घर-घर पहुंचेंगे बिजली विभाग के अधिकारी, मीटर बदलने का चलेगा अभियान
ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग के अधिकारी घर-घर पहुंचेंगे। एक अप्रैल से प्रदेश में बड़ा अभियान चलेगा। घर-घर मीटर बदले जाएंगे। इनकी जगह पर स्मार्ट मीटर लगाए जाएंगे। यह अभियान युद्ध स्तर पर चलाया जाएगा। अभियान की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। अधिकारियों का कहना है कि स्मार्ट मीटरों के लग जाने के बाद बिजली की चोरी पर काफी हद तक रोक लग जाएगी। इसके साथ ही उपभोक्ताओं को अक्सर मिल जाने वाले गलत बिलों से भी राहत मिलेगी। उपभोक्ता जितने यूनिट बिजली का इस्तेमाल करेंगे उतने का ही भुगतान करेंगे। कुल मिलाकर बिजली इस्तेमाल और भुगतान की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी हो जाएगी।
यूपी में 2025 तक सभी उपभोक्ताओं के घर स्मार्ट मीटर लगा लेने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के मैनेजमेंट ने टेंडर पाने वाली कंपनियों को निर्धारित समय तक यह काम पूरा करने का निर्देश दिया है। उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अगले महीने (मार्च-2024) के मध्य या एक अप्रैल से इसके लिए युद्धस्तर पर अभियान चलाया जाएगा। अभियान के तहत 2.69 करोड़ उपभोक्ता मीटर, 15.26 लाख डीटी मीटर और करीब 20 हजार फीडर पर मीटर लगाए जाने हैं। टेंडर के जरिए चुनी गई कार्यदायी संस्थाओं से मीटर लगाने के एग्रीमेंट की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। इतनी बड़ी संख्या में स्मार्ट मीटर लगाने पर लगभग 18885 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
बिजली रीडरों के गलत बिल बनने के कारण गोरखपुर जोन के नौ हजार उपभोक्ता परेशान हैं। इसे लेकर चीफ इंजीनियर ने बिल जमा करने वाली कंपनी से स्पष्टीकरण मांगा है। साथ ही बिल को सही कराने के निर्देश दिए हैं। बताया जा रहा है कि मीटर रीडर बिना मौके पर गए कभी ज्यादा तो कभी कम यूनिट फीड कर बिल बना दे रहे हैं। इसकी शिकायत गोरखपुर जोन के सभी खंडों से मिल रही है। मीटर रीडरों की लापरवाही से बनाए गए इन बिल को सही कराने के लिए उपभोक्ता परेशान हो रहे हैं।
पिछले साल जोन में 11 हजार से ज्यादा गलत बिल बने थे। इसे लेकर शिकायत के बाद भी अधिकांश मामले ठीक नहीं हुए। मजबूरन सेटिंग के बल पर उपभोक्ताओं ने बिल सही कराया। गोरखपुर जोन के चीफ इंजीनियर आशु कलिया ने बताया किमीटर रीडरों की गलती से नौ हजार उपभोक्ताओं के गलत बिल के मामले सामने आए हैं। बिल वसलूने वाली कंपनी के अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा गया है।