ष डॉ. रामप्रवेश सिंह, थानाध्यक्ष धर्मेंद्र पांडेय, थानाध्यक्ष अशोक मिश्रा, उप निरीक्षक मुन्ना लाल विश्वकर्मा सुभाष आदि लोग उपस्थित रहे।
मान्यता है कि महाहर धाम के समीप जलाशय से पानी भरते समय राजा दशरथ के शब्दभेदी तीरों से श्रवण कुमार घायल हुए थे। यहीं श्रवण कुमार की मृत्यु हुई थी। श्रवण कुमार के माता-पिता ने राजा दशरथ को पुत्र वियोग का श्राप दिया था।
कहा जाता है कि इसी शाप के दुष्प्रभाव को खत्म करने के लिए राजा दशरथ ने शिवलिंग की स्थापना की थी। महाहर धाम में तेरह मुखी शिवलिंग स्थापित है, साथ ही शिव-पार्वती की मूर्ति भी है। मंदिर के सामने उत्तर से दक्षिण की तरफ में 1 किलोमीटर तक लंबा सरोवर है। बताया जाता है कि हजारों वर्ष पहले इस स्थान पर मां गंगा प्रवाहित होती थीं। लेकिन, अब यह पुरईन झील के रूप में रह गया है।
मान्यता के अनुसार श्रवण कुमार अपने माता-पिता को तीर्थ यात्रा पर लेकर निकले थे। वह अपने माता-पिता को कांवड़ पर लेकर जा रहे थे। प्यास लगने पर वह माता-पिता के लिए इसी झील से पानी भरने आए थे। राजा दशरथ के शब्दभेदी तीरों से उनकी मृत्यु हो गई थी।
पश्चाताप के तौर पर राजा दशरथ ने शिवलिंग स्थापित किया था। बाद में उसी स्थान पर किसी संतान रहित व्यक्ति ने मंदिर का निर्माण कराया। कहा जाता है कि उस व्यक्ति के स्वप्न में भगवान प्रकट हुए और मंदिर निर्माण का आदेश दिया था। इसके बाद उस व्यक्ति को मंदिर निर्माण कराया। मंदिर बनने के बाद उसे पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई थी। महाहर धाम के दक्षिण दिशा की ओर श्रवणडीह नामक गांव भी मौजूद है। हालांकि यहीं मौजूद श्रवण कुमार का मंदिर जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पहुंच चुका है। महाशिवरात्रि पर्व पर जिले के सभी शिव मंदिरों पर बड़ी संख्या में महिला और पुरुष श्रद्धालु पहुंचकर पूजा पाठ करते है।