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ग़ाज़ीपुर में भारी खनन वाहनों से सैदपुर गंगापुल हो रहा क्षतिग्रस्त

ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. दो जनपदों के बीच क्षेत्रीय लोगों की जिस समस्या को देखते हुए सैदपुर चंदौली गंगापुल का निर्माण हुआ। वह पुल आज अपने उद्देश्यों की पूर्ति नहीं कर पा रहा है। यह पुल सिर्फ खनन पुल बनकर रह गया है। इस पुल से दूसरे भारी वाहनों के आवागमन पर रोक लगाकर, दिन रात ट्रकों और अवैध ट्रैक्टर बोगा वाहनों से भारी मात्रा में लाल और सफेद बालू ढोया जा रहा है। जिससे यह पुल तेजी से क्षतिग्रस्त हो रहा है।

क्षेत्रीय लोगों की भारी मांग को देखते हुए वर्ष 1997 में तत्कालीन लोक निर्माण मंत्री कलराज मिश्र ने निर्माण कराया। तब सैदपुर के विधायक चंदौली जनपद के वर्तमान सांसद व भारी उद्योग मंत्री डॉ महेंद्र नाथ पांडे थे। जिसके 19 साल बाद वर्ष 2016 में तत्कालीन सपा विधायक सुभाष पासी के प्रयासों से यह पुल बनकर तैयार हुआ। इसका उद्घाटन करने आए प्रदेश सरकार के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस पुल को पूरी तरह से जनता को समर्पित करते हुए, इसे आवागमन के लिए मुक्त कर दिया।

भारी वाहनों से क्षतिग्रस्त होने की स्थिति में वर्ष 2020 में चंदौली जनपद के तरफ से इस पुल को लोहे के गार्डरों से बैरिकेड कर दिया गया। इसके बावजूद खनन के भारी ट्रक और बोगा ट्रैक्टर लाल और सफेद बालू लादकर दिन रात लगातार इससे बालू ढो रहे हैं। जिससे पुल तेजी से क्षतिग्रस्त हो रहा है। पुल के कई स्थानों पर स्थिति यह हो गई है कि इसमें लगाई गई लोहे की सरिया बाहर दिखने लगी है। पूरे पुल पर सफेद बालू की परत बिछ गई है, जो उड़कर आते जाते राहगीरों की आंखों में चुभ रही है।

भूसे की ढुलाई हो रही प्रभावित

पुल को भारी वाहनों से बचाने के लिए प्रशासन द्वारा खनन वाहनों को छोड़, दूसरे वाहनों पर लगाए गए अनैतिक प्रतिबंध से क्षेत्र के लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसके कारण किसानों के धान और गेहूं की फसल कटाई के लिए कृषि यंत्र हार्वेस्टर का आवागमन तथा ट्रैक्टर से भूसे और पुआल की ढुलाई नहीं हो पा रही है। मुगलसराय स्थित पूर्वांचल के सबसे बड़े रेलवे स्टेशन की दूरी सैदपुर से मात्र 30 किलोमीटर होने के बावजूद, रोडवेज और निजी बसों का संचालन नहीं हो पा रहा है।

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