गाजीपुर में काली के बाग कब्रिस्तान में आज सुपुर्द-ए-खाक होगा मुख्तार अंसारी
ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. मुख्तार अंसारी की शव बांदा से गाजीपुर उनके पैतृक आवास 'फाटक' पहुंचा। यहां डेडबॉडी फ्रीजर में शव को प्रिजर्व रखा गया ताकि उनके समर्थक आखिरी बार देख सकें और श्रद्धांजलि दे सकें। वहीं, परिवार के अनुसार उन्हें पैतृक कब्रिस्तान 'काली बाग' में सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा।
मुख्तार के पैतृक आवास से महज 400 मीटर दूर इस कब्रिस्तान का नाम आखिर काली बाग क्यों है? इस पर कोई मुस्लिम नाम क्यों नहीं दर्ज है।
कौन है काली और किसका है ये बाग
मुख्तार अंसारी के पैतृक आवस से चंद कदम दूर 7 बिस्से में मौजूद काली बाग के बारे में आज की युवा पीढ़ी शायद ही जानती होगी।संवाददाता ने मुहम्मदाबाद के युसुफपुर के दर्जी टोला के लोगों से इस बारे में जानना चाहा तो उन्होंने मना कर दिया। बहुत रिक्वेस्ट करने पर मोहल्ले के एक बुजुर्ग इस बात पर तैयार हुए कि उनकी तस्वीर या नाम हम नहीं छापेंगे।
मुख्तार अंसारी के परिवार का पैतृक कब्रिस्तान है कालीबाग |
हमने जब उनसे पूछा कि आखिर इस कब्रिस्तान का नाम कालीबाग क्यों है? तो वे मुस्कुराए और फिर जैसे किसी सोच में डूब गए। कुछ देर ठहर के बोले 'बात उस वक्त की है जब अंग्रेज यहां राज करते थे। इस इलाके में दलित लोग रहते थे।
उन्हीं में से एक दलित काली अंग्रेजों के यहां काम करता था और इस जगह मौजूद बाग की रखवाली करता था, जो करीब 100 बीघे में था। इसमें आम के लहलहाते पेड़ थे जो आज भी मौजूद हैं।
कालीबाग कब्रिस्तान के इसी कब्र में मुख्तार अंसारी को दफनाया जाएगा। |
उन्होंने बताया कि यहां से जाते समय उस समय के अंग्रेज गवर्नर ने यहां की सारी जमीन काली को सौंप दी थी। काली गरीब था और उसे पैसों की जरूरत पड़ी तो धीरे-धीरे जमीन बेचने लगा। इसी में से 7 बिस्वा जमीन मुख्तार के परदादा ने काली से खरीदना चाही तो उसने मना कर दिया लेकिन एक शर्त भी रख दी।
बुजुर्ग ने बताया कि मुख्तार के परदादा ने काली की शर्त मानी और कहा कि इस जमीन से कभी तुम्हारा नाम नहीं हटेगा। इसके बाद जो हिस्सा उन्होंने खरीदा था, उसका नाम कालीबाग रखा गया। उन्होंने बताया कि कुछ साल पहले तक काली का परिवार यहीं रहता था, पर अब कहां रहता है, यह किसी को नहीं पता है।
मुख्तार अंसारी के कालीबाग को उस समय कब्रिस्तान बना दिया गया, जब उनके परदादा की मौत हुई। पहली बार इस कब्रिस्तान में उन्हें ही दफन किया गया। उसके बाद दादा मुख़्तार अहमद अंसारी, पिता सुभानअल्लाह अंसारी, मां बेगम राबिया अंसारी सहित 10 रिश्तेदार इस कब्रिस्तान में दफन हैं। अब इसी कब्रिस्तान में मां और पिता के पहलू में मुख्तार की कब्र तैयार कर ली गई है। जहां उन्हें सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा।
मुख़्तार अंसारी के घर से निकलने के बाद प्राइमरी स्कूल से जाने वाली रोड काली बाग कब्रिस्तान को जाती है। इस मार्ग का नाम भी काली मार्ग रखा गया है।