प्रलय से बचने के लिए सभी को वन परंपरा के साथ जुड़ना होगा- CM योगी आदित्यनाथ
ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रकृति और परमात्मा के बीच तालमेल पर जोर देते हुए गुरुवार को कहा कि यह समन्वय नहीं होने पर प्रलय जरूर आएगी। इससे बचने के लिए सभी को वन परंपरा के साथ जुड़ना होगा। CM योगी ‘हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड’ (एचपीसीएल) के निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) के तहत उपलब्ध कराई गई धनराशि से सेवा समर्पण संस्थान के एकलव्य वनवास छात्रावास के लोकार्पण एवं सारंग तीरंदाजी प्रशिक्षण केंद्र के शिलान्यास कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को प्रकृति और परमात्मा के बीच तालमेल पर जोर देते हुए कहा कि यह समन्वय नहीं होने पर प्रलय जरूर आएगी। उन्होंने कहा कि इससे बचने के लिए सभी को वन परंपरा के साथ जुड़ना होगा।
वन परंपरा का महत्व:
मुख्यमंत्री ने कहा कि वनवासी समाज देश के अतीत की परंपराओं का वाहक है।
वह धरती को माता मानकर 'माता भूमि: पुत्रो अहम पृथिव्या:' के दिव्य भाव के साथ आज भी भारत की अरण्य संस्कृति को न केवल लेकर चल रहा है, बल्कि उसके माध्यम से वैश्विक समुदाय को नया संदेश भी दे रहा है।
सरकार द्वारा किए गए प्रयास:
मुख्यमंत्री ने कहा कि डबल इंजन की सरकार ने वनटांगिया गांवों के विकास के लिए कई प्रयास किए हैं।
इन गांवों को राजस्व गांव का दर्जा दिया गया है, वोट देने का अधिकार मिला है, और जमीन के पट्टे और आवास की सुविधा दी गई है।
उन्होंने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आभारी हैं, जिन्होंने भगवान बिरसा मुंडा की पावन जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया।
निष्कर्ष:
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वन परंपरा के महत्व पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि वनवासी समाज देश के अतीत की परंपराओं का वाहक है और हमें उनसे सीखना चाहिए।
सरकार ने वनटांगिया गांवों के विकास के लिए कई प्रयास किए हैं।
यह जानकारी आपको उपयोगी लगी होगी।
यहां कुछ अन्य सुझाव दिए गए हैं:
हमें वन परंपराओं का सम्मान करना चाहिए और उन्हें संरक्षित करने का प्रयास करना चाहिए।
हमें वनवासी समाज के लोगों के साथ मिलकर काम करना चाहिए और उनके विकास में योगदान देना चाहिए।
हमें सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों का समर्थन करना चाहिए।
यह भी ध्यान रखें कि वन परंपराएं हमारी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
हमें इन परंपराओं को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाना चाहिए।