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गाजीपुर में पूर्वांचल सहकारी कताई मिल बरौड़ा चालू होने की जगी उम्मीद

ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. गाजीपुर जनपद के कासिमाबाद में अति पिछड़ा क्षेत्र में पूर्वांचल सहकारी कताई मिल बरौड़ा चालू होने की उम्मीद अब अंतिम दम तोड़ रही है। लेकिन जैसे ही लोकसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है एक बार फिर युवाओं में कताई मिल चालू होने और युवाओं को रोजगार के आसार वर्तमान सरकार से लोग आश लगा रहे हैं।
बरौड़ा कताई मिल
बरौड़ा कताई मिल
1985 वर्ष में तत्कालीन सहकारी राज्य मंत्री सुरेंद्र सिंह के प्रयास से 8 अगस्त 1981 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने इस बरौड़ा कताई मिल का शिलान्यास किया था। और 2 दिसंबर 1986 को कताई मिल का उद्घाटन उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह द्वारा जब किया गया तो इस क्षेत्र के जनता को यह नहीं अनुमान था कि आगे चलकर यह मिल बंद हो जाएगा। जबकि इस कताई मिल खुलने से जनपद में रोजगार के लिए युवाओं के लिए बहुत बड़ी आशा की किरण साबित हुआ था।

40000 करोड़ की लागत से बना था कताई मिल

यह कताई मिल 40000 करोड़ की लागत से 25000 स्पेंडल वाली इस कताई मील में कुल 1100 मजदूरों के साथ 84 एकड़ क्षेत्रफल में फैला हुआ है। लेकिन शासन की उदासीनता के कारण यह मिल 2010 में पूर्ण रूप से बंद हो गया। जबकि इस कताई मिल के चलने से तैयार माल देश के कोने-कोने में जाता था। आज यह कताई मिल शासन की उदासीनता का प्रमाण है कि युवा गैर प्रदेश में रोजगार के लिए भटक रहे हैं ।

एक बार फिर आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर लोगों का कहना है कि राजनीतिक गलियारे में कताई मिल को जब-जब चुनाव आता है तो चुनावी मुद्दा उठाया जाता है और वादे भी होते हैं। लेकिन लोगों के उम्मीद की किरणें चुनाव समाप्त होते ही थम जाते हैं। एक बार फिर आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर युवाओं में कताई मिल चालू कराने की मांग उठने लगी है। लोगों का कहना है कि यह मिल को आधुनिकता के तौर पर इस्तेमाल कर शुरू हो जाता है तो युवाओं को रोजगार मिलने के आसार बढ़ जाएंगे ।

लोकसभा चुनाव का सबसे बड़ा मुद्दा
जबकि पूर्वांचल एक्सप्रेसवे मार्ग हो जाने से कल कारखानों की प्रोडक्शन आने-जाने की सुलभता और बढ़ जाती है उसके बावजूद भी सरकार ध्यान नहीं दे रही है। लोगों को रोजगार को लेकर बड़ौदा कताई मिल को चालू कराना इसे लोकसभा चुनाव का सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है। संवाददाता से कामरेड इरशाद अहमद ने बताया कि आज के परिवेश में यह कथाएं मिल चलता तो कम से कम दस हजार युवाओं को रोजगार मिलता। पूर्व कर्मचारी खेदारू चौहान ने बताया कि चुनाव के समय पूर्व मंत्री श्री यादव, फातिमा पूर्व कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर पूर्व सांसद भरत सिंह सहित एमएलसी चंचल सिंह ने मिल चालू कराने की घोषणा किया था।

लेकिन इस मिल को चालू कराने के लिए कोई गंभीरता से प्रयास नहीं किया। संवाददाता से युवा धनंजय ने कहा कि सरकार तो रोजगार की बात करती है लेकिन एक तरफ एक दशक से बंद इस कताई मिल को चालू करने के विषय में ध्यान नहीं दे रही। यदि अनिल चालू रहता तो हजारों बेरोजगारों को रोजगार मिल जाता और उनके परिवार को जीविका का साधन भी उपलब्ध हो जाता। राजू ने कहा कि इस विधानसभा क्षेत्र में युवाओं की भविष्य को लेकर कोई जनप्रतिनिधि जागरूक नहीं है नहीं तो आज यह मिल की दशा यह नहीं होती है।
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